
UP Board Revises Exam Schedule: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 2025 की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर एक अहम बदलाव करते हुए हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की हिंदी परीक्षा को अलग-अलग पालियों में आयोजित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले दोनों परीक्षाएं एक ही पाली में रखी गई थीं, जिसके कारण कई केंद्रों पर व्यवस्था संबंधी चुनौतियों की आशंका बनी हुई थी। बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों पर भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और कॉपी निगरानी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह फैसला लिया है। नया संशोधित टाइम टेबल परिषद की आधिकारिक वेबसाइट पर जल्द जारी किया जाएगा।
परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि यह बदलाव परीक्षा प्रक्रिया को अधिक सुचारु, व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों की बढ़ती संख्या, विशेष श्रेणी के परीक्षार्थियों की उपस्थिति और उपकरण आधारित निगरानी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विषयवार पालियों में बदलाव को आवश्यक माना गया। उन्होंने कहा कि समय-सारणी में बदलाव से किसी भी परीक्षार्थी को कोई असुविधा नहीं होगी।
नई व्यवस्था के तहत 18 फरवरी से 12 मार्च 2025 तक होने वाली बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों को अधिक व्यवस्थित तरीके से परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। इस बार कुल 52,30,156 परीक्षार्थी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में शामिल होंगे, जो देश के किसी भी राज्य बोर्ड के मुकाबले सबसे अधिक संख्या है।
इस साल हाईस्कूल में कुल 27,50,826 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें 14,38,615 बालक, 13,12,147 बालिकाए और 64 ट्रांसजेंडर परीक्षार्थी शामिल हैं। वहीं इंटरमीडिएट में 24,79,330 विद्यार्थी परीक्षा देंगे, जिनमें 13,02,999 बालक, 11,76,316 बालिकाए और 15 ट्रांसजेंडर शामिल हैं। यह पहली बार है जब बोर्ड ने ट्रांसजेंडर श्रेणी के परीक्षार्थियों का अलग डेटा सार्वजनिक किया है। इससे यह स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की समावेशी नीति का प्रभाव दिख रहा है।
बोर्ड ने विशेष श्रेणी में आने वाले परीक्षार्थियों के लिए भी प्रावधान किए हैं। प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद 297 बंदी इस बार हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में भाग लेंगे। इनमें बरेली से 37, आगरा से 31, गाजियाबाद से 26, गोरखपुर से 25, वाराणसी से 21 और गौतम बुद्ध नगर से 18 बंदी शामिल हैं। परिषद के सचिव ने कहा कि शिक्षा का अधिकार किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं होना चाहिए और जेलों में अध्ययनरत बंदियों को बोर्ड परीक्षा देने का पूरा अवसर दिया जा रहा है। इसके लिए जेलों में विशेष परीक्षा कक्ष, सीसीटीवी, ओवरसाइट स्क्वॉड और मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाएगी।
हिंदी दोनों कक्षाओं का सबसे बड़ा विषय है, जिसमें सर्वाधिक परीक्षार्थी बैठते हैं। परीक्षा केंद्रों पर एक पाली में लाखों विद्यार्थियों की उपस्थिति से व्यवस्था पर दबाव बढ़ जाता था। परीक्षकों की संख्या, सुरक्षा कर्मियों की उपलब्धता और निगरानी व्यवस्था को बेहतर करने के लिए दोनों वर्गों की परीक्षाएं अलग-अलग कर दी गईं।
कई जिलों से संकेत मिले थे कि एक ही पाली में दोनों कक्षाओं की परीक्षा कराने से भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा में दिक्कत आती है। परीक्षा केंद्रों पर प्रवेश, बैठने की व्यवस्था, सुरक्षा जांच, कॉपी वितरण और कक्षवार निगरानी को देखते हुए यह बदलाव महत्वपूर्ण माना गया।
बोर्ड ने परीक्षा की तैयारियों पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक परीक्षा केंद्र निर्धारण प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस बार केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता के लिए कई स्तर की जांच समितियां तैनात की जाएंगी। पिछले वर्षों में मिली शिकायतों के बाद बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया है कि अनियमितता मिलने पर केंद्र व्यवस्थापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
प्रत्येक जिले में फ्लाइंग स्क्वॉड और स्टैटिक स्क्वॉड की संख्या बढ़ाई जाएगी। सभी केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरों की अनिवार्य व्यवस्था, रिकॉर्डिंग सिस्टम और डिजिटल स्टोरेज की व्यवस्था की जाएगी। बोर्ड की योजना है कि परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह नकलविहीन बनाया जाए।
परीक्षाएं दो पालियों में होगी, इसलिए बोर्ड अलग-अलग विषयों के लिए केंद्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों और सहायक कर्मियों की विशेष ट्रेनिंग कराएगा। उन्हें भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे।
2024 में हुई बोर्ड परीक्षा में हिंदी दोनों कक्षाओं के लिए एक ही पाली रखी गई थी, जिसके कारण कई जिलों में परीक्षा केंद्रों पर भारी भीड़ देखी गई थी। इस बार बोर्ड ने पहले से ही पाली-विभाजन कर भीड़ नियंत्रण के लिए कदम उठाया है। परीक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव विद्यार्थियों के लिए बेहतर साबित होगा क्योंकि केंद्रों पर भीड़ कम होने से वातावरण अधिक शांत और नियंत्रित रहेगा।
परिषद सचिव ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि कोई भी इच्छुक परीक्षार्थी, चाहे वह जेल में हो, ट्रांसजेंडर समुदाय से हो, पिछड़े वर्ग से हो या विकलांग श्रेणी में हो, शिक्षा से वंचित न रहे। परीक्षा प्रक्रिया को सर्वसमावेशी और सहज बनाना बोर्ड की प्राथमिकता है।
Updated on:
12 Nov 2025 12:03 am
Published on:
12 Nov 2025 12:01 am

