
India Gate Protest: दिल्ली के इंडिया गेट इलाके में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प अब एक नए मोड़ पर आ पहुंची है। शुरुआत में इसे खराब हवा के खिलाफ प्रदर्शन माना जा रहा था, लेकिन प्रदर्शन के दौरान कुछ ऐसी गतिवविधियां सामने आईं, जिसके बाद पुलिस की जांच माओवादियों और नक्सलियों के समर्थन की दिशा में घूम गई है। इसके तहत प्रदर्शन के दौरान भीड़ में शामिल कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है, उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। पुलिस का फोकस इस बात पर है कि कहीं इस प्रदर्शन का नक्सली या माओवादियों से कोई संबंध तो नहीं है? बहरहाल, पुलिस ने 23 मोबाइल फोन जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि विभिन्न एंगलों पर मामले की जांच की जा रही है। जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार विधिक कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक इस प्रोटेस्ट के लिए एक हफ्ते पहले एक ग्रुप बना था, जिसमें 200 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। इस ग्रुप के तीन एडमिन्स थे, जिनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनमें से एक ने पुलिस पर पेपर स्प्रे का प्रयोग भी किया था। अब पुलिस यह जानने के लिए उस ग्रुप की जांच कर रही है कि यह प्रोटेस्ट किस तरह प्लान किया गया था। साथ ही 23 मोबाइल भी जब्त कर लिए गए हैं और फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिए गए हैं। पुलिस ने कहा "हम हिंसा में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए घटना के वीडियो फुटेज की जांच कर रहे हैं।"
दिल्ली पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन में रविवार को इंडिया गेट पर चार संगठन प्रदर्शन में मौजूद थे। पुलिस पर हमले के मामले में जांच का फोकस दो संगठनों- हिमखंड और भगत सिंह छात्र एकता मंच (BSCEM) पर है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस का कहना है कि इन दोनों समूहों से जुड़े लोगों ने माओवादी कमांडर माडवी हिडमा के पोस्टर लहराए थे। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल इन दोनों संगठनों की भूमिका सबसे संदिग्ध लग रही है, लेकिन प्रदर्शन में मौजूद बाकी संगठनों को अभी तक क्लीन चिट नहीं दी गई है।
प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने नक्सलवादियों के समर्थन में नारे लगाए। साथ ही कुछ लोगों को माओवादी नेता हिडमा के पोस्टर्स पकड़े हुए भी देखा गया। इन गतिवविधियों से इस प्रोटेस्ट का माओवादी विचारधारा से जुड़े संदेश जाने का संकेत मिल रहा है, जिससे यह प्रोटेस्ट और ज्यादा गंभीर बन गया है। संदेह किया जा रहा है कि यह प्रोटेस्ट विचारधारा-आधारित प्रोटेस्ट या उकसावे का रूप हो सकता है। इसी को आधार बनाकर इस पूरी घटना की जांच अब विस्तृत स्तर पर की जा रही है।
माडवी हिडमा माओवादी संगठनों से जुड़ा एक सक्रिय कमांडर माना जाता था। उसने कई राज्यों में हुई नक्सल गतिविधियों को लीड किया था। वह 26 से अधिक बड़े हमलों में सीधे तौर पर शामिल था। वह भारत के सबसे वॉन्टेड विद्रोहियों में से एक था, जिसे ढूंढने के लिए एक करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। हाल ही में आंध्र प्रदेश के जंगलों में सुरक्षा बलों के साथ हुई एक मुठभेड़ के दौरान वह मारा गया। यह अभियान केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त ऑपरेशन का हिस्सा था, जिसे क्षेत्र में सक्रिय नक्सली नेटवर्क को कमजोर करने के उद्देश्य से चलाया गया था। उसके मारे जाने को सुरक्षा बलों ने एक बड़ी सफलता माना, क्योंकि वह संगठन के भीतर प्रभावशाली माना जाता था और कई गतिविधियों का संचालन करता था।
इंडिया गेट के सी-हेक्सागॉन के पास यह प्रदर्शन शुरुआत में दिल्ली-NCR की खराब हवा और प्रदूषण के खिलाफ किया गया था। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनके प्रदर्शन से एम्बुलेंस और मेडिकल वर्कर्स को वहाँ से गुजरने में परेशानी हो रही है। इसके बाद भी प्रदर्शनकारियों ने वहाँ से हटने से मना कर दिया।इस वजह से पुलिस ने भीड़ को हटाने की कोशिश की। देखते ही देखते माहौल गरम हो गया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी।
पुलिस का कहना है कि इसी बीच कुछ लोगों ने पेपर स्प्रे का भी इस्तेमाल किया। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने कार्रवाई की और 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से 6 लोगों के खिलाफ पहली FIR दर्ज हुई, जिसमें महिलाओं का अपमान, चोट पहुंचाने, पुलिस के काम में बाधा डालने और आदेश नहीं मानने से जुड़ी BNS की धाराएं 74, 79, 115(2), 132, 221 और 223 लगाई गई। प्रदर्शनकारियों को इंडिया गेट से हटाए जाने के बाद कुछ लोग संसद मार्ग थाने के पास भी भड़के, जिसके आधार पर दूसरी FIR दर्ज की गई।
पुलिस ने छह में से पांच लोगों को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जबकि छठे व्यक्ति को सही उम्र पता न चलने की वजह से सेफ हाउस में रखा। इसके अलावा पुलिस ने इस मुकदमे में BNS की धारा 197 भी जोड़ दी। यह धारा राष्ट्रीय एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में प्रयोग की जाती है। इसके तहत आरोपी को 3 साल तक कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। यानी अगर कोई व्यक्ति किसी जाति, समुदाय, धर्म, क्षेत्र या भाषा के खिलाफ ऐसी बातें कहे, जिससे देश की अखंडता और एकता को नुकसान पहुंचने की संभावना हो तो उसपर बीएनएस की धारा 197 के तहत केस दर्ज किया जाता है। कानून की यह धारा उस नैरेटिव को रोकने के लिए है, जिसका इस्तेमाल अशांति फैलाने या देश तोड़ने के लिए किया जाता है।
Published on:
26 Nov 2025 11:17 am

