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नड्डा खरगे में हुई तीखी तकरार, बुलडोजिंग करने का आरोप

चुनाव सुधार और वन्देमातरम पर चर्चा के लिए समय तय होने के बाद बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही शांतिपूर्वक चली हालांकि राजभवन के नाम बदल कर लोकभवन करने के मुद्दे के दौरान जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी नोंकझोंक हुई।

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Photo-IANS)



दिल्ली की सड़कों पर मुगल- अंग्रेज क्रूर शासकों के नाम क्यों?

 चुनाव सुधार और वन्देमातरम पर चर्चा के लिए समय तय होने के बाद बुधवार को राज्यसभा की कार्यवाही शांतिपूर्वक चली हालांकि राजभवन के नाम बदल कर लोकभवन करने के मुद्दे के दौरान जेपी नड्डा और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। शून्यकाल के दौरान डोला सेन के राजभवन का नाम बदलने को लेकर दिए जा रहे वक्तव्य के दौरान सेन ने केन्द्र के भेदभाव की बात कही तो भाजपा के सासंदों ने जम कर विरोध करना शुरू किया। सदन के नेता और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सेन के विषय से भटकने की बात कहते हुए असंबद्ध बातों को कार्यवाही से हटाने के लिए कहा तो राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने डोलासेन के किसी भी असंसदीय शब्द नहीं बोलने की बात कहते हुए कहा कि जेपी नड्डा बुलडोजिंग कर रहे हैं। जिसके जवाब में नड्डा ने कहा कि उन्होंने कभी बुलडोज्ड नहीं किया है।

बैंकों में जमा 25 लाख तक की राशि का हो बीमा
 बैंकों के डूबने पर खातेदारों को अधिकतम पांच लाख तक की राशि मिलने की सीमा को बढ़ाने का मामला बुधवार को संसद में गूंजा। राज्यसभा में शून्य काल के दौरान राजस्थान के नीरज डांगी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि लोगों की गाढ़ी कमाई बैंकों में जमा रहती है। ऐसे में बैंकों के डूबने पर उन्हें डीआईसीजीसी की ओर से अधिकतम पांच लाख तक की राशि का ही भुगतान मिलता है। 1961 ले अब तक 461 सहकारी बैंक डूबे हैं। ऐसे में बैंकों में जमा राशि के बीमा की राशि को पांच लाख से बढ़ा कर पच्चीस लाख किया जाना चाहिए। जो खाता धारक इससे ज्यादा राशि का बीमा करवाना चाहे वो अतिरिक्त राशि के लिए स्वयं बीमा प्रीमियम की राशि का भार उठाए ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि लोगों की राशि सुरक्षित रह सके।

राजभवनों के नाम बदलने पर सदन में हंगामा

 राज्यो में राज्यपाल आवास के नाम को राजभवन से लोकभवन करने पर राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान हंगामे की स्थिति बन गई। पश्चिम बंगाल की डोलासेन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गृहमंत्रालय के आदेश पर देश भर में राजभवन के नाम को लोकभवन कर दिया गया है। यह राज्य के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि राजभवन के खर्च को राज्य के बजट से उठाया जाता है जिसे राज्य की विधानसभाओं से पारित किया जाता है। ऐसे में केन्द्र सरकार को राज्य सरकार से पहले सलाह करनी चाहिए थी। सेन ने कहा कि जहां डबल इंजन की सरकार नहीं है वहां राजभवन पैरेलल सरकार चला रहे हैं। उन्होंने मनरेगा सहित विभिन्न योजनाओँ में भेदभाव की बात भी कही। इस पर सदन में सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई और हंगामे की स्थिति बन गई।

संसद में गूंजा हलाल सर्टिफिकेशन का मामला

 महाराष्ट्र की राज्यसभा सांसद मेघा विश्राम कुलकर्णी ने देश में हलाल सर्टिफिकेशन के मामले को शून्यकाल के दौरान उठाते हुए कहा कि अन्य आस्थाओं के मांसाहारी लोगों पर हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़ा मांसाहार थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गैर मांस वाले खाद्य पदार्थों को भी हलाल का सर्टिफिकेशन क्यों दिया जा रहा है? गैर खाद्य पदार्थों को भी इसका सर्टिफिकेशन दिया जा रहा है। देश में एफएसएसआई जैसी वैध सरकारी संस्थाएं हैं जो खाद्य पदार्थों का प्रमाणन करती हैं ऐसे में किसी अन्य संस्था को ऐसा प्रमाणपत्र क्यों जारी करने दिया जा रहा है? उन्होंने कहा कि यदि हलाल की आस्था रखने वालों को इसकी आवश्यकता हो तो इसके प्रमाणन के लिए सरकारी व्यवस्था होनी चाहिए।


दिल्ली की सड़कों से हटें क्रूर शासकों के नाम

 राज्यसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के दिनेश शर्मा ने शून्यकाल में दिल्ली की सड़कों सार्वजनिक भवनों के नाम मुगल शासकों और अंग्रेज वायसरायों को नाम पर होने का मुद्दा उठाया। शर्मा ने कहा कि ये नाम अब भी अधीनता के अतीत की गूंज हैं और विदेश शक्तियों का जश्न मनाने और गुलानी की मानसिकता है। शर्मा ने अकबर रोड, शाहजहां रोड, लोधी रोड, मिंटो ब्रिज, चेम्सफोर्ड, हैली रोड का जिक्र किया।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए चलें पिंक रिक्शा
 राज्यसभा में सुमित्रा बाल्मिक ने रात के समय महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए महिलाओं को पिंक रिक्शा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं को रोजगार मिलेगा और महिला ऑटो चालक होने से उसमें यात्रा कर रही महिलाओं को भी सुरक्षा का अहसास रहेगा। उन्होंने क्यूआर कोड और सेफ कॉरिडोर बनाने का भी सुझाव दिया।


सदन में उठी लापता लेडीज की पीड़ा
देश में बड़ी संख्या में गुमशुदा महिलाओं का मामला उठाते हुए अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि करीब एक लाख 47 हजार महिलाएं लापता है। वहीं बड़ी संख्या में बच्चे भी लापता है। इन मामलों को महज गुमशुदगी का मामला नहीं माना जाकर इसे संगठित मानव तस्करी अपराध के रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में तो लोग मामले ही दर्ज नहीं करवाते। जो लोग गायब है उनके अंग व्यापार, भिक्षावृत्ति और वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेले जाने की आशंका है। मित्तल ने एक नेशनल मिसिंग ट्रैकिंग पोर्टल बनाने और से फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर से जोड़ने की मांग की। उन्होंने जनगणना में एक मिसिंग और अन्ट्रेस्ड का कॉलम जोड़ने व लापता मामलों को मानव तस्करी की नजर देखने की मांग भी की।