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कर्म का फल कब मिलेगा, इस पर ध्यान दोगे तो काम नहीं कर पाओगे : डॉ. गुलाब कोठारी

Stree Deh Se Aage: लखनऊ के 'गोमती पुस्तक महोत्सव' में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉक्टर गुलाब कोठारी ने कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान स्त्री: देह से आगे विषय पर भी चर्चा हुई।

लखनऊ

Harshul Mehra

Sep 20, 2025

Stree Deh Se Aage
'गोमती पुस्तक मेला' कार्यक्रम में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक डॉक्टर गुलाब कोठारी ने कही बड़ी बातें। फोटो सोर्स-पत्रिका न्यूज

Stree Deh Se Aage: लखनऊ में आज 'गोमती पुस्तक मेले' का शुभारंभ CM योगी आदित्यनाथ ने किया। कार्यक्रम में कुल 250 से ज्यादा लेखकों की लाखों किताबों का स्टॉल लगाया गया। इस दौरान पत्रिका समूह के मुख्य संपादक एवं लेखक डॉक्टर गुलाब कोठारी ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।

डॉक्टर गुलाब कोठारी से पूछा गया कि आपकी रचना प्रक्रिया कैसी रही? किताब को लिखने का समय कैसे निकाला? कौन-सी तकनीक को फॉलो किया? इस पर उन्होंने जवाब दिया, " मेरे पास कोई तकनीक नहीं है। मैं सभी किताबें अपने हाथ से लिखता हूं, लेकिन नियमित लेखन मेरा काम है। मैं नित्य 4 बजे (ब्रह्म मुहूर्त) उठता हूं। साढ़े 4 बजे तक अपनी टेबल पर बैठ जाता हूं। 7 बजे तक नियमित लेखन करता हूं।''

किस तरह के नए मानव का तसव्वुर करते हैं?

उनसे पूछा गया आप किस तरह के नए मानव का तसव्वुर (कल्पना) करते हैं और वह समाज कैसा होगा? इस पर डॉक्टर कोठारी ने जवाब दिया, '' मानव का स्वरूप कभी समय के साथ नहीं बदलता। सभ्यता बदलती है। शरीर का स्वरूप नहीं बदलता। शरीर के भीतर की कई चीजें दिखती नहीं है, पर वह शरीर का हिस्सा है। हमारा मन है, हमारी आत्मा है, हमारी बुद्धि है। ये सब मिलकर शरीर है। हमारी दिक्कत कहां हो रही कि हम शरीर को ही इंसान मान कर चल रहे हैं। फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हो। हम शरीर को ही अपना अस्तित्व मानकर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारी जीवन शैली, हमारी सारी शिक्षा-दीक्षा कामकाज सब चीजें शरीर पर आधारित हैं।

उन्होंने कहा कि आत्मा सूक्ष्म हैं। आत्मा को देखा नहीं जा सकता। पुरुष के पास भी आत्मा है लेकिन इसका निर्माण उसकी मां ने किया है। हमें जो पढ़ाया जा रहा है उसमें हमें हमारे बारे में नहीं बताया जा रहा। यही कारण है कि हम कितना भी पढ़ लें लेकिन अपने बारे में अनभिज्ञ रहते हैं। ''

जब उनसे पूछा गया कि आत्मा का कोई जेंडर होता है तो डॉक्टर कोठारी ने जवाब दिया कि आत्मा का कोई जेंडर नहीं होता उसके जेंडर को हम शरीर से आगे ही एड्रेस करते हैं।

इसी सवाल के जवाब में डॉक्टर कोठारी ने कहा, ''अंग्रेजी का जितना भी मीडियम है उसमें हमारे देश का ज्ञान नहीं दिया जा रहा। हमारे यहां शरीर से शरीर की शादी नहीं होती। आत्मा से आत्मा की शादी होती है। मंत्र उच्चारण के साथ शादी होती है विदेश में सिर्फ शरीर की शादी होती है। जब आत्मा से आत्मा का बंधन होगा आत्मा से आत्मा की शादी होगी तभी तो सात जन्मों का बंधन बनेगा, वरना तो वह शादी चलेगी कहां।''

जिस कर्म में फल की कामना ना हो वह अकर्म है ?

इस सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर कोठारी ने उदाहरण के तौर पर समझाते हुए कहा, ''एक बागबान है उसे नौकरी पर रखा और वह बागबान पेड़ों की देखभाल करता है लेकिन वह कुछ दिन बाद किसी और बाग में चला जाता है लेकिन जो पेड़ उसने उस समय लगाए थे, उनके फल को कौन खाएगा, अगर इस पर ध्यान रहेगा तो वह काम नहीं कर पायेगा।''

अगर पुत्र और पिता की जिम्मेदारी स्त्री पर है तो क्या यह उचित है?

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर गुलाब कोठारी ने कहा कि स्त्री के कई रूप हैं मां भी है, बहन भी है, पत्नी भी है। एक स्त्री जन्म दे रही है। एक प्रेम कर रही है और एक पोषण कर रही है। मां से हमें हमेशा कुछ न कुछ मिलता रहता है। अभी नवरात्रि आ रहे इस दौरान हम मां की पूजा-अर्चना करेंगे और अपने लिए कुछ न कुछ मांगेंगे। लेकिन, पीड़ा तब होती है जब सड़क पर खड़े होकर एक स्त्री मांग रही होती है। किसी न किसी रूप में वह भी मां का ही स्वरूप है यानी जो देने वाली है वह खुद मांग रही है तो इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।

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