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54 साल बाद उठेगा पर्दा; खुलने वाला है बांके बिहारी मंदिर का ‘तोष खाना’, सोना-चांदी, हीरे जवाहरात के साथ….

Banke Bihari Temple Tosh Khana: 54 साल से बंद तोष खाने का दरवाजा आज खोला जाएगा। हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी की निगरानी में बांके बिहारी मंदिर का 54 साल पुराना तोष खाना खुलेगा।

mathura 54 year old tosh khana of banke bihari temple will reopen
खुलने वाला है बांके बिहारी मंदिर का 'तोष खाना'। फोटो सोर्स-Ai

Banke Bihari Temple Tosh Khana: विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के गर्भ गृह के नीचे स्थित पुराने 'तोष खाना' को आज (शनिवार, 18 अक्टूबर) को खोला जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी की निगरानी में होने वाली इस कार्रवाई से 54 साल से बंद इस खजाने के कमरे के रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।

29 सितंबर को लिया गया तोष खाना खोलने का निर्णय

मंदिर प्रशासन की माने तो 'तोष खाना' खोलने का निर्णय 29 सितंबर को लिया गया था। मंदिर के दर्शन बंद होने के बाद कमरे को खोला जाएगा। इसकी सूचना मंदिर परिसर में जगह-जगह पोस्टर लगाकर दी गई है।

मिल सकती है कई कीमती चीजें

पिछले 54 साल से बंद इस कमरे में सोने-चांदी के आभूषण, प्राचीन शस्त्र और अन्य कीमती वस्तुओं के होने की संभावना है। तोष खाना खुलने को लेकरभक्तों और स्थानीय लोगों में उत्सुकता चरम पर है। माना जा रहा है कि इस कमरे में मंदिर के ऐतिहासिक खजाने का भंडार हो सकता है।

मंदिर के इतिहास में जुड़ेगा नया अध्याय

पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी ने किसी भी गोस्वामी को इस प्रक्रिया में शामिल होने या खजाने की सूची बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कमेटी की निगरानी में यह पूरी कार्रवाई संपन्न होगी। 'तोष खाना' के खुलने से बांके बिहारी मंदिर के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। यह प्रक्रिया ना सिर्फ मंदिर की धरोहर को उजागर करेगी, बल्कि सालों से बंद इस कमरे के रहस्य भी लोगों के सामने आ जाएंगे।

बांके बिहारी मंदिर के बारे में

बता दें कि बांके बिहारी मंदिर पूरे भारत के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती इलाके में स्थित है। भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह रूप 'बांके बिहारी' को समर्पित है। बांके बिहारी मंदिर का निर्माण सन् 1864 में स्वामी हरिदास ने कराया था, जो भक्त कवि और संगीतकार होने के साथ-साथ प्रसिद्ध संत भी थे