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दुबई में 40 हजार रुपये की नौकरी का ऑफर, कंबोडिया में छीन लिए गए पासपोर्ट; जानें ठगों की चंगुल से बचकर कैसे वापस लौटे 3 भारतीय?

नौकरी का झांसा देकर तीन भारतीयों को कंबोडिया ले जाया गया, जहाँ उनके पासपोर्ट छीन लिए गए और उन्हें गुलामों की तरह काम करने पर मजबूर किया गया! 40,000 रुपये मासिक वेतन का लालच देकर दुबई भेजने के बाद कंबोडिया में फंसे इन तीनों ने कैसे बचकर भारत वापसी की, जानिए पूरी कहानी। यह खबर उन सभी के लिए चेतावनी है जो विदेश में नौकरी की तलाश में हैं। सावधान रहें, ठगों के जाल में न फँसें!

भारत

Mukul Kumar

Aug 30, 2025

साइबर ठगों का नया तरीका (Photo source- Patrika)
प्रतीकात्मक तस्वीर। (फोटो- IANS)

विदेश में नौकरी के नाम पर आए दिन लोगों को ठगा जाता है। कुछ मामलों में लोगों के पैसे डूब जाते हैं। वहीं, कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें विदेश बुलाकर लोगों के पासपोर्ट छीन लिए जाते हैं और उन्हें बिना पैसे के काम कराया जाता है।

इस तरह का एक नया मामला इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल, पिछले साल मार्च में तीन भारतीयों अश्विनी कुमार, बिंदर सोढ़ी और रमन कंबोडिया को पैसों और नौकरी का झांसा देकर अपना देश छोड़ने को मजबूर किया गया।

विदेश में उनके साथ क्या हुआ?

इसके बाद, विदेश में उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिससे लोग देश छोड़कर बाहर जाने में कई बार सोचेंगे। हरियाणा के रहने वाले अश्विनी कुमार ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को अपनी दर्दनाक कहानी बताई।

कुमार ने बताया कि विदेश में एक कंपनी उनसे स्कैम करा रही थी। उन्होंने कहा कि वह दुबई नौकरी के लिए गए थे, लेकिन ठगों के जाल में फंस गए।

कुमार ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस को भी एक मेल किया था। ट्रेसिंग के बाद यह पता चला था कि मेल कंबोडिया स्थित भारतीय दूतावास से भेजा गया था। अब उसके आधार पर शिकायत दर्ज की चुकी है।

दुबई बुलाकर कंबोडिया भेजा गया

ईमेल में कुमार ने कहा कि अली खुमेनी नाम के एक शख्स ने उन्हें दुबई में नौकरी दिलाने के बहाने तस्करी के जरिए कंबोडिया तक पहुंचा दिया। मार्च 2024 में कुमार खुमेनी की बातों में आकर नौकरी करने दुबई पहुंच गए। वहां पहले से ही कई भारतीयों को स्कैम का शिकार बनाया गया था।

खुमेनी ने खुद को एक एचआर बताते हुए कुमार को दुबई में डेटा एंट्री की नौकरी दिलाने की बात कही थी। वह व्हाट्सएप के जरिए कुमार के साथ संपर्क में था।

हर माह 40 हजार रुपये वेतन पर बात तय हुई। इसके बाद, खुमेनी ने कुमार को 27 मार्च, 2024 को दुबई जाने वाली फ्लाइट का टिकट भेजा।

कुमार ने आगे बताया कि दुबई पहुंचने के बाद उन्हें और कई अन्य लोगों को एक कॉल सेंटर में एक चीनी नागरिक ने सात दिनों तक ट्रेनिंग दी।

कुमार सहित सभी लोगों को कंपनी की अनुमति के बिना परिसर से बाहर न जाने या किसी बाहरी व्यक्ति से बात न करने के लिए कहा गया था।

कुमार को थोड़े दिनों बाद यह पता चल गया कि कॉल सेंटर के लोग से बाहरी नंबर से भारतीय नागरिकों को निशाना बनाते हैं। चीनी नागरिक झोंग कांग दुबई में कॉल सेंटर चलवाता था।

कुमार ने यह भी कहा कि जब उन्होंने संचालकों की बात नहीं मानी, तो उन्हें पीटा गया और धमकाया गया। कुमार ने बताया कि एक दिन कॉल सेंटर में छापा पड़ गया, जिसके बाद कर्मचारियों को रातोंरात शिफ्ट कर दिया गया।

कुमार ने बताया कि उन्हें 2 मई, 2024 को एमिरेट्स की फ्लाइट से बैंकॉक ले जाया गया। वहां से फिर उन्हें कंबोडियाई सीमा के पास ले जाया गया, जहां सभी के पासपोर्ट छीन लिए गए। इसके बाद, सभी लोग हम पैदल सीमा पार कर गए।

फिर सीमा से लगभग पांच मिनट की दूरी पर एक परिसर में उन्हें रखने की व्यवस्था की गई। वहां सभी लोग यह देखकर स्तब्ध रह गए कि आस-पास दो कंपनियां थीं, जहां 600 भारतीयों को एक ही काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।

सभी के पासपोर्ट छीन लिए गए

कुमार ने बताया कि कंपनी के लोग वहां काम करने वाले सभी लोगों के पासपोर्ट छीन लेते थे। गार्ड लगातार मजदूरों पर नजर रखते थे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बिना अनुमति के परिसर से बाहर न जाए।

कुमार ने कहा कि उनके साथ कैदियों और गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था। इसके साथ, उन्हें धमकी दी जाती थी कि अगर वे भागने की कोशिश करेंगे तो उन्हें नुकसान पहुंचाया जाएगा। अगर कोई भागता था तो उनकी खूब पिटाई होती थी।

इसके बाद, पिछले साल 15 जुलाई को, वे जरूरत की चीजें खरीदने के लिए चार घंटे के लिए बाहर निकले। ऐसा मौका उन्हें महीने में सिर्फ एक बार ही मिलता था। तीनों टैक्सी से सीधे भारतीय दूतावास पहुंच गए। वहां अपनी आपबीती सुनाई। जिसके तुरंत बाद उन्हें वापस भारत भेज दिया गया।

पुलिस ने क्या कहा?

इसके बाद, जांच के दौरान पुलिस को खुमेनी का पता मेरठ में चला। जुलाई 2024 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान, उसने एक चीनी कंपनी में मानव संसाधन (एचआर) अधिकारी के रूप में काम करना स्वीकार किया, जो धोखाधड़ी में शामिल थी।

पुलिस ने कहा कि इस मामले में 2024 और 2025 की शुरुआत में कई गिरफ्तारियां हुईं। इस घोटाले की जांच वर्तमान में डीसीपी (आईएफएसओ) विनीत कुमार की निगरानी में चल रही है। कुमार दुबई लौट आए हैं, अब एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं।