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धमाके से पहले 7 बार बिकी कार, मालिक नहीं बदला! 3 घंटे मस्जिद के पास खड़ी रही फिर 4 मिनट बाद धमाका

Delhi Car Blast: जांच एजेंसियां हर उस व्यक्ति से संपर्क कर रही हैं, जिसने इस कार को किसी भी चरण में खरीदा या बेचा था। शुरुआती जांच इशारा कर रही है कि कार जानबूझकर 'अनट्रेसएबल' बनाने की कोशिश की गई है। ताकि असली साजिशकर्ता तक पहुंच पाना मुश्किल हो।

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दिल्ली में धमाके से पहले सात बार बेची गई कार, लेकिन मालिक नहीं बदला।

Delhi Car Blast: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास सोमवार शाम हुए विस्फोट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना ने न केवल राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं, बल्कि जांच एजेंसियों को भी एक जटिल जाल में उलझा दिया है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, जिस सफेद रंग की i20 कार में विस्फोट हुआ, उसके सात मालिक बदल गए, लेकिन यह कार दूसरे खरीदार के नाम पर ही रही। यही कार अब इस आतंकी साजिश की सबसे अहम कड़ी मानी जा रही है। दूसरी ओर, लाल किले पर धमाके के बाद दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। संसद भवन, इंडिया गेट, हवाई अड्डा और मेट्रो नेटवर्क समेत सभी प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा है "हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।"

कार की जांच एजेंसियों के लिए बनी चुनौती

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, धमाके के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस की विशेष टीम और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) घटनास्थल पर पहुंची। इस दौरान सबसे पहले जांच के घेरे में HR26CE7674 नंबर की कार को लिया गया। रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि यह गाड़ी 2013 में बनी थी और 2014 में गुरुग्राम निवासी सलमान के नाम पर पंजीकृत हुई थी। दस्तावेजों में सलमान कार का दूसरा मालिक बताया गया। इसके बाद पुलिस की टीम ने सलमान से संपर्क साधा। सलमान ने पुलिस को बताया कि उसने यह कार ओखला निवासी देवेंद्र को बेची। देवेंद्र ने आगे यह गाड़ी अंबाला के एक व्यक्ति को बेच दी, जिसने बाद में इसे जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी आमिर को सौंप दी। आमिर के बाद यह कार फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय में कार्यरत डॉ. मुजम्मिल शकील से होते हुए डॉ. उमर मोहम्मद तक पहुंची।

मामला दर्ज, चार संदिग्ध हिरासत में

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने UAPA की धारा 16 और 18, विस्फोटक अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने तड़के पहाड़गंज के एक होटल से चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनसे पूछताछ जारी है। जांच एजेंसियां हर उस व्यक्ति से संपर्क कर रही हैं, जिसने इस कार को किसी भी चरण में खरीदा या बेचा था। सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच यह इशारा कर रही है कि कार को जानबूझकर 'अनट्रेसएबल' बनाने की कोशिश की गई है। ताकि असली साजिशकर्ता तक पहुंच पाना मुश्किल हो।

एक ही पंजीकरण पर बार-बार बदलते रहे कार मालिक

जांच में जो सबसे खास बात पता चली है, वो ये है कि यह कार कम से कम सात लोगों में हाथ में गई, लेकिन कागजों में इसका मालिक सलमान ही बना रहा। यानी इतने मालिक बदलने के बावजूद कार का रजिस्ट्रेशन सलमान के नाम पर ही रहा। यही बात सुरक्षा एजेंसियों की जांच को जटिल बना रही है। दूसरी ओर, विशेषज्ञों के मुताबिक सेकेंड हैंड वाहन कारोबार में यह आम बात है। कई बार खरीदार रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर नहीं कराते। ताकि टैक्स और कागजी प्रक्रिया से बचा जा सके। यही लापरवाही आपराधिक तत्वों के लिए मौका बन जाती है, क्योंकि ऐसी गाड़ियों का असली मालिक ढूंढना मुश्किल हो जाता है।

तीन घंटे तक खड़ी रही कार, फिर हुआ धमाका

सीसीटीवी फुटेज ने इस रहस्य को और गहराई दी है। जांचकर्ताओं के मुताबिक यह कार फरीदाबाद से दिल्ली आई, बदरपुर बॉर्डर पार करके आईटीओ, सराय काले खां होते हुए लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास पहुंची। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, यह कार दोपहर 3:19 बजे एक मस्जिद के पास पार्किंग में दाखिल होती है और अगले तीन घंटे तक वह वहीं खड़ी रहती है। इस दौरान ड्राइवर ने गाड़ी से बाहर कदम भी नहीं रखा। इसके बाद शाम 6:48 बजे कार पार्किंग से निकली और नेताजी सुभाष मार्ग के ट्रैफिक सिग्नल तक पहुंची और 6:52 बजे, ज़ोरदार धमाका हुआ जिसने आसपास खड़े कई वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया।

क्या यह आत्मघाती हमला था?

लाल किले के पास कार में अचानक धमाका होने से आसपास के लोग दहशत में भागने लगे, जबकि दिल्ली पुलिस और दमकल की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। सुरक्षा एजेंसियां प्रथम दृष्टया कार में बैठे व्यक्ति को डॉ. उमर मान रही हैं। इसके साथ ही अब यह पता लगाने की कोशिश जा रही है कि क्या कार में बैठे व्यक्ति ने खुद विस्फोट किया, जिसमें वह मारा गया या फिर यह रिमोट-ट्रिगर किया गया विस्फोट था। प्राथमिक जांच में संकेत मिले हैं कि यह आईईडी (Improvised Explosive Device) था। एनएसजी और फॉरेंसिक विशेषज्ञ विस्फोट स्थल से मिले अवशेषों का रासायनिक विश्लेषण कर रहे हैं। दूसरी ओर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, अंबाला और पुलवामा में पुलिस व खुफिया एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। स्थानीय पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) इस पूरे नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हैं।