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गंभीर चिन्ता : जलआवक में रोड़े बने रास्ते, वनों की अवैध कटाई से पहाड़ी राज्यों में आई भीषण बाढ़

मौसम विभाग की चेतावनी, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अब यदि सुधार के कदम नहीं उठाए तो वर्षों में और भी भीषण बाढ़ों का सामना करेगा उत्तर भारत उत्तर भारत के राज्यों में बाढ़-आपदाओं की घटनाओं ने मौसम विज्ञान से लेकर जलवायु विशेषज्ञों को भी चिन्ता में डाल दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने (आईएमडी) […]

IMD issued Heavy rain alert again from tonight floods in Delhi-NCR yamuna flood
दिल्ली में कई इलाके जलमग्न हो गए।

मौसम विभाग की चेतावनी, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, अब यदि सुधार के कदम नहीं उठाए तो वर्षों में और भी भीषण बाढ़ों का सामना करेगा उत्तर भारत

उत्तर भारत के राज्यों में बाढ़-आपदाओं की घटनाओं ने मौसम विज्ञान से लेकर जलवायु विशेषज्ञों को भी चिन्ता में डाल दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने (आईएमडी) उत्तर भारत में आपदा घटनाओं लेकर संक्षिप्त व तीव्र बारिश को प्रारम्भिक चेतावनी संकेत करार दिया है।

आइएमडी का कहना है कि अब खतरा केवल बारिश की मात्रा से नहीं, बल्कि कुछ घंटों या दिनों में उसकी सघनता से है।पिछले कुछ वर्षों में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां थोड़े समय में रेकॉर्ड बारिश से अचानक बाढ़ आई और तबाही मचाई। अब एक ही दिन में महीने जितनी बारिश होना आम बात हो गई है। इसके लिए विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन का भी बड़ा कारण माना है।

आएमडी के अनुसार दो-तीन बार भारी बारिश भी अब बाढ़ का कारण बन सकती है। पिछले एक दशक में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी है। इसको लेकर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की ओर से बारिश के 68 साल के विश्लेषण में भी मौसम के पैटर्न में बदलाव सामने आया है। जिसमें बारिश के दिन तो कम होते हैं, लेकिन कम समयावधि में बारिश अधिक तीव्र होती है।

इसलिए खतरनाक संक्षिप्त व तीव्र बारिश-

-कुछ घंटों में महीने जितनी बारिश, लेकिन जल निकासी की कमी।

-बांधों में जगह कम पडऩे से अचानक पानी छोडऩा पड़ता है।

-तटबंध व जलमार्गों पर अतिक्रमण से बाढ़ का खतरा बढ़ता है।

कम समय में ऐसे मची तबाही-

-9 जुलाई 2023 को चंडीगढ़ में 24 घंटों में 302.2 मिमी बारिश। सुखना झील के गेट खोलने पड़े। पंजाब के रोपड़ व नवांशहर में 48 घंटे में 400 मिमी बारिश हुई। सतलुज नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंचा और 1400 गांव जलमग्न हो गए।

-16 अगस्त 2023 को ब्यास नदी पर बने पोंग बांध में अब तक का सबसे ज्यादा 7.30 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया। बांध का जलस्तर चार दिन में 25 फीट बढ़ गया।

-इस साल अगस्त 2025 में हिमाचल में सामान्य से 49 प्रतिशत अधिक और पंजाब में 54 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज। यह क्रम 1949 और 26 वर्षों का रेकॉर्ड तोडऩे वाला रहा। कुछ ही दिनों में बांधों में जलस्तर तेजी से बढऩे से निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया।

आइएमडी ने राज्यों को चेताया-

आईएमडी ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर की सरकारों को चेताया किया है कि इन घटनाओं को नए सामान्य यानी प्रारम्भिक चेतावनी संकेतक मानकर बाढ़ प्रबंधन, जल संग्रह व जलवायु-प्रतिरोधी बुनियादी ढांचों में सुधार पर ध्यान देना होगा। यदि सुधार के कदम तुरंत नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में और भी भीषण बाढ़ों का सामना करना पड़ सकता है।

बीते 24 घंटे : बारिश-बाढ़ से परेशानी बरकरार-

-दिल्ली शहर के कई क्षेत्रों के घरों में यमुना नदी का पानी घुसने से परेशानी बढ़ी। अल्लीपुर में एनएच-44 पर फ्लाइओवर का एक हिस्सा धंसा।

-पंजाब व हरियाणा में बाढ़ का कहर बराकरार। बचाव-आपदा कार्य जारी।

-मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी में जलप्रवाह बढऩे से घाट किनारे मंदिर डूबे। रतलाम में रेलवे प्लेटफार्म पानी डूबा।

-उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में 25 गांव व मथुरा में 6 गांव बाढ़ में डूब गए हैं।

-भारी बारिश के कारण अहमदबाद-मुम्बई हाइवे पर 15 किमी लम्बा जाम लगा।

-राजस्थान के अजमेर शहर में जेएलएन अस्पताल समेत कई बस्तियों में पानी घुसा।

गुजरात, राजस्थान व मध्यप्रदेश में तीन दिन और भारी बारिश

आइएमडी : तीन दिन और और अत्यधिक भारी बारिश काअलर्ट

मौसम विभाग ने 7 सितम्बर तक गुजरात राज्य में अत्यधिक भारी बारिश एवं पूर्वी व पश्चिमी राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों भारी बारिश की संभावना जताई है। शुक्रवार को कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भारी बारिश की संभावना है। आइएमडी की ओर से जारी 4 सितम्बर से 10 सितम्बर व 11 से 17 सितम्बर तक दो सप्ताह के पूर्वानुमान के अनुसार देश में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की गतिविधियां बनी रहेगी। हालांकि अलगे सप्ताह में मानसून का प्रभाव पूर्व व पूर्वाेत्तर राज्यों व मध्य-दक्षिण भारत में रहेगा। ऐसे में अगले सप्ताह उत्तर-पश्चिम भारत के राज्यों को बारिश से राहत मिलने की संभावना है।

समुद्र स्तर 78 सेमी बढ़ने का खतरा-

चेन्नई में अन्ना यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड डिजास्टर मैनेजमेंट की ओर से एक स्टडी में बताया गया कि जलवायु परिर्वतन के कारण तमिलनाडु का तट भविष्य में गंभीर खतरे का सामना कर सकता है। इसके अनुसार वर्ष 2100 तक समुद्र का जलस्तर 78.15 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। इससे तटीय जिलों में बाढ़ और खारे पानी का खतरा बढ़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट : पेड़ों की अवैध कटाई से आई आपदाएं

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल व पंजाब में बाढ़ व बारिश से संबंध में दायर एक याचिका को लेकर केन्द्र व राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान बाढ़-आपदा पर गंभीर चिन्ता जताते हुए कहा कि पहाडिय़ों में वनों की अवैध कटाई हो रही है। कोर्ट ने हिमाचल में बाढ़ के साथ बड़ी संख्या में बहकर आई लकडिय़ों के वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तरी राज्यों में पेड़ों की अवैध कटाई के कारण ही आपदाएं आ रही है।