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वर्चुअल पेशी की इजाजत नहीं है… स्ट्रीट डॉग्स मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सख्ती दिखाते हुए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को फिजिकली पेश होने का आदेश दिया है।

भारत

Devika Chatraj

Oct 31, 2025

स्ट्रीट डॉग्स मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती (ANI)

आवारा कुत्तों से निपटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को फिजिकली पेश होना ही होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की वर्चुअल पेशी की मांग को सिरे से खारिज करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, "कोई छूट नहीं, उन्हें आना ही पड़ेगा।"

स्ट्रीट डॉग मामले में सख्त SC

यह मामला जुलाई 2025 में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था, जिसमें दिल्ली में बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमलों और रेबीज के बढ़ते मामलों का जिक्र था। 22 अगस्त को कोर्ट ने एनीमल बर्थ कंट्रोल (ABC) रूल्स 2023 के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और डीवर्मिंग के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। लेकिन 27 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) ने ही अनुपालन किया है। बाकी सभी ने हलफनामा दाखिल नहीं किया, जिस पर कोर्ट ने मुख्य सचिवों को तलब किया।

सॉलिसिटर जनरल की अपील खारिज

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच से अनुरोध किया कि मुख्य सचिवों को फिजिकली आने के बजाय वर्चुअल तरीके से पेश होने की इजाजत दी जाए। लेकिन बेंच ने इसे साफ तौर पर नकार दिया। जस्टिस नाथ ने तल्खी से कहा, "नहीं, उन्हें फिजिकली आने दें। कोर्ट ने कहा कि "कोर्ट के आदेशों का कोई सम्मान नहीं"। बिहार सरकार ने भी विधानसभा चुनावों का हवाला देकर छूट मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उसे भी खारिज कर दिया।

आवारा कुत्तों की समस्या पर कोर्ट की चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर इंसानों की सुरक्षा और पशु कल्याण दोनों पर जोर दिया है। प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 37 लाख से ज्यादा कुत्ते काटने की घटनाएं दर्ज हुई हैं, जिनमें दिल्ली में अकेले 25,201 मामले हैं। कोर्ट ने राज्यों से संसाधनों जैसे डॉग पाउंड, पशु चिकित्सकों, कुत्ता पकड़ने वाले कर्मचारियों और विशेष वाहनों की पूरी जानकारी मांगी है।

जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच को सौंपा मामला

यह मामला पहले जस्टिस यायती चंद्रचूड़ की बेंच के पास था, लेकिन आलोचनाओं के बाद चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इसे जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच को सौंप दिया। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने पहले कोर्ट के सख्त रुख पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अब कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह इंसानों और कुत्तों दोनों के हित में है।