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खतरे में प्राचीन हनुमान मंदिर का अस्तित्व, प्रशासन और जिम्मेदारों ने मूंदी आंखें!

MP News: बरसात का पानी प्राचीन हनुमान मंदिर और गंगा बावड़ी पर कहर बनकर टूट पड़ा है। नाले की दीवार रोक बनी, मंदिर जलमग्न और मार्ग तालाब में तब्दील।

नीमच

Akash Dewani

Sep 14, 2025

ancient Hanuman temple Athana-Javad road neemuch mp news
ancient Hanuman temple Athana-Javad road neemuch (Patrika.com)

MP News: मध्य प्रदेश के नीमच के अठाना-जावद मार्ग (Athana-Javad road) पर स्थित प्राचीन श्री हनुमानजी मंदिर (Ancient Hanuman temple) एवं गंगा बावड़ी मर्गा बाग मंदिर परिसर में बरसात का पानी जमा होने से मंदिर और बावड़ी दोनों पर संकट छाया हुआ है। मंदिर कभी भी धराशायी हो सकता है। इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

2008 से शुरू हुई दिक्कत

यह प्राचीन धरोहर पर संकट के बादल वर्ष 2008 से आरंभ हुए। तब यहां इस बावड़ी और मंदिर के समीप पुराना नाला जिसमें कई क्षेत्र से - बरसात का पानी बहकर आता है। यह पानी मंदिर परिसर स्थित प्राचीन नाले में बहकर श्री ज्वालामुखी बालाजी मंदिर के पीछे होता हुआ गंभीर नदी में प्रवाहित होता था। वहां किसी किसान द्वारा जावद निवासी किसान को जमीन बेच देने के बाद में नाले से अपने खेत की सुरक्षा हेतु दीवाल बना दी गई। पुराना नाला जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था वहां दीवाल बनाकर पानी रोका गया।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने मूंदी आंखें

वर्ष 2008 से लेकर अब तक शासन-प्रशासन या जनप्रतिनिधियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। न ही समाजसेवी या धार्मिक संस्था ने इस मामले में आगे आकर मंदिर और बावड़ी की सुरक्षा हेतु कोई पहल नहीं की। परिणाम स्वरूप 15 दिनों से बरसात का पानी मंदिर में श्री बालाजी महाराज के घुटनों तक भरा हुआ है। वहीं बावड़ी पूरी जलमग्न होकर पानी में डूबी गई है। इस कारण वहां एक दीवाल बना देने से खेतों से होकर आने वाला पानी यहां संग्रहित होकर एक तालाब नुमा सरोवर बन चुका है।

मार्ग में भी भर रहा पानी

इससे तारापुर उमेदपुरा मैडकी पिपलिया प्रेम जी आदि को जोड़ने वाला मार्ग भी बाधित हो रहा है। यहां पानी भरा रहने से राहगीरों के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। मार्ग पर पानी भरा होने से लोग जावद के राम द्वारा शासकीय चिकित्सालय से तारापुर उमेदपुरा पिपलिया प्रेम जी मेंढकी मार्ग का उपयोग करने को विवश है।

मंदिर के पुजारी ने जताई चिंता

मंदिर के पुजारी बालक दास ने बताया कि पिछले कई वर्षों से मंदिर की तीन बीघा कृषि भूमि पर कोई फसल नहीं बो रहे है। जब भी फसल बोई गई तब तब बरसात के पानी से यहां तालाब बन जाता है। इससे फसल गुल कर नष्ट हो जाती है। इसके चलते उन्होंने फसल लेना ही बंद कर दिया। पुजारी ने बताया कि उन्हें पिछले 3 साल से मंदिर पुजारी का वेतन भी प्राप्त नहीं हो रहा है। मंदिर व्यवस्था पूजा अर्चना स्वयं वहन कर रहे है। अनेक बार शासन-प्रशासन को यहां हो रही पानी भराव की समस्या से अवगत कराया, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात साबित हुए।


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