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बेटे के बचाव में उतरे अजित पवार, कहा- उसे नहीं पता था वो जमीन सरकारी थी

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार पर लगे ₹1800 करोड़ की सरकारी जमीन घोटाले के आरोपों पर सफाई दी है, यह कहते हुए कि उनके बेटे को जमीन के सरकारी होने की जानकारी नहीं थी और विवादित ₹300 करोड़ का सौदा रद्द कर दिया गया है, जबकि विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।

भारत

Himadri Joshi

Nov 08, 2025

Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar and his son Parth Pawar
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनका बेटा पार्थ पवार (फोटो- अविषेक गोयल एक्स पोस्ट)

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़े जमीन घोटाले ने राजनीतिक जगत में बवाल ला दिया है। मामले का खुलासा होने के बाद से ही विपक्ष सरकार पर हमलावर है और डिप्टी सीएम अजित पवार के इस्तीफे की मांग कर रहा है। पहले जहां पवार ने इस मामले से खुद को अलग करते हुए यह कह दिया था कि उनका इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है, वहीं अब उन्होंने अपने बेटे के पक्ष में बयान देते हुए उसे बेगुनाह बताया है। शुक्रवार को इस मामले पर बयान देते हुए पवार ने कहा कि, मेरे बेटे को नहीं पता था कि उसकी कंपनी ने पुणे में जो जमीन खरीदी है, वह सरकारी है। साथ ही पवार ने यह भी जानकारी दी कि जमीन को लेकर हुआ 300 करोड़ रुपये का सौदा भी अब रद्द कर दिया गया है।

पार्थ को जमीन के सरकारी होने की जानकारी नहीं - पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख अजित पवार राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा हैं। इस मामले को लेकर शुक्रवार शाम पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उनके मुंबई स्थित सरकारी निवास पर मुलाकात की। इसके बाद पवार ने मीडिया से बातचीत करते हुए अपने बेटे के पक्ष में बयान दिया। उन्होंने कहा, विवाद से जुड़ी जमीन सरकारी है, जिसे बेचा नहीं जा सकता। पार्थ और उनके साथी दिग्विजय पाटिल को इस बात की जानकारी नहीं थी। इस जमीन की बिक्री का रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इस बात की जांच की जाएगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खारगे के नेतृत्व में इस मामले की जांच हो रही है और वह एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

ज़मीन देने के लिए अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं डाला गया - पवार

पवार ने यह भी कहा कि, पार्थ पवार की कंपनी (अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी) को जमीन देने के लिए अधिकारियों पर कोई दबाव नहीं डाला गया था। अपनी और अपने बेटे पार्थ की भूमिका के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा, एफआईआर में तीन लोगों के नाम हैं, जिनमें दिग्विजय पाटिल भी शामिल हैं, लेकिन उनके बेटे पार्थ का नाम नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि केवल इन तीन लोगों ने ही दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए रजिस्ट्रार के दफ्तर का दौरा किया था।

मैंने इस लेन-देन के संबंध में कोई फ़ोन कॉल नहीं किया- पवार

पवार ने आगे कहा, न तो मैंने और न ही मेरे दफ्तर ने किसी भी स्तर पर इस लेन-देन के संबंध में कोई फ़ोन कॉल किया, कोई मदद दी, या हमारी इसमें कोई भूमिका या जानकारी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल जमीन खरीदने का एक समझौता था, और पार्थ, उनकी कंपनी, या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा विक्रेता को कोई भुगतान नहीं किया गया है, और जमीन का कब्जा भी नहीं लिया गया है। इसलिए, यह लेन-देन पूरा नहीं हुआ है।

आरोपों के बाद सौदे को रद्द कर दिया गया

उन्होंने कहा, मेरे बेटे पार्थ का कहना है कि यह सौदा कानून के दायरे में और पूरी तरह से सही था। हालांकि, सार्वजनिक जीवन में हमें गलत काम की जरा-सी भी आशंका को पैदा नहीं होने देना चाहिए। चूंकि गलत काम करने के आरोप लगाए गए हैं, इसलिए उन्होंने सौदे को रद्द करने की सहमति दे दी है। बिक्रीनामा रद्द करने के लिए जरूरी दस्तावेज रजिस्टरिंग अथॉरिटी के पास जमा करा दिए गए हैं।

विपक्ष ने सरकार पर उठाए सवाल

बता दें कि गुरुवार को मुंडवा के महंगे इलाके में 40 एकड़ सरकारी जमीन को पवार की कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज को बेचे जाने के सौदे पर सवाल उठे थे। यह इसलिए हुआ क्योंकि इस सौदे के लिए जरूरी मंजूरी नहीं ली गई थी। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि इस जमीन की बाजार में असल कीमत लगभग 1,800 करोड़ रुपये है। घोटाले का खुलासा होने के बाद से ही एक के बाद एक विपक्षी नेता बेटे की गलतियों के लिए पवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और पूरे मामले में सरकार की मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं।

राहुल गांधी ने भी शेयर किया पोस्ट

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार पर कटाक्ष करते हुए इसे दलितों के लिए आरक्षित भूमि की चोरी बताया। राहुल ने एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए आरोप लगाया कि, पुणे के मुंडवा में जो जमीन का मामला है, वह 1,800 करोड़ की है और यह दलितों के लिए आरक्षित थी। राहुल ने आगे लिखा, इसके ऊपर से, जमीन के सौदे पर स्टाम्प ड्यूटी भी माफ़ कर दी गई थी - जिसका मतलब है कि यह न केवल एक लूट है, बल्कि कानूनी स्टाम्प ड्यूटी पर छूट भी है। यह उस सरकार द्वारा 'भूमि चोरी' है, जो ख़ुद 'वोट चोरी' से बनी थी।

अन्ना हजारे ने पवार को ठहराया जिम्मेदार

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्मंत्री को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा, अगर किसी मंत्री के बच्चे गलत काम में शामिल होते हैं, तो मंत्री को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। बता दें कि, इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार के राजस्व और वन विभाग ने एक उच्च-स्तरीय समिति बनाने का आदेश दिया है। इस समिति के प्रमुख अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खारगे होंगे। यह समिति पुणे शहर में मौजे मुंडवा के सर्वेक्षण संख्या 88 से जुड़े अवैध दस्तावेजों के पंजीकरण की जांच करेगी और यह पता लगाएगी कि इस सौदे के कारण राज्य के खजाने को कोई वित्तीय नुकसान हुआ है या नहीं।