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वायरल और चिकनगुनिया का कहर: अस्पताल की ओपीडी में कतारें, मरीज बेहाल

नागौर. मौसम परिवर्तन के साथ बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। शहर में ज्यादातर लोग सर्दी, जुकाम एवं वायरल बुखार से पीडि़त हैं। इनमें चिकनगुनिया रोग से लोग ज्यादा पीडित हैं। जेएलएन चिकित्सालय के साथ ही एमसीएच विंग के आउटडोर एवं इनडोर में मरीजों की भीड लगी रहती है।

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नागौर. बीकानेर रोड स्थित जेएलएन चिकित्सालय में मरीजों की भीड़।

-एमसीएच विंग में एक बेड पर दो- तीन मरीज, वार्डों तिमारदारों की भीड

-भर्ती मरीजों में 60 प्रतिशत मौसमी बीमारी से ग्रस्त

- डेंगू-मलेरिया के संदिग्ध मामलों ने बढ़ाई चिंता

नागौर. मौसम परिवर्तन के साथ बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। शहर में ज्यादातर लोग सर्दी, जुकाम एवं वायरल बुखार से पीडि़त हैं। इनमें चिकनगुनिया रोग से लोग ज्यादा पीडित हैं। जेएलएन चिकित्सालय के साथ ही एमसीएच विंग के आउटडोर एवं इनडोर में मरीजों की भीड लगी रहती है। अचानक मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ने से अस्पताल में बेड कम पड़ गए हैं। एक बेड पर 2-3 मरीजों को लिटा कर उपचार किया जा रहा है।

नींद में सो रहा चिकित्सा विभाग

चिकित्सा विभाग और अस्पताल प्रशासन की पूर्व तैयारी नहीं होने से स्थिति यह है कि मरीज गलियारों में स्ट्रेचर और फर्श लेटे दिखाई देते हैं। ओपीडी के बाहर अस्पताल समय में लोग चिकित्सक कक्ष के आगे नंबर का इंतजार करते रहते हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोज़ाना 1500 से 2000 मरीज पहुंच रहे हैं। लेकिन इन्हें संभालने के लिए पर्याप्त व्यवस्था का अभाव नजर आया।

आंखन देखी

पुराना अस्पताल स्थित मदर एण्ड चाइल्ड विंग के वार्ड में शुक्रवार को एक बेड पर कही दो तो कहीं तीन बच्चे उपचार के लिए भर्ती किए हुए थे। ज्यादातर बेड पर एक से ज्यादा मरीज भर्ती रहने से वार्ड में तीमारदारों की भीड़ लगी रही।

इस पर भी देना चाहिए ध्यान

मरीजों ने बताया कि जांच में काफी समय लग रहा है और , रिपोर्ट अगले दिन मिलती है। तब तक बुखार और बढ़ जाता है। शहरवासियों ने बताया हर साल अक्टूबर-नवंबर महिने में यही हालात रहते है, लेकिन र चिकित्सा विभाग कोई ठोस उपाय नहीं करता है। केवल बैठकों तक सीमित रहता है। इस बार बारिश के बाद मच्छर पनपने के कारण स्थिति ज्यादा खराब है।

इनका कहना है...

अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन सभी का प्रोपर उपचार किया जा रहा है। मदर एण्ड चाइल्ड विंग में अतिरिक्त बेड़ की व्यवस्थाएं करा रहे हैं। संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन रोगियों की संख्या अचानक बढ़ गई है। व्यवस्था करवा रहे हैं।

डॉ. आर. के. अग्रवाल, पीएमओ, जेएलएन चिकित्सालय