अमरीकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने हाल ही पीड़ा जाहिर की कि भारत करीब डेढ़ अरब लोगों का देश है, पर अमरीका से मक्का की एक बोरी (बुशल-25.40 किलो) भी नहीं खरीदता है। लुटनिक की पीड़ा अपनी जगह है, लेकिन दुनिया में मक्का के सबसे बड़े उत्पादक देश अमरीका से मक्का का आयात नहीं करने के पीछे भारत के भी अपने कारण हैं। भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा मक्का उत्पादक देश है। फिर भी घरेलू डिमांड बढ़ने पर भारत यूक्रेन, म्यांमार, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना से मक्का आयात कर रहा है। अमरीका के साथ व्यापारिक संबंधों में तल्खी के बीच जानें कि भारत के लिए अमरीका का मक्का फिट क्यों नहीं हैं...
जीएम मक्का सबसे बड़ा रोड़ा
अमरीका में पैदा हो रहा करीब 90 प्रतिशत मक्का जीएम (जेनेटिकली मॉडिफाइड) है। भारत में अभी जीएम फसल की अनुमति नहीं है और यहां के उद्योग गैर-जीएम (जीन-संशोधित) मक्का को ही प्राथमिकता देते हैं।
किस्म और क्वालिटी में फर्क
अमरीकी मक्का की किस्म सॉफ्ट है, जो इथेनॉल व स्टार्च उद्योग के लिए उपयुक्त है। भारत और इसके खरीदार उद्योगों को हार्ड किस्म का मक्का चाहिए, जो पोल्ट्री और पशु-चारे में बेहतर होता है। क्वालिटी व जरूरत की दृष्टि से अमरीकी मक्का भारत के लिए फिट नहीं है।
अमरीकी मक्का महंगा पड़ता है
अमरीका से मक्का आयात करने पर लागत एवं परिवहन व्यय बढ़ जाता है। इससे प्रति टन कीमत भारत को यूक्रेन या म्यांमार से ज्यादा चुकानी पड़ती है। नजदीकी देशों से मक्का आयात करना भारत के लिए आर्थिक रूप से सस्ता पड़ता है।
आयात शुल्क और किसानों के हित
भारत मक्का पर लगभग 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है, ताकि स्थानीय किसानों को सस्ती विदेशी मक्का से नुकसान न हो। वहीं अपने आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा चुका अमरीका चाहता है कि भारत यह शुल्क कम करे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही साफ तौर पर इनकार कर चुके हैं कि किसानों के हितों का ध्यान रखना उनकी प्राथमिकता है और इससे कोई समझौता नहीं होगा।
ट्रेड और टैरिफ से जुड़े कारण
भारत की प्राथमिकता हमेशा नजदीकी और किफायती स्रोतों से आयात की रही है। अमरीका से आयात करने पर भू-राजनीतिक और व्यापारिक दबाव भी जुड़ सकता है। साथ ही भारत-अमरीका के बीच अन्य क्षेत्रों में भी टैरिफ विवाद हैं, जिनका असर कृषि उत्पादों पर भी पड़ता है।
रिपोर्ट : कानाराम मुण्डियार
Published on:
17 Sept 2025 04:45 am