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मायावती की ‘पीली फाइल’ का राज ! मुस्लिम नेताओं को सौंपा 100 कामों का लेखा-जोखा, सपा-कांग्रेस पर बोला हमला

लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती ने 450 मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें 'पीली फाइल' सौंपी है। जिसमें बसपा शासनकाल में मुस्लिम समाज के लिए किए गए 100 कामों की लिस्ट है। मायावती ने कहा-सपा और कांग्रेस सिर्फ बातें करती हैं। जबकि बसपा ने जमीनी स्तर पर काम किया है।

लखनऊ

Mahendra Tiwari

Oct 29, 2025

मायावती
मायावती फोटो सोर्स बीएसपी ट्विटर अकाउंट

उत्तर प्रदेश की सियासत में बसपा प्रमुख मायावती ने अब मुस्लिम समुदाय को साधने की दिशा में बड़ा दांव चल दिया है। बुधवार को उन्होंने लखनऊ में पहली बार मुस्लिम नेताओं के साथ करीब डेढ़ घंटे तक गहन बैठक की। इस दौरान प्रदेश के सभी 75 जिलों से आए 450 मुस्लिम पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में मायावती के साथ उनके भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद भी मौजूद थे। जिन्होंने मंच पर पहुंचकर मायावती के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

बसपा सुप्रीमो मायावती की बैठक का नज़ारा इस बार थोड़ा अलग था। बसपा के वरिष्ठ नेता पीछे की पंक्ति में बैठे नजर आए। जबकि मुस्लिम प्रतिनिधियों को आगे की पंक्तियों में बैठाया गया। मीटिंग के अंत में सभी नेताओं को पीले रंग की एक फाइल दी गई। जिसमें बसपा शासनकाल में मुस्लिम समाज के हित में किए गए 100 प्रमुख कार्यों की सूची शामिल थी।

बीजेपी को हराना है, तो मुस्लिम समाज बसपा का साथ दें

मायावती ने नेताओं से कहा कि वे इस सूची के साथ जनता के बीच जाएं। और बताएं कि सपा और कांग्रेस सिर्फ दिखावटी राजनीति करती हैं। जबकि बसपा ने जमीनी स्तर पर मुस्लिम समाज के विकास के लिए काम किया है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि अगर भाजपा को हराना है। तो मुस्लिम समाज को सपा या कांग्रेस नहीं, बल्कि बसपा के साथ खड़ा होना होगा।

बसपा शासनकाल में कानून व्यवस्था मजबूत रही

बसपा सुप्रीमो ने यह भी बताया कि पार्टी हमेशा से मुस्लिम समाज के अधिकारों और सुरक्षा की पक्षधर रही है। उनके शासनकाल में कानून-व्यवस्था मजबूत रही और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।वे सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करते हैं। और सत्ता में आने के बाद लोगों को भूल जाते हैं।

पार्टी को अवसरवादी और भीतरघाती नेताओं से सतर्क रहना होगा

मायावती ने बैठक के दौरान संगठनात्मक अनुशासन पर भी जोर दिया। उन्होंने शमसुद्दीन राईन का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे अवसरवादी और भीतरघाती नेताओं से पार्टी को सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि राईन जैसे लोग पार्टी की छवि और प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए अब हर स्तर पर वफादारी और प्रतिबद्धता परखनी जरूरी है।

30 दिनों में चौथी बड़ी बैठक, बसपा पुराने सामाजिक समीकरण को नए सिरे से मजबूत करने में जुटी

यह एक महीने में मायावती की चौथी बड़ी बैठक थी। इससे पहले उन्होंने 9 अक्टूबर को रैली और 16 व 19 अक्टूबर को वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ रणनीतिक चर्चा की थी। अब मुस्लिम नेताओं से हुई यह बैठक बताती है। कि बसपा आने वाले चुनावों में अपने पुराने सामाजिक समीकरण को नए सिरे से मजबूत करने में जुट गई है।