Online Gaming Racket Busted: रायगढ़ साइबर पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन गेमिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें 194 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन शामिल थे। अलीबाग के एक निवासी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने राजस्थान से एक आरोपी को गिरफ्तार किया, जबकि 44 बैंक खातों में जमा 19.44 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए गए हैं। पुलिस पांच अन्य संदिग्धों की तलाश में जुटी हुई है। गिरफ्तार आरोपी भरमल हनुमान मीणा (38), सवाई माधोपुर, राजस्थान निवासी, एक मोबाइल फोन दुकान चलाता था और इस घोटाले का मास्टरमाइंड था। प्रारंभिक जांच में उसके नाम के एक खाते में मात्र 1 लाख रुपये थे, लेकिन दो महीनों में 56 करोड़ रुपये के लेन-देन दर्ज हुए।
यह रैकेट 19 सितंबर को अलीबाग के एक निवासी की शिकायत पर सामने आया। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स पर 10,000 रुपये गंवाए, जबकि उनके एक मित्र ने दूसरे ऐप पर 50,000 रुपये खोए। रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक अंचल दलाल ने कहा, शिकायतकर्ता को पिछले तीन-चार महीनों से उनके मोबाइल पर विभिन्न ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स के विज्ञापन मिल रहे थे, जो अतिरिक्त आय का वादा करते थे। मुख्यधारा के प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होने के कारण वे वैध मानकर इन्हें डाउनलोड कर खेलने लगे, लेकिन कोई रिटर्न नहीं मिला।
शिकायतकर्ता को जब एहसास हुआ कि ऐसे गेमिंग ऐप्स भारत में प्रतिबंधित हैं, तो उन्होंने ऐप ऑपरेटर्स, प्रमोटर्स, सर्विस प्रोवाइडर्स और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 316(2) और 318(4), तथा महाराष्ट्र निवारण जुआ अधिनियम 1887 की धारा 4 और 12ए के तहत मामला दर्ज किया। जांच के दौरान पता चला कि शिकायतकर्ता द्वारा भेजे गए पैसे म्यूल अकाउंट्स के जरिए रूट किए गए थे। एक खाते में दो महीनों में 56 करोड़, दूसरे में 186 करोड़ और तीसरे में एक महीने से अधिक में 114 करोड़ के लेन-देन हुए।
दलाल ने बताया, यूनिक ट्रांजेक्शन रेफरेंस नंबर से पता चला कि म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हो रहा था। प्रत्येक अकाउंट होल्डर को प्रतिदिन 1 लाख रुपये तक का कमीशन मिलता था।" यह मामला बर्फ की चोटी मात्र है। पुलिस अभी भी पैसे के रूट की तलाश कर रही है और बैंकों की भूमिका की जांच कर रही है कि इतने बड़े लेन-देन पर अलर्ट क्यों नहीं हुआ।
घोटाले में AM999, Parimatch, 1XBET जैसे ऐप्स शामिल थे, जो पूरे भारत में लोगों को फंसाते थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस नेटवर्क की जांच कर रहा है, जिसमें 500 से अधिक म्यूल अकाउंट्स और 3,000 करोड़ के लेन-देन का अनुमान है। कुछ खाते साधारण दुकानदारों और गृहिणियों के नाम पर खुले थे, जिससे बैंक स्टाफ की संलिप्तता पर सवाल उठे हैं।
Published on:
26 Sept 2025 10:05 pm