Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

भाजपा और माकपा नेताओं से क्या सीखा- टीएमसी सांसद ने लिख कर दुनिया को बताया

TMC सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा कि भाजपा और माकपा के नेताओं से अपने संसदीय जीवन में काफी कुछ सीखने को मिला है। उन्होंने CPI (M) के महासचिव रहे सीताराम येचुरी को उनके पुण्यतिथि पर याद किया। पढ़िए TMC सांसद को सीताराम येचुरी ने क्या सीख दी थी।

भारत

Vijay Kumar Jha

Sep 12, 2025

टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन

ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ'ब्रायन (Derek O'Brien) ने वामपंथी नेता सीताराम येचुरी से सीखी एक बात याद की है। उन्होंने बताया कि येचुरी से यह सीख मिली कि अगर सदन में सभापति आपकी बात पर ध्यान नहीं दें या आपको बोलने की इजाजत नहीं दें तो क्या करें? विरोध में दस मिनट के लिए वाक आउट कर जाइए। दस मिनट के बाद वापस आ जाइए।

टीएमसी सांसद ने बताया कि आजकल विपक्ष सदन में यह तकनीक खूब आजमा रहा है और संसद के कफेटेरिया में कई लोग इसका श्रेय मुझे देते हुए सुने गए हैं।

संयोग ऐसा रहा कि डेरेक ओ'ब्रायन ने 'इंडियन एक्सप्रेस' में लिखे अपने साप्ताहिक स्तम्भ में येचुरी से सीखी गई बात का जिक्र उस दिन (12 सितंबर, 2025) किया है, जिस दिन वामपंथी नेता की पहली पुण्यतिथि है। 2024 में 12 सितंबर को ही येचुरी का निधन हुआ था। उनके निधन के बाद परिवार ने उनका देह दान किया था।

डेरेक ने विपक्ष के अन्य नेताओं से सीखी गई बातों को भी याद किया है। इनमें ज़्यादातर नेता बीजेपी के हैं, जैसे- सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, प्रकाश जावडेकर, पीपी चौधरी। जेटली से जुड़े एक वाकये का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 2015 में कैसे उन्होंने एक सांसद के निजी विधेयक का प्रस्ताव पास करवाया था।

टीएमसी सांसद ने बताया है कि तिरुचि सिवा समलैंगिकों के अधिकार से जुड़ा एक निजी बिल लाने पर अड़े थे। सत्ता पक्ष ने बिल वापस लेने के लिए उन्हें समझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने मत विभाजन की मांग रख दी। इसके बाद जेटली ने सदन में कहा कि यह बिल सदन की भावना प्रकट करता है और सदन ध्वनि मत से इस भावना का समर्थन करेगा। तब 45 साल में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी सांसद द्वारा लाया गया निजी विधेयक पारित हुआ था।

बता दें कि डेरेक ओ'ब्रायन तीन बार सांसद बन चुके हैं और ममता बनर्जी ने फिलहाल उन्हें टीएमसी संसदीय दल के नेता की ज़िम्मेदारी दी हुई है। उन्होंने अपने कॉलम में जिस माकपा और भाजपा के नेताओं से मिली सीख को याद किया है, वे दोनों पार्टियां तृणमूल कांग्रेस की धुर विरोधी हैं। ममता ने वामपंथी शासन को शिकस्त देकर ही पश्चिम बंगाल में अपनी जमीन बनाई थी और अब उस जमीन को बचाए रखने के लिए भाजपा से लड़ रही है।