
Gurugram: दिल्ली से सटे गुरुग्राम सेक्टर-51 स्थित महिला थाने में उस समय हैरान करने वाला नजारा देखने को मिला, जब एक मामले में थाने पहुंचे पति-पत्नी पुलिस के सामने ही बेकाबू हो गए। उन्हें काबू में करने के लिए सिपाहियों की संख्या बढ़ानी पड़ी। इसके बाद महिला कॉन्स्टेबल की शिकायत पर पुलिस ने पति-पत्नी के परिवार वालों पर भी मुकदमा दर्ज किया। हालांकि बाद में उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया। मामला दहेज उत्पीड़न से जुड़ा था। जिसमें पूछताछ के लिए पति-पत्नी परिवार समेत बुलाए गए थे। इस दौरान मामूली बातचीत से शुरू हुई बहस हिंसा में बद गई। देखते ही देखते दोनों ने एक-दूसरे को पीटना शुरू कर दिया। इस मारपीट में उनके परिजन भी कूद गए। इससे थाने में अफरा-तफरी मच गई और मौके पर मौजूद महिला हेड कॉन्स्टेबल के हाथ-पांव फूल गए। हालात काबू करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को बुलाना पड़ा।
गुरुग्राम के कन्हाई गांव निवासी पूजा ने अपने पति मनीष और ससुराल पक्ष के अन्य सदस्यों पर दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था। इसी मामले में पूछताछ के लिए पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया था। शिकायतकर्ता पूजा अपने मायकेवालों के साथ पहुंची, जबकि उसका पति मनीष पिता और परिवार के अन्य लोगों को लेकर थाने आया।
महिला थाने की हेड कॉन्स्टेबल नीलम ने बताया कि पूछताछ के दौरान दोनों पक्षों में पहले बहस हुई। धीरे-धीरे माहौल गरमाता गया और देखते ही देखते यह बहस गाली-गलौज व फिर मारपीट में बदल गई। नीलम के मुताबिक, “मैं दोनों से शांतिपूर्वक पूछताछ कर रही थी, तभी अचानक दोनों पक्ष आपस में उलझ पड़े। हमें तुरंत अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुलाना पड़ा।”
इस पूरे घटनाक्रम के बाद हेड कॉन्स्टेबल नीलम की शिकायत पर पुलिस ने पूजा, उसके पति मनीष, ससुराल पक्ष और मायके वालों समेत कई लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। सभी को हिरासत में लेकर थाने लाया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि दहेज उत्पीड़न से संबंधित मूल केस की जांच अलग से जारी रहेगी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल सभी आरोपियों को चेतावनी देकर जमानत पर छोड़ा गया है, लेकिन दोनों पक्षों को जांच में सहयोग करना होगा। अगर आगे भी कानून-व्यवस्था भंग करने की कोशिश की गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गुरुग्राम महिला थाने की प्रभारी ने लोगों से अपील की है कि वे थाने को न्याय दिलाने का माध्यम मानें, न कि विवाद सुलझाने का अखाड़ा। उन्होंने कहा कि हर तरह की शिकायत पर कानूनन कार्रवाई की जाएगी, लेकिन थाने में झगड़े की स्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
भारत में दहेज लेना या देना दोनों ही दंडनीय अपराध हैं। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दोषी पाए जाने पर छह महीने से पांच साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, घरेलू हिंसा अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में भी पीड़ितों को सुरक्षा देने और दोषियों को दंडित करने का प्रावधान है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में कई बार समझौता कराने की कोशिश होती है, लेकिन जब मामला गंभीर रूप ले लेता है तो यह न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंचता है। गुरुग्राम जैसे शहरी इलाकों में भी ऐसे मामले तेजी से सामने आ रहे हैं।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, गुरुग्राम में पिछले पांच वर्षों के दौरान दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में निरंतर वृद्धि हुई है। महिला थाने में हर महीने औसतन 20 से 25 शिकायतें दर्ज हो रही हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में पति-पत्नी और उनके परिवारों को बातचीत के लिए थाने बुलाया जाता है। कई बार यह बैठकें शांतिपूर्ण रहती हैं, लेकिन कभी-कभी विवाद इतना बढ़ जाता है कि पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ता है।
समाजशास्त्रियों का मानना है कि दहेज की समस्या सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहरों और शिक्षित वर्ग में भी यह गहराई से जमी हुई है। आर्थिक दबाव, सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवारिक दबाव जैसे कारण दहेज विवादों को जन्म देते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे मामलों में थाने में ही झगड़े होना इस बात की ओर इशारा करता है कि समस्या केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गंभीर है।
Published on:
20 Sept 2025 04:45 pm

