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‘रालोद मेरे घर की पार्टी नहीं, यह आपकी, मैं खुद कार्यकर्ता’, तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर बोले जयंत चौधरी

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन मथुरा के कोसीकलां स्थित अनाज मंडी में किया गया। इस दौरान जयंत चौधरी तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

रालोद के तीसरी बार अध्यक्ष बने जयंत चौधरी, PC- RLDparty

मथुरा : राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने रविवार को मथुरा के कोसीकलां स्थित अनाज मंडी में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में चौधरी जयंत सिंह को तीसरी बार सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना। 3 वर्षों के इस कार्यकाल में जयंत पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प दोहराया। अधिवेशन सुबह 11 बजे शुरू हुआ, जिसमें 14 प्रदेशों के अध्यक्षों व अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। जयंत दोपहर 2.45 बजे पहुंचे और जल्द ही उनकी नियुक्ति की औपचारिक घोषणा हो गई। कार्यकर्ताओं ने 'किसान नेता जिंदाबाद' के नारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया।

रालोद उत्तर प्रदेश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी है, जो सांसदों-विधायकों की संख्या के लिहाज से मजबूत स्थिति में है। वर्तमान में पार्टी के पास लोकसभा में 2 सांसद, राज्यसभा में 1 सदस्य (जयंत स्वयं), विधानसभा में 9 विधायक, एक मंत्री, विधान परिषद में 1 एमएलसी और 2 आयोगों में सदस्य हैं। केंद्र में जयंत को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद मिला है, जो लोकसभा चुनाव 2024 के बाद एनडीए गठबंधन के साथ आने का परिणाम है।

'मथुरा के लोगों का साथ, सदैव मेरे साथ'

अध्यक्ष चुने जाने के बाद जयंत ने संबोधन दिया। उन्होंने कहा, 'मथुरा के लोगों ने जिस तरह साथ दिया, उसे कभी नहीं भूलूंगा। यह आशीर्वाद ही है कि मैं फिर अध्यक्ष बना।' एनडीए की सराहना करते हुए जयंत बोले, 'बिहार के नतीजों ने साबित किया कि एनडीए सरकार में हर वर्ग सुरक्षित महसूस कर रहा है। महिलाओं को पहचान मिली, उनके लिए कानून बने और राजनीति में सीटें आरक्षित हुईं।' किसानों के मुद्दों पर फोकस करते हुए कहा, 'योगी सरकार किसानों की सरकार है। सीएम योगी ने गन्ने का मूल्य बढ़ाया। मैं छाता की चीनी मिल को चालू कराने के लिए समर्पित हूं और सीएम से बात करूंगा।' जयंत चौधरी ने कहा कि 2027 हमारे लिए काफी अहम है। यह चौधरी चरण सिंह की 125वीं जयंती का वर्ष होगा, जो हमारे लिए मील का पत्थर साबित होगा।

'रालोद को आगे बढ़ाइए… यह आपकी जिम्मेदारी'

परिवारवाद पर सख्त रुख अपनाते हुए जयंत ने कहा, 'रालोद मेरे परिवार की पार्टी नहीं है। मेरी दो बेटियां हैं, लेकिन 3 साल बाद आप अच्छा नेता तैयार करें, जो अध्यक्ष बने। यह फर्क रालोद और अन्य दलों में होना चाहिए।' उन्होंने स्वयं को कार्यकर्ता के रूप में तैयार बताया और कहा, 'मैं सामाजिक कार्यकर्ता, मंत्री या जो भी भूमिका दोगे, उसके लिए तैयार हूं। सरकार में हूं ताकि आपके काम आ सकूं।'

यह जयंत का तीसरा कार्यकाल है। पहली बार मई 2021 में, पिता चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद वे अध्यक्ष बने। तब वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। 2024 में एनडीए में शामिल होने के बाद पार्टी को बागपत व बिजनौर सीटें मिलीं, जिसे रालोद ने जीत लिया।

RLD से 7 बड़े चेहरे दे चुके इस्तीफा

हालांकि, जयंत के नेतृत्व में चुनौतियां भी हैं। पिछले एक वर्ष से पार्टी में अस्थिरता बनी हुई है। भाजपा से गठबंधन और वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम नेताओं में असंतोष व्याप्त है। एक साल में 7 बड़े चेहरे पार्टी छोड़ चुके हैं। सबसे बड़ी क्षति प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने दी, जिन्होंने जयंत पर 'भटक जाना' और मुसलमानों से 'विश्वासघात' का आरोप लगाया। रिजवी, जो 2020 में एक विवादास्पद फेसबुक पोस्ट पर 51 लाख का इनाम घोषित करने के लिए चर्चित थे, उन्होंने कहा था, 'जयंत ने उस समुदाय को धोखा दिया जिसने उन्हें तारा बनाया।' इस्तीफे के बाद वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) में शामिल हो गए। रिजवी ने चेतावनी दी, '2027 के चुनाव में मुसलमानों को एहसास कराना होगा कि भरोसा तोड़ा गया।'