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राज्यसभा में शून्य हो सकती है RJD की संख्या, 30 साल में पहली बार होने जा रहा ऐसा! अब क्या करेंगे लालू-तेजस्वी?

बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 41 विधायकों के वोट चाहिए।

पटना

Mukul Kumar

Nov 15, 2025

तेजस्वी यादव और लालू यादव। (फोटो- IANS)

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार हुई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 202 सीटें जीतकर बहुमत हासिल की है। वहीं, बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की पार्टी राजद इस बार केवल 25 सीटों पर ही सिमट गई है।

बिहार चुनाव में राजद के खराब प्रदर्शन को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच, लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की भविष्यवाणी को सच साबित होते हुए भी देखा जा रहा है। जिन्हें कुछ महीने पहले परिवार और पार्टी से बेदखल कर दिया गया था।

क्या कह रहे थे तेजप्रताप?

तेजप्रताप अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कुछ राजद नेताओं को 'जयचंद' बता रहे थे। वह कह रहे थे कि जयचंदों ने राजद को हाईजैक कर लिया है। वह यह भी कह रहे थे कि जयचंद आने वाले दिनों में तेजस्वी और राजद को पूरी तरह से तबाह कर देंगे।

देखा जाए तो ठीक वैसी ही स्थिति उतपन्न हो गई है। 30 सालों में पहली बार शायद ऐसा होगा, जब राजद का एक भी सदस्य राज्यसभा में दिखाई नहीं देगा।

बता दें कि राज्यसभा चुनाव में जीतने के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 41 विधायकों के वोट चाहिए, लेकिन फिलहाल राजद के पास 25 विधायक हैं।

संजय यादव पर तेजप्रताप ने लगाए हैं गंभीर आरोप

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि राजयसभा सांसद मनोज झा और संजय यादव अब क्या करेंगे? संजय यादव पर ही मुख्य रूप से निशाना साधते हुए तेज प्रताप ने कई बार 'जयचंद' शब्द का जिक्र किया है। उनपर ही तेजप्रताप ने पार्टी तोड़ने और उसे बर्बाद करने का आरोप लगाया है।

राज्यसभा में राजद के पांच सदस्य

फिलहाल राजद के पांच सदस्य राज्यसभा सांसद हैं। प्रेमचंद गुप्ता और एडी सिंह का कार्यकाल अप्रैल, 2026 में खत्म हो रहा है। वहीं, फैयाज अहमद जुलाई 2028 में रिटायर होंगे। इसके बाद, संजय यादव और मनोज झा अप्रैल 2030 तक राज्यसभा में बने रहेंगे।

एनडीए को होगा फायदा

बता दें कि 2026 में दो जदयू नेता और एक उपेंद्र कुशावाहा (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में अगले साल राज्यसभा में कुल पांच सीटों पर चुनाव होंगे। जिनपर बहुमत के हिसाब से एनडीए को कब्जा जमाने में आसानी होगी। राजद अपने दोनों सदस्यों की जगह पर भरने में नाकाम साबित हो सकता है।