
Karnataka social educational survey: तमाम विवादों के बीच राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सोमवार से जाति आधारित सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण (जातिवार जनगणना) का काम शुरू हो गया। इसके लिए दो करोड़ घरों की सूची तैयार करने और उनकी जियो टैगिंग का काम पूरा कर लिया है।
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार (Deputy Chief Minister DK Shivakumar) ने कहा है कि सामाजिक-शैक्षणिक सर्वेक्षण “जाति जनगणना नहीं” है, बल्कि सभी समुदायों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का एक साधन है। वहीं राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष मधुसूदन आर. नाइक ने कहा कि सर्वेक्षण कार्य आज यानी 22 सितंबर से शुरू हो रहा है। यह राज्य के सभी नागरिकों का सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण होगा।
नई दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा, उन्होंने सभी जातियों और समुदायों के लोगों से बिना किसी डर के इस सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया और स्पष्ट किया कि यह पहल समावेशी, पारदर्शी और भविष्य-केंद्रित है। उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए - यह एक सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण है। इसका उद्देश्य हर समुदाय को सशक्त बनाना है, न कि उन्हें विभाजित करना।"
शिवकुमार ने अपील करते हुए कहा, "आपका डेटा, आपकी आवाज़। उन्होंने सर्वेक्षण की डिजिटल पहुंच पर ज़ोर दिया और कहा कि सभी 7 करोड़ कन्नड़ लोग, यहां तक कि विदेशों में रहने वाले लोग भी ऑनलाइन प्रविष्टियां जमा कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर मोबाइल के ज़रिए आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।"
भाजपा विधायक डॉ. सीएन अश्वथ नारायण के इस आरोप पर कि यह सर्वेक्षण "हिंदू समाज को तोड़ने" के लिए है, शिवकुमार ने पलटवार करते हुए कहा, "उन्हें सिर्फ़ राजनीति करनी है, हमें नहीं। हमारा ध्यान रोज़ी-रोटी पर है, भाजपा की तरह वोट बैंक पर नहीं।" उन्होंने आर अशोक के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ईसाई जातियों के नामों को सोनिया गांधी को खुश करने के लिए शामिल करने की बात कही थी और इसे भाजपा द्वारा रचा गया "दिल्ली-पटकथा वाला नाटक" बताया था।
मधुसूदन आर. नाइक ने कहा कि धर्म, जाति, उपजाति चुनने के निर्णय और परिवार के सदस्यों की राय दर्ज करने के लिए एक कॉलम प्रदान किया गया है। प्रोप-डाउन चयन प्रणाली में नागरिकों को भ्रमित करने वाली कुछ जातियों की सूची को निष्क्रिय कर दिया गया है। यानी, दोहरी पहचान वाली जातियों के नाम (जैसे कुरुबा ईसाई, ब्राह्मण ईसाई, वोक्कालिगाा ईसाई आदि) छिपाए जाएंगे, हटाए नहीं जाएंगे।
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल ऐप इन 33 जातियों को दोहरी पहचान के साथ नहीं दिखाएगा, क्योंकि इन्हें छिपा दिया गया है। जनता के मन में कुछ भ्रांतियां थीं और कुछ मुद्दों पर बहस चल रही थी। उन्हें ध्यान में रखते हुए आयोग ने फैसला किया कि यह ड्रॉप डाउन केवल आंतरिक उपयोग के लिए होगा। लोग स्वेच्छा से किसी भी जाति का नाम दर्ज करा सकते हैं।
Published on:
22 Sept 2025 12:41 pm

