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UPPSC टॉपर डॉक्टर, फरीदाबाद विस्फोटक बरामदगी और जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल के नए पन्ने

UPPSC Doctor Terror Probe: लखनऊ की यूपीपीएससी उत्तीर्ण डॉक्टर शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया है। फरीदाबाद में विस्फोटक बरामदगी और दिल्ली धमाके की जांच में उनका नाम जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से जुड़ा पाया गया है। कभी मेधावी प्रोफेसर रहीं शाहीन अब आतंक जांच के घेरे में हैं।

लखनऊ

Ritesh Singh

Nov 12, 2025

UPPSC टॉपर डॉक्टर शाहीन शाहिद  की जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से जुड़ाव की कहानी  (फोटो सोर्स : Patrika)  
UPPSC टॉपर डॉक्टर शाहीन शाहिद  की जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल से जुड़ाव की कहानी  (फोटो सोर्स : Patrika)  

UPPSC Topper Doctor Shaheen Shahid: लखनऊ की रहने वाली डॉक्टर शाहीन शाहिद, जिन्हें कभी एक होनहार और समर्पित शिक्षिका के रूप में जाना जाता था, अब एक गंभीर आतंक जांच के केंद्र में हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी एटीएस ने उन्हें फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया है, जिसका संबंध कथित रूप से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंक मॉड्यूल से जोड़ा जा रहा है।

शैक्षणिक उपलब्धियाँ और प्रतिष्ठित करियर

शाहीन शाहिद (46) का जन्म लखनऊ के कंधारी बाजार क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने लखनऊ के सरकारी गर्ल्स कॉलेज से 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री हासिल की। उनकी प्रतिभा का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 2006 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षा पास कर राज्य के प्रतिष्ठित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज, कानपुर में फार्माकोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। सहकर्मियों के अनुसार, वे अनुशासित, मेहनती और अनुसंधान में गहरी रुचि रखने वाली डॉक्टर थीं। उनके कई शोध पत्र राष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हुए थे। लेकिन उनकी जीवन यात्रा जल्द ही एक अप्रत्याशित मोड़ लेने वाली थी।

सफल करियर से अचानक गायब होने तक

2009 में शाहीन को छह महीने के लिए कानपुर से स्थानांतरित कर कन्नौज मेडिकल कॉलेज भेजा गया। वहाँ से वे 2010 में वापस कानपुर लौटीं, लेकिन 2013 के बाद उन्होंने कॉलेज में रिपोर्ट करना बंद कर दिया।कॉलेज प्रशासन के अनुसार, उन्होंने किसी भी प्रकार की छुट्टी का आवेदन नहीं दिया और न ही किसी नोटिस का जवाब दिया। कई बार प्रशासन और सहकर्मियों ने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला। अंततः, 2021 में सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं। उनकी अचानक गुमनामी ने कई सवाल उठाए, लेकिन किसी ने भी नहीं सोचा था कि आने वाले सालों में उनका नाम किसी आतंक जांच में सामने आएगा।

तलाक, रिश्ते और अलगाव की कहानी

पुलिस जांच में सामने आया कि शाहीन की शादी एक नेत्र रोग विशेषज्ञ (Ophthalmologist) से हुई थी। हालांकि यह विवाह अधिक समय तक नहीं चल सका और 2015 में दोनों का तलाक हो गया। तलाक के बाद, शाहीन ने फरीदाबाद में रहना शुरू किया और अल फला यूनिवर्सिटी से जुड़ गईं, जहाँ वे शिक्षण और शोध कार्य में लगी थीं। इसी दौरान, उनकी मुलाकात एक अन्य डॉक्टर, डॉ. मुज़म्मिल से हुई, जो अब खुद भी आतंक जांच के दायरे में हैं। सूत्रों के अनुसार, शाहीन और मुज़म्मिल के बीच नज़दीकी संबंध बने और दोनों ने कुछ “प्रोजेक्ट्स” पर साथ काम किया। पुलिस का संदेह है कि इन्हीं प्रोजेक्ट्स के माध्यम से दोनों का संपर्क आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सदस्यों से हुआ।

गिरफ्तारी और फरीदाबाद से मिला सुराग

पिछले सप्ताह हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस ने एक कार से AK-47 राइफल, जिंदा कारतूस, और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की। यह कार शाहीन शाहिद के नाम पर पंजीकृत थी और इसका इस्तेमाल कथित रूप से डॉ. मुज़म्मिल कर रहे थे। जांच में जब गाड़ी के दस्तावेज़ और डिजिटल डाटा की पड़ताल की गई, तो सुराग सीधे शाहीन तक पहुंचे। उन्हें फरीदाबाद से हिरासत में लिया गया और बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। यूपी एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फरीदाबाद से मिली विस्फोटक सामग्री और शाहीन के डिजिटल रिकॉर्ड के बीच कई समानताएं मिली हैं। वह लंबे समय से कुछ संदिग्ध ऑनलाइन समूहों से संपर्क में थीं।

जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल और महिला नेटवर्क की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, शाहीन शाहिद को जैश-ए-मोहम्मद की महिला इकाई “जमात-उल-मोमिनीन” को सक्रिय करने का कार्य सौंपा गया था। यह नेटवर्क खास तौर पर शिक्षित और प्रभावशाली महिलाओं को आतंक के विचारों से प्रभावित करने का प्रयास करता था। एजेंसियों का दावा है कि शाहीन के पास से बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोनों में कई एन्क्रिप्टेड संदेश और चैट मिले हैं, जिनमें महिलाओं की भर्ती और ‘धार्मिक जागृति’ के नाम पर फंड जुटाने के संकेत हैं।

परिवार की प्रतिक्रिया - “हमें विश्वास नहीं होता”

लखनऊ में शाहीन के पिता सैयद अहमद अंसारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी बेटी बचपन से ही बेहद मेधावी थी। उसने हमेशा समाज की सेवा करने की बात की। हमें इस आरोप पर यकीन नहीं होता। हो सकता है किसी ने उसका गलत इस्तेमाल किया हो। परिवार का कहना है कि शाहीन पिछले कुछ वर्षों से उनसे दूरी बनाए हुए थीं और कभी-कभी ही संपर्क करती थीं।

शिक्षित वर्ग में उभरता ‘सफेदपोश आतंक’

सुरक्षा विशेषज्ञ इस मामले को ‘सफेदपोश आतंकवाद’ का उदाहरण मान रहे हैं, ऐसा आतंक जो सीमाओं या जंगलों में नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा संस्थानों और प्रोफेशनल हलकों में पनप रहा है। रक्षा विश्लेषक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) एस. के. चतुर्वेदी ने कहा कि डॉ. शाहीन जैसे लोग साबित करते हैं कि अब आतंकवादी संगठन शिक्षित वर्ग को निशाना बना रहे हैं। यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती है।उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों और मेडिकल संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य निगरानी और वैचारिक जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।

 कई राज्यों में छापेमारी

इस मामले की जांच अब यूपी एटीएस, जम्मू-कश्मीर पुलिस, और हरियाणा पुलिस संयुक्त रूप से कर रही हैं। लखनऊ, फरीदाबाद और कानपुर में शाहीन के ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। पुलिस को कुछ विदेशी बैंक लेनदेन और पासपोर्ट दस्तावेज़ भी मिले हैं। साथ ही, शाहीन और डॉ. मुज़म्मिल के बीच संपर्कों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच की जा रही है। एजेंसियां इस बात का पता लगाने में जुटी हैं कि फरीदाबाद में बरामद 2,900 किलो विस्फोटक कहाँ से आया और इसका लक्ष्य क्या था।