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सड़क किनारे संदिग्ध हालत में पड़ा दिखा तेंदुए का शव, कटघरे में वन विभाग

Leopard Dead Body Found On Roadside : तेंदुए की सड़क हादसे में मौत के चलते फॉरेस्ट डिपार्टमेंट कटघरे में आ गया है। चीता प्रोजेक्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं।

नीमच

Faiz Mubarak

Sep 16, 2025

Leopard Dead Body Found On Roadside
तेंदुए की मौत के बाद कटघरे में वन विभाग (Photo Source- Patrika Input)

Leopard Dead Body Found On Roadside : मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अंतिम छोर करणपुरा इलाके में बीती रात एक तेंदुए का शव सड़क किनारे संदिग्ध हालत में पड़ा मिला था। शुरुआती तौर पर माना जा रहा है कि, सड़क क्रॉस करते वक्त किसी भारी वाहन की चपेट में आने से तेंदुए की मौके पर ही मौत हो गई है। खास बात ये है कि, ये घटनाक्म चीता प्रोजेक्ट की फेंसिंग के बाहर का बताया जा रहा है। इस घटनाक्रम को लेकर जहां एक तरफ वन विभाग कटघरे खड़ा नजर आ रहा है, जबकि चीजा प्रोजेक्ट पर भी सवाल कड़े होने लगे हैं।

वन विभाग का दावा रहा है कि, चीतों को छोड़ने से पहले इलाके में कोई तेंदुआ मौजूद नहीं था। लेकिन, लगातार तेंदुओं की मौत और विस्थापन ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये चौथा मामला है, जब चीता प्रोजेक्ट के दौरान तेंदुए की मौत हुई है।

अज्ञात वाहन की टकक्र की आशंका

रात में अज्ञात वाहन की टक्कर से तेंदुए की मौत की संभावना जताई जा रही है। गांधी सागर से रामपुर की ओर रावलकुड़ी गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर सड़क पर तेंदुआ मृत अवस्था में पाया गया है बताया जा रहा है कि वाहन की टक्कर से मौत हुई है

लाखों खर्च- फिर भी सवाल जस के तस

सूत्रों के मुताबिक, तेंदुए को विलुप्त घोषित करने और विस्थापित करने में वन विभाग ने लाखों रुपए खर्च कर दिए हैं। अब तक लगभग 30 तेंदुओं को अन्यत्र भेजा गया है। बावजूद इसके तेंदुओं की मौतों का सिलसिला लगातार जारी है। विशेषज्ञों की मानें तो वन विभाग की लापरवाही और योजना में खामियों की ओर इशारा करता है।

फोटो-वीडियो पर पाबंदी, गलती छुपाने का आरोप

हादसे के बाद वन विभाग द्वारा मीडिया या स्थानीय लोगों को घटना स्थल की तस्वीरें और वीडियो लेने से रोक दिया गया। इस पर स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग अपनी गलती को छिपाने की कोशिश कर रहा है।

चीता प्रोजेक्ट की पारदर्शिता पर सवाल

नीमच जिले में बार-बार हो रही घटनाओं ने चीता प्रोजेक्ट की पारदर्शिता और सफलता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। अब सवाल ये उठता है कि, क्या करोड़ों की लागत वाले इस प्रोजेक्ट से वन्यजीव संरक्षण को फायदा हो रहा है या यह सिर्फ कागजों पर सफल दिखाया जा रहा है। घटना सरकार और वन विभाग दोनों के लिए बड़ी चुनौती है। अब देखने वाली बात होगी कि जांच और जवाबदेही की दिशा में आगे कौन से ठोस कदम उठाए जाते हैं।