
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद पर एनडीए के राधाकृष्णन की जीत सिर्फ औपचारिक परिणाम नहीं है। यह संसद की राजनीति, सत्ता समीकरण और विपक्ष की रणनीति—तीनों पर गहरा असर डालती दिख रही है। दक्षिण भारत में भाजपा और एनडीए की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर रही है। ऐसे में उपराष्ट्रपति जैसा बड़ा पद दक्षिण क्षेत्र के ओबीसी वर्ग को देने से राजनीति में नई संभावनाओं का दरवाजा खोलने की कोशिश की है।
1. संसद में एनडीए की पकड़ अब भी मजबूत है।
2. सत्ता पक्ष के लिए आत्मविश्वास और विपक्ष के लिए चेतावनी का संकेत
3. विपक्ष जानता था कि नतीजा उसके पक्ष में नहीं होगा, लेकिन उसने एकजुट होकर मुकाबला दिखाने की कोशिश की। हालांकि 15 वोट कम होने से साफ पता चलता है कि एकता अभी भी अधूरी है।
4. राज्यसभा की दिशा: राधाकृष्णन की जीत का मतलब है कि आने वाले समय में ऊपरी सदन में सरकार के विधेयक पारित कराने में सहूलियत होगी।
Published on:
10 Sept 2025 12:35 pm

