
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे सिर्फ एक राज्य का नतीजा नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की धुरी को हिलाने वाला घटनाक्रम है। यह नतीजा उस समय आया है, जब संसद के शीतकालीन सत्र की तैयारियां चल रही हैं। साथ ही 2026 में होने वाले पश्चिम बंगाल, असम, केरल और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव के लिए सभी दल कमर कस रहे हैं। ऐसे में एकतरफा जीत से खासतौर पर भाजपा को संबल मिला है। जबकि इंडिया ब्लॉक की करारी हार विपक्षी एकता को हिलाने वाली साबित हो सकती है।
ऐतिहासकि जीत से स्वाभाविक रूप से एनडीए को खूब ताकत मिली है। इसके चलते मोदी सरकार-3 को ताकत मिली है, जिसका असर सरकार के कामकाज में देखने को मिल सकता है। संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के लिए आसानी हो गई है। अब भाजपा आसानी से पीएम, सीएम, मंत्रियों के एक महीने जेल जाने वालों को पद छोडऩे वाले संविधान संशोधन जैसे विधेयकों को पारित करवा सकेगी। वहीं इंडिया ब्लॉक के लिए आगे की राह मुश्किल भरी है। शीतकालीन सत्र विपक्षी एकता की पहली अग्निपरीक्षा सबित हो सकता है। अब तक विपक्ष एकजुट होकर संसद में आक्रमक रूप से सरकार को घेरता रहा है। अब यह हालात बदल सकते हैं। साथ ही कई विधेयकों पर मतभेद भी खुलकर सामने आ सकते हैं। वहीं सपा, टीएमसी, डीएमके, वामपंथी दल अपने हिसाब से राष्ट्रीय विमर्श सेट करने की कोशिश करते दिखेंगे।
अब तक नीतीश कुमार के जेडीयू के समर्थन के बिना एनडीए सरकार के टिकाऊ होने पर सवाल खड़े होते थे। बिहार नतीजों ने सारे समीकरण बदल डाले हैं। भाजपा ने जिस तरह से सीटें हासिल की है, उसके चलते नीतीश चाह कर भी भाजपा को आंख नहीं दिखा सकते हैं। भाजपा को केन्द्र में सरकार चलाने के लिए जितनी जरूरत नीतीश की है, उतनी ही जरूरत नीतीश को बिहार में सरकार चलाने के लिए भाजपा की होगी। साथ ही भाजपा के प्रदर्शन से भविष्य में उसके अकेले चुनाव लडऩे की राह भी खुल गई है।
भाजपा:
1. आक्रमकता के साथ अपना चुनावी अभियान चलाएगी।
2. तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के आमने सामने का होने का फïयदा उठा सकेगी
तृणमूल कांग्रेस:
1. आत्मविश्वास भरपूर, लेकिन बिहार नतीजों से सतर्क
2. बिहार में कांग्रेस के बदतर प्रदर्शन से टीएमसी का गठबंधन मुश्किल
यहां वैसे ही इंडिया ब्लॉक के दो सहयोगी दलों के गठबंधनों में मुकाबला होता रहा है। अब यहां भाजपा पूरी ताकत के साथ अपने प्रदर्शन को सुधारने की कोशिश में है। ऐसे हालात में सत्ताधारी वामपंथी दलों और विपक्षी कांग्रेस के साथ भाजपा के बीच दिलचस्प मुकाबला हो सकता है।
यहां कांग्रेस का डीएमके से गठबंधन है। हालांकि डीएमके के मुकाबले कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। बिहार के नतीजों से यहां कांग्रेस की बारगेनिंग पावर कम होती दिखेगी और सीट बंटवारे में डीएमके का दबदबा कायम रह सकता है। वहीं विपक्षी भाजपा यहां भी अपना प्रदर्शन सुधारना चाहती है।
Published on:
15 Nov 2025 11:52 am
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