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गांधी जयंती पर सियासी तूफान: पिनराई विजयन का RSS पर हमला, गांधी की स्मृति से बेचैनी का दावा

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने मोदी सरकार की आलोचना करते हुए उस पर इतिहास को विकृत करने और महात्मा गांधी का अपमान करने का आरोप लगाया।

Pinarayi Vijayan
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Photo-IANS)

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और वरिष्ठ कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने केंद्र की मोदी सरकार पर महात्मा गांधी की विरासत को अपमानित करने और इतिहास को तोड़-मरोड़ने का गंभीर आरोप लगाया है। गांधी जयंती के अवसर पर दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला।

विजयन का फेसबुक पोस्ट: RSS पर निशाना

मुख्यमंत्री विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि गांधी ने अपने जीवन को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का संदेश बनाया था। उन्होंने दावा किया कि गांधी की हत्या एक हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी ने इसलिए की, क्योंकि वे सांप्रदायिकता के खिलाफ अडिग थे। विजयन ने केंद्र सरकार द्वारा RSS की शताब्दी के उपलक्ष्य में डाक टिकट और सिक्का जारी करने की कड़ी निंदा की।

'संविधान का अपमान'

उन्होंने इसे 'संविधान का अपमान' करार देते हुए कहा कि गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर यह कदम दर्शाता है कि गांधी की स्मृति भी संघ परिवार को बेचैन करती है। विजयन ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बार-बार वी.डी. सावरकर को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है, जिन पर गांधी हत्याकांड में मुकदमा चला था। उन्होंने इसे "गांधी की जगह सावरकर को स्थापित करने की खतरनाक कोशिश बताया।

मुरलीधरन का तंज: RSS का नैतिक हक नहीं

कांग्रेस नेता के. मुरलीधरन ने तिरुवनंतपुरम में गांधी दर्शन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए केंद्र सरकार की निंदा की। उन्होंने RSS के लोगो के साथ 100 रुपये का सिक्का जारी करने को 'निंदनीय' बताया। मुरलीधरन ने कहा, जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों का साथ दिया, उन्हें इस देश का भविष्य तय करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने संघ पर इतिहास को अपने 'वैचारिक एजेंडे' के अनुरूप फिर से लिखने का आरोप लगाया और इसे भारत के 'लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष आधार' के लिए खतरा बताया।

गांधी की विरासत की रक्षा का आह्वान

दोनों नेताओं ने गांधी जयंती को सांप्रदायिकता और ऐतिहासिक संशोधनवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने का अवसर बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधी का बहुलवादी दृष्टिकोण ही 'विभाजनकारी राजनीति' का सच्चा जवाब है।