
5 घंटे चले ऑपरेशन के बाद मां-बेटा दोनों स्वस्थ। फोटो- पत्रिका
कहते हैं, 'बिखरे मोती जब माला बन जाएं, हर मुश्किल राह, आसान नजर आए'। राजस्थान के नागौर के मूण्डवा उपखण्ड के ग्वालू गांव में कुछ ऐसी ही कहानी सच हुई, जब एक मां की ममता, समाज की करुणा और 'पत्रिका' की पहल ने मिलकर मुरझाती हुई जिंदगी में नए प्राण फूंक दिए। 32 वर्षीय रामावतार बावरी को उसकी मां ने अपनी किडनी देकर दूसरा जन्म दिया। इस जीवन-यज्ञ में समाज ने 11 लाख रुपए से अधिक का आर्थिक सहयोग किया। रामावतार पिछले तीन साल से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था।
इलाज के लिए परिवार ने अपना घर और संपत्ति तक बेच दी। इसके बाद भी हर तरफ से निराशा हाथ लगने पर उम्मीदें दम तोड़ने लगीं। ऐसे मुश्किल समय में 'पत्रिका' ने 'गुर्दा रोग ने छीना सब कुछ, वित्तीय बोझ तले दबा परिवार' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर परिवार की पीड़ा को समाज के सामने रखा।
लोगों को संबल व आर्थिक मदद मिलने पर जयपुर के निजी अस्पताल में मां शिवरी देवी ने अपनी एक किडनी बेटे को दान की। गत 3 सितम्बर को किडनी प्रत्यारोपण के लिए ऑपरेशन किया गया। करीब पांच घंटे चला यह ऑपरेशन सफल रहा। अब मां और बेटा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। ऑपरेशन नि:शुल्क हुआ, जांच, दवाइयां व अन्य खर्चों में करीब 12 लाख रुपए खर्च हो गए।
खबर को पढ़कर ग्वालू सहित दर्जनभर गांवों के लोगों ने स्वत: आगे आकर सहयोग करना शुरू किया और देखते ही देखते ग्यारह लाख से अधिक रुपए एकत्रित हो गए। प्रशासक रेखा गालवा ने निजी कोष से सवा दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिया। समाजसेवी नरसिंहराम गालवा ने बताया कि लोगों ने सामाजिक सरोकार मिसाल पेश करते हुए बिना किसी अपील किए दिल खोलकर मदद की।
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रामावतार के भाई श्रवण ने भावुक होकर कहा कि हमें अंदाजा नहीं था कि एक खबर का इतना बड़ा असर होगा। पत्रिका ने हमारी पीड़ा को समाज के समक्ष रखा और समाज ने जिस तरह हमारा हाथ थामा, उसके लिए हमेशा ऋणी रहेंगे।
Published on:
14 Sept 2025 05:12 pm
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