Automatic sirens for lightning and floods: आंध्र प्रदेश सरकार नागरिकों को बिजली और बाढ़ से बचाने के लिए ग्राम सचिवालयों में स्वचालित सायरन लगा रही है। आंध्र प्रदेश के एक गांव में इस स्वचालित उपकरण के बेहतरीन परिणाम सामने आए।
रियल टाइम गवर्नेंस (Real Time Governance) के सचिव कटमनेनी भास्कर ने बताया कि एक गांव में पायलट परियोजना के उत्कृष्ट परिणाम सामने आए हैं। इस गांव में मोबाइल सिग्नल के बिना भी इसरो उपग्रह की सहायता ISRO satellite support से सायरन बजने लगे।
उन्होंने कहा कि राज्यव्यापी कार्यान्वयन पर लगभग 340 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन पहले चरण में, 10-15 करोड़ रुपये की लागत से संवेदनशील गाँवों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने जिला कलेक्टरों से इस पहल की निगरानी और समर्थन करने का अनुरोध किया। एक सिस्टम की लागत लगभग 2 लाख रुपये के आसपास बैठता है।
आरटीजीएस अवेयर 2.0 के माध्यम से नागरिकों को आपदाओं, चक्रवातों, बिजली गिरने और मौसम परिवर्तन के बारे में लगातार सतर्क किया जा रहा है। रीयलटाइम में मंडल स्तर तक के पूर्वानुमान जिनमें बिजली गिरने, भारी वर्षा और जलाशयों में पानी का प्रवाह तक की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है।
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के मार्च और अप्रैल और महीने में देश के 12 राज्यों में 165 लोगों की मौत बिजली गिरने से हो गई थी। अप्रैल के पहले 17 दिन में ही बिजली गिरने से 140 लोगों की मौत हुई। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि पिछले साल के इन दो महीनों की तुलना में इस साल की समान अवधि में बिजली गिरने से होने वाली मौतों में 184 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। बिहार में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। इस साल के मार्च और अप्रैल महीने में सिर्फ बिहार में 99 लोगों की मौत हो गई थी। पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि तेजी से बढ़ते शहरों की संख्या, शहरों और गांवों में जनसंख्या घनत्व में वृद्धि और ग्लोबल वार्मिंग के चलते बिजली गिरने की वजह से लोगों की मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
भारत में बाढ़, लैंडस्लाइड, बिजली गिरने, बादल फटने के चलते पिछले दो दशकों में 547 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। वहीं देश में हर साल बाढ़ के चलते सालाना 5700 करोड़ का आर्थिक नुकसान होता है जबकि 1700 लोगों की मौत हो जाती है।
एक आंकड़ें के अनुसार पिछले 10 सालों में भारत में मानसून सीजन में प्राकृतिक आपदा के चलते 24 हजार लोगों की मौत हुई। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा के चलते लाखों लोगों को हर साल बेघर होना पड़ता है। केरल में वर्ष 2015 में आई प्राकृतिक आपदा के चलते राज्य में 15 लाख लोगों को बेघर होना पड़ा था। वहीं एक आंकड़ें के अनुसार, वर्ष 2018 में 27 लाख लोग बेघर हुए थे। सालाना करीब 22.5 लाख लोग औसतन बेघर हो जाते हैं।
Published on:
16 Sept 2025 05:48 pm