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Leh Violence: लेह हिंसा के बाद CBI जांच के दायरे में आया सोनम वांगचुक का संस्थान, अवैध तरीके से फंड जुटाने का लगा आरोप

सरकार ने लेह हिंसा के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। लद्दाख प्रशासन ने अगस्त में HIAL की जमीन आवंटन रद्द कर दिया था।

लेह

Ashib Khan

Sep 25, 2025

सोनम वांगचुक को गिरफ्तार करने की DGP ने बताई वजह (Photo-IANS)

Leh Violence: लेह में बुधवार को हुई हिंसा के बाद सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का संस्थान केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच के दायरे में आ गया है। सोनम वांगचुक और संस्थान पर विदेश से फंडिंग मिलने का आरोप लगा है। अधिकारियों ने कहा कि 2 महीने से जांच चल रही है लेकिन अभी तक कोई औपचारिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि वांगचुक ने इस साल फरवरी में पाकिस्तान की भी यात्रा थी, उसको लेकर भी सवाल उठ थे।

CBI की कार्रवाई पर क्या बोले वांगचुक

सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा- सीबीआई की एक टीम लगभग दस दिन पहले एक आदेश लेकर आई थी, जिसमें कहा गया था कि वे हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) में संभावित एफसीआरए उल्लंघनों से संबंधित गृह मंत्रालय की शिकायत पर कार्रवाई कर रहे हैं।

हिंसा के लिए वांगचुक को ठहराया जिम्मेदार

सरकार ने लेह हिंसा के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। लद्दाख प्रशासन ने अगस्त में HIAL की जमीन आवंटन रद्द कर दिया था। प्रशासन ने दावा किया था कि जमीन का उपयोग आवंटन उद्देश्य के लिए नहीं हुआ और कोई लीज एग्रीमेंट भी नहीं हुआ।

प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में लगाई आग

बताया जा रहा है कि बुधवार को लेह में 1989 के बाद सबसे भीषण हिंसा हुई। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगी दी। साथ ही बीजेपी के ऑफिस में भी आग लगा दी। जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया। 

गुरुवार को दुकानें रही बंद

बता दें कि बुधवार को हुई हिंसा के एक दिन बाद गुरुवार को लेह का मुख्य बाजार सुनसान रहा और दुकानें बंद रहीं। शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

CBI ने इन संस्थानों का किया दौरा

सोनम वांगचुक ने कहा कि सीबीआई टीम ने एचआईएएल और लद्दाख के छात्र शैक्षिक एवं सांस्कृतिक आंदोलन (एसईसीएमओएल) दोनों का दौरा किया और 2022 और 2024 के बीच प्राप्त धनराशि का विवरण मांगा। उन्होंने आगे कहा- संबंधित लेन-देन वैध सेवा समझौते थे जिन पर करों का भुगतान किया गया था।