
Negligence in SIR: राष्ट्रीय राजधानी से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में लापरवाही बरतने पर लगभग 60 सरकारी कर्मचारियों में केस दर्ज किया गया है। इसके लिए अलग-अलग थानों में 4 FIR दर्ज हुई हैं। अब जिला प्रशासन इन कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी में है। नोएडा जॉइंट सीपी (Joint CP) राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि इन सभी कर्मचारियों के खिलाफ चुनाव कार्यालयों से शिकायतें मिली हैं। इसी आधार पर अलग-अलग थानों में चार मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इसमें 60 कर्मचारी आरोपी बनाए गए हैं।
संयुक्त सीपी (Joint CP) राजीव नारायण मिश्रा ने HT को बताया कि जिले के अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए चार मुकदमों में जिले के 60 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों पर अपनी जिम्मेदारी के निर्वहन में गंभीर लापरवाही का आरोप है। चुनावा कार्यालयों से मिली शिकायत में इन कर्मचारियों पर शासकीय दायित्वों का निर्वहन नहीं करने और निर्वाचन के काम को प्रभावित करने के आरोप हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद इन कर्मचारियों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। दूसरी ओर, नोएडा सेक्टर-122 आरडब्ल्यूए (RWA) ने भी इस प्रक्रिया को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज कराई है।
नोएडा सेक्टर-122 आरडब्ल्यूए का कहना है कि स्थानीय निवासियों को नए मतदाता पंजीकरण और संशोधन के लिए आवश्यक फॉर्म नहीं मिल पा रहे हैं। बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) से लोग संपर्क स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। यानी मौके से बीएलओ नदारद हैं। इन समस्याओं को देखते हुए लोगों ने SIR के तहत वोटर लिस्ट अपडेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की मांग की है। ताकि उन्हें अपने बीएलओ की जानकारी प्राप्त करने और उनसे संपर्क करने की जटिल प्रक्रिया से राहत मिल सके। प्रशासन का कहना है कि वे इस समस्या को गंभीरता से ले रहे हैं और निर्वाचन संबंधी कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकारी कार्य में जानबूझकर लापरवाही करना या ड्यूटी के प्रति समर्पण की कमी सरकारी सेवा आचरण नियम 1964 की धारा 3(ii) का गंभीर उल्लंघन माना जाता है। इसके लिए केंद्रीय सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 (CCS (CCA) Rules, 1965) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। हालांकि कार्रवाई से पहले कर्मचारी को आरोप पत्र जारी किया जाता है। कर्मचारी यदि इन आरोपों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता है तो यह आरोप सिद्ध हो जाते हैं। इसके बाद सक्षम प्राधिकारी वेतन वृद्धि रोकने से लेकर पद से हटाना या बर्खास्त करने तक की सिफारिश कर सकता है।
Updated on:
23 Nov 2025 06:38 pm
Published on:
23 Nov 2025 06:37 pm

