
UP Government Notice to 40 Districts: उत्तर प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग की योजनाओं को लागू करने में सुस्ती दिखाने वाले जिलों पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रमुख सरकारी स्कूलों में शैक्षिक योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई बरतने वाले कुल 40 जिलों को चेतावनी देते हुए नोटिस जारी की गई है। शासन ने सभी जिलाधिकारियों और शिक्षा अधिकारियों को 15 दिनों की समय-सीमा देते हुए कहा है कि लंबित कार्यों को तत्काल पूरा किया जाए, अन्यथा कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में शिक्षा विभाग की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में यह मामला सामने आया कि कई जिलों ने शिक्षा से संबंधित योजनाओं में अपेक्षित प्रगति नहीं दिखाई। बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग की अलग-अलग योजनाओं की रिपोर्ट मांगी गई थी। इसमें यह पाया गया कि कई जिलों ने न तो बजट का सही उपयोग किया है और न ही योजनाओं को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाया है।
नोटिस में खास तौर पर संबल, लखनऊ, सोनभद्र, आजमगढ़, आगरा, गाजियाबाद, भदोही और ललितपुर जैसे बड़े जिलों का उल्लेख किया गया है। इन जिलों ने शैक्षणिक योजनाओं में आवंटित बजट का उपयोग न करने या अधूरे कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में गंभीर ढिलाई दिखाई है। बेसिक शिक्षा महानिदेशालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जिलों में बजट उपयोग प्रतिशत अन्य जिलों की तुलना में बहुत कम है, जिससे राज्य की शिक्षा योजनाओं की समग्र प्रगति प्रभावित हो रही है।
शासन ने अब संबंधित जिलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे 15 दिनों के भीतर सभी लंबित कार्यों को पूरा करें। यदि निर्धारित समय में प्रगति रिपोर्ट नहीं दी गई, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आदेश में कहा गया है कि विभागीय लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उत्तरदायित्व तय करते हुए निलंबन अथवा वेतन रोकने जैसी कार्रवाई संभव है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) योजना, जो बालिकाओं को नि:शुल्क आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है, उसकी स्थिति कई जिलों में बेहद खराब बताई गई है। कई स्कूलों में छात्राओं के लिए पर्याप्त पुस्तकें, फर्नीचर और प्रयोगशाला सामग्री उपलब्ध नहीं हैं। कुछ जिलों में बालिकाओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्थाएं भी अधूरी पाई गई हैं। शासन ने इन विद्यालयों में संसाधनों की तत्काल पूर्ति के निर्देश दिए हैं और कहा है कि किसी भी परिस्थिति में छात्राओं की शिक्षा प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया है। इसी क्रम में प्रत्येक जिले में साइंस पार्क स्थापित करने की योजना बनाई गई थी, ताकि बच्चों को विज्ञान की अवधारणाओं को प्रायोगिक रूप से समझने में मदद मिल सके। परंतु, कई जिलों में इस दिशा में जमीन चयन तक नहीं किया गया है, जिससे परियोजना ठप पड़ी है। शासन ने अब संबंधित जिलों को चेतावनी दी है कि अगर निर्धारित समय में भूमि चयन और कार्य प्रारंभ नहीं हुआ, तो उस जिले का बजट रोक दिया जाएगा।
राज्य स्तर पर बेसिक और माध्यमिक शिक्षा दोनों विभागों की अलग-अलग समीक्षा की गई। जहाँ बेसिक शिक्षा में प्राथमिक विद्यालयों की व्यवस्था और टीएलएम ग्रांट पर ध्यान केंद्रित था, वहीं माध्यमिक शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया गया। दोनों ही स्तरों पर कई जिलों में 50% से कम प्रगति दर्ज की गई, जो चिंताजनक मानी गई।
शासन ने स्पष्ट किया है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल चेतावनी देना नहीं, बल्कि शिक्षा गुणवत्ता को सुधारना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पिछले कुछ वर्षों से "ऑपरेशन कायाकल्प" और "स्कूल चले हम" जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकारी स्कूलों को सुदृढ़ बनाने के प्रयास कर रही है। परंतु इन योजनाओं की रफ्तार जिला स्तर पर धीमी पड़ने से प्रदेश की शिक्षा नीति पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।
शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि अब से सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) और जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। जहाँ योजनाएं अधूरी पाई जाएंगी, वहाँ जिम्मेदार अधिकारी से जवाब तलब किया जाएगा।राज्य सरकार का मानना है कि यदि योजनाएं समय पर पूरी हों, तो सरकारी स्कूलों की स्थिति में बड़ा सुधार संभव है।
Published on:
01 Nov 2025 08:49 am

