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PM मोदी की भूपेन हजारिका को भावुक श्रद्धांजलि, गुवाहाटी में कही ये दिल छूने वाली बात

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब 1962 का युद्ध हुआ तो असम उस लड़ाई को प्रत्यक्ष देख रहा था। तब भूपेन दा ने देश की प्रतिज्ञा को बुलंद किया था। उस प्रतिज्ञा ने देशवासियों में नया जोश भर दिया था।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo-IANS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी में भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी समारोह में भावुक श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने भूपेन दा को 'सुधा कोंथो' कहकर संबोधित करते हुए कहा कि उनकी आवाज और गीत भारत की विकास यात्रा के साक्षी हैं।

भूपेन दा: भारत की भावनाओं की आवाज

प्रधानमंत्री ने कहा कि 8 सितंबर को भूपेन दा के जन्मदिन पर मैंने एक लेख में अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं। उनके जन्म शताब्दी समारोह में शामिल होना मेरा सौभाग्य है। उन्होंने भूपेन हजारिका को 'सुधा कोंथो' बताते हुए कहा, उन्होंने भारत की भावनाओं को वाणी दी। भूपेन दा भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके गीत और आवाज आज भी भारत को ऊर्जा देते हैं। मोदी ने बताया कि सरकार भूपेन दा की शताब्दी को गर्व के साथ मना रही है।

असम का स्वाभिमान और भूपेन दा का योगदान

मोदी ने असम के स्वाभिमान को भूपेन हजारिका के गीतों से जोड़ा। उन्होंने कहा, 1962 के युद्ध में जब असम युद्ध का साक्षी बना, तब भूपेन दा ने अपने गीतों से देशवासियों में जोश भरा। उनकी प्रतिज्ञा ने भारत को एकजुट किया। उन्होंने असम की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भूपेन दा ने इसे वैश्विक मंच पर पहुंचाया।

पूर्वोत्तर की एकता के महानायक

प्रधानमंत्री ने भूपेन हजारिका को भारत की एकता का प्रतीक बताया। जब पूर्वोत्तर उपेक्षा और हिंसा का शिकार था, तब भूपेन दा ने एकता की आवाज बुलंद की। उन्होंने समृद्ध और सुंदर पूर्वोत्तर का सपना देखा और अपने गीतों में इसे बखूबी उतारा। मोदी ने कहा कि भूपेन दा के गीत आज भी पूर्वोत्तर के सौंदर्य और संस्कृति को जीवंत रखते हैं।

जन्म शताब्दी का गर्व

पीएम मोदी ने कहा कि भूपेन दा की शताब्दी समारोह में शामिल होना उनके लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का जिक्र करते हुए कहा, मुख्यमंत्री कह रहे थे कि मैंने यहाँ आकर उपकार किया, लेकिन यह मेरा सौभाग्य है। उन्होंने भूपेन दा की विरासत को देश की धरोहर बताया।