
Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में सर्दी के साथ-साथ लोगों को जहरीली हवा से राहत के आसार अभी भी नजर नहीं आ रहे हैं। शुक्रवार यानी 14 नवंबर को भी लगातार चौथे दिन राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया। दिल्ली के अधिकतर इलाकों में AQI 400 के पार है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है। डॉक्टरों ने इसे तुरंत नियंत्रित करने के लिए सरकारों से कड़े कदम उठाने की अपील की है। दिल्ली में प्रदूषण का आलम ये है कि सड़कों पर छाई धुंध और स्मॉग के चलते लोग घरों में कैद होने को मजबूर होने लगे हैं।
शुक्रवार सुबह दिल्ली का आसमान घने स्मॉग की चादर में लिपटा नजर आया। प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि दोपहर तक भी सूर्य की रोशनी धुंधली दिखाई पड़ रही है। राजधानी के कई हिस्सों में दृश्यता कम होने की वजह से लोगों को यातायात में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली इस समय ‘गैस चैंबर’ जैसी स्थिति से गुजर रही है। आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से पराली जलने का धुआं और तेजी से एनसीआर की ओर बढ़ेगा, जिससे हवा में जहरीले कणों की मात्रा और बढ़ने का अंदेशा है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा शुक्रवार सुबह 7 बजे जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के वजीरपुर में 447, चांदनी चौक में 445, बवाना में 442, आईटीओ में 431, विवेक विहार में 430, अशोक विहार में 422, सोनिया विहार में 420, आनंद विहार में 410, नजफ़गढ़ में 402, ओखला में 401 एक्यूआई दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के लिहाज से 'गंभीर' माना जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 28 स्टेशनों पर हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई।
बढ़ते प्रदूषण का असर अब सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य पर देखा जा रहा है। दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिन लोगों को पहले से अस्थमा, एलर्जी या फेफड़ों की बीमारी है, उनके लिए स्थिति और भी खतरनाक बनी हुई है। मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने राजधानी की हवा को अत्यंत खतरनाक बताते हुए कहा "प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को नहीं प्रभावित करता, बल्कि पूरा शरीर इससे प्रभावित होता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण फेफड़ों के जरिए सीधे रक्त में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के हर हिस्से तक पहुंचते हैं। इन कणों की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। हार्ट पर दबाव बढ़ता है और हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है।"
उन्होंने कहा कि जो स्थिति इस समय दिल्ली-एनसीआर में दिखाई दे रही है, उससे निपटने के लिए तुरंत और कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। डॉ. त्रेहन ने विशेष रूप से पराली जलाने को बंद करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इसकी वजह से हवा में बेहद खतरनाक स्तर के कण घुलते हैं, जो बाद में पूरे क्षेत्र में फैल जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण अब पूरी तरह से ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट’ का रूप ले चुका है। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर सख्ती जरूरी हो गई है। इसके अलावा डीजल वाहनों की निगरानी, औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण, स्मॉग टॉवर और वाटर स्प्रिंकलर को सक्रिय संचालन, पराली प्रबंधन पर कड़े कदम उठाने जैसी रणनीतियों के तहत सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
Published on:
14 Nov 2025 11:34 am

