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चंद्रशेखर की रैली में नहीं पहुंची एक्स गर्लफ्रेंड रोहिणी घावरी, सोशल मीडिया पर किया था जाने का दावा

Chandrasekhar VS Rohini Ghaveri : सोशल मीडिया पर सांसद चंद्रशेखर को चैलेंज करने वाली उनकी एक्स गर्लफ्रेंड रोहिणी घावरी रैली में नहीं पहुंची। डॉक्टर रोहिणी घावरी के ऐलान करने के बाद रैली में हंगामा होने की पूरी उम्मीद थी। रोहिणी की सुरक्षा को लेकर पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट था।

सांसद चंद्रशेखर की रैली में नहीं रोहिणी घावरी, PC- @BhimArmyChief

मुजफ्फरनगर : सोशल मीडिया पर सांसद चंद्रशेखर को चैलेंज करने वाली उनकी एक्स गर्लफ्रेंड रोहिणी घावरी रैली में नहीं पहुंची। रोहिणी ने एक दिन पहले मंगलवार यानि 25 नवंबर को सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा था - अब मैं भी रैली में शामिल हो रही हूं। जो होगा देखा जाएगा। चंद्रशेखर खुद मुझे सुरक्षा देंगे, क्योंकि मुझे खरोंच भी आई तो वे जेल जाएंगे।

डॉक्टर रोहिणी घावरी के ऐलान करने के बाद रैली में हंगामा होने की पूरी उम्मीद थी। रोहिणी की सुरक्षा को लेकर पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट था। लेकिन, मुजफ्फरनगर की रैली में रोहिणी नहीं आई।

सांसद चंद्रशेखर और उनकी पूर्व गर्लफ्रेंड डॉ. रोहिणी घावरी के बीच विवाद चल रहा है। रोहिणी ने चंद्रशेखर के खिलाफ शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने, शादीशुदा होने की बात छिपाने, फ्रॉड केस करके कॅरियर बर्बाद करने, सुसाइड के लिए उकसाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में हुई रैली

मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में आजाद समाज पार्टी (आसपा) की भव्य रैली का आयोजन किया गया। नगीना सांसद चंद्रशेखर ने मंच से कहा कि प्रदेश में SIR के जरिए किसी भी हाल में वोट की चोरी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'यह यूपी है, बिहार नहीं।'

1 जनवरी से दो बड़े आंदोलन की घोषणा

चंद्रशेखर ने युवाओं के रोजगार और ईवीएम बंद कराने के मुद्दे पर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सरकारें केवल भरोसे पर खेल रही हैं और युवाओं के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही हैं। इसको देखते हुए 1 जनवरी से रोजगार और ईवीएम बंद कराने के लिए दो बड़े आंदोलन राज्यभर में शुरू किए जाएंगे।

बीजेपी बहुजन समाज पार्टी की आवाज दबाना चाहती

चंद्रशेखर ने कहा, बीजेपी सरकार बहुजन समाज की आवाज को दबाना चाहती है। हमें कुर्सी, राजकाज देना उन्हें गंवारा नहीं। सांसद ने बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा- शुरुआत में तो कांशीराम बहुजन समाज की आवाज बने, पर बाद में उन्होंने उन्हीं लोगों से हाथ मिला लिया, जो बहुजन समाज का शोषण करते चले आ रहे थे।

2007 से 2012 की सरकार का जिक्र करते हुए कहा- वह गरीबों और बहुजन समाज की सरकार थी। हमारी लड़ाई किसी जाति या धर्म से नहीं, बल्कि हक, राजकाज और अधिकार से है।