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अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किया गिरफ्तार

अल-फ़लाह विश्वविद्यालय की 1937 में फरीदाबाद के धौज में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी।

भारत

Ashib Khan

Nov 18, 2025

Al-Falah के फाउंडर को ED ने किया गिरफ्तार
Al-Falah के फाउंडर को ED ने किया गिरफ्तार (Photo-IANS)

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया है। जांच एजेंसी ने सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा-19 के तहत गिरफ्तार किया है। 

ईडी ने बताया कि सिद्दीकी की गिरफ्तारी पीएमएलए के तहत अल फलाह ग्रुप से जुड़े परिसरों में की गई तलाशी के दौरान एकत्र साक्ष्यों की विस्तृत जांच और विश्लेषण के बाद हुई है।

FIR के आधार पर की जांच शुरू

बता दें कि केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज दो एफआईआर के आधार पर अल फलाह समूह के खिलाफ जांच शुरू की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय ने छात्रों, अभिभावकों और हितधारकों को धोखा देने के इरादे से एनएएसी मान्यता के धोखाधड़ीपूर्ण और भ्रामक दावे किए।

मान्यता का किया झूठा दावा

एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि संस्थान ने छात्रों और अभिभावकों को धोखा देने के उद्देश्य से यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 12 (बी) के तहत यूजीसी मान्यता का झूठा दावा किया। बता दें कि यह विश्वविद्यालय 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास आई20 कार विस्फोट के पीछे एक आतंकी मॉड्यूल में अपने तीन प्रोफेसरों की संलिप्तता के बाद जांच के दायरे में आया था

डॉ. मुजम्मिल गनई और डॉ. शाहीन सईद - दोनों को आतंकी मॉड्यूल के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। जो कि विश्वविद्यालय से जुड़े थे, जबकि डॉ. उमर नबी, जो पिछले सप्ताह लाल किला क्षेत्र में विस्फोट करने वाली हुंडई i20 चला रहे थे, विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर थे।

अल-फ़लाह विश्वविद्यालय की 1937 में फरीदाबाद के धौज में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। यह दिल्ली के ओखला में पंजीकृत अल-फ़लाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है। 2014 में यूजीसी की मान्यता के बाद यह एक विश्वविद्यालय बन गया।

अरब देशों से मिलता है चंदा

TOI की खबर के मुताबिक विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने बताया कि संस्थान को अरब देशों से दान मिलता है। एक कर्मचारी ने बताया, "अरब देशों से विदेशी चंदा इकट्ठा करने वाले लोग साल में एक बार परिसर में आते हैं। हालाँकि कॉलेज एक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित है, लेकिन इसके दानदाता देश के बाहर से भी आते हैं।"