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आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा पकड़ में, अस्पतालों की हो रही जांच; पुराने रिकॉर्ड से सरकार करेगी बड़ा खुलासा

आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाकर गलत बिलिंग करने वाले अस्पतालों की व्यापक जांच होगी। पुराने भुगतान रिकॉर्ड भी खंगाले जाएंगे और गड़बड़ी मिलने पर सख्त कार्रवाई तय है। सरकार ने इसे गरीबों के हक पर हमला बताया है।

लखनऊ

Ritesh Singh

Nov 11, 2025

आयुष्मान योजना फर्जीवाड़ा (फोटो सोर्स : News Whatsapp Group )
आयुष्मान योजना फर्जीवाड़ा (फोटो सोर्स : News Whatsapp Group )

Ayushman card fraud: देश की सबसे बड़े स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रमों में शामिल आयुष्मान भारत योजना एक बार फिर फर्जीवाड़े की वजह से सुर्खियों में है। सरकार ने उन अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी कर ली है, जिन्होंने फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाकर इलाज के नाम पर करोड़ों रुपये की गलत बिलिंग की है। लखनऊ समेत कई जिलों में इस तरह की शिकायतें सामने आने के बाद अब पूरे प्रदेश में अस्पतालों की विस्तृत जांच शुरू की जा रही है।

स्वास्थ्य विभाग ने साफ कर दिया है कि पिछले वर्षों में किए गए सभी भुगतान रिकॉर्ड दोबारा खंगाले जाएंगे। जहां भी अनियमितता या अवैध क्लेम की पुष्टि होगी, वहां अस्पतालों पर भारी जुर्माना और योजना से ब्लैकलिस्ट करने जैसी कार्रवाई होगी। अधिकारियों का कहना है कि आयुष्मान भारत योजना गरीबों और जरूरतमंदों के लिए बनाई गई है, लेकिन कुछ अस्पताल इसे कमाई का साधन बना रहे हैं, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।

कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले कुछ महीनों में आयुष्मान योजना से जुड़े दावों की जांच की और कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। कुछ अस्पतालों में मरीजों के नाम पर झूठे एडमिशन दिखाए गए। कई जगह ऐसे मरीजों के इलाज के बिल प्रस्तुत किए गए, जो उस समय अस्पताल में मौजूद ही नहीं थे। कुछ मामलों में एक ही मरीज के कार्ड का बार बार उपयोग कर फर्जी सर्जरी और उपचार दिखाया गया।

जांच में यह भी सामने आया है कि कई अस्पतालों ने ऐसे मरीजों को आयुष्मान लाभ दिखाया, जिनके पास कार्ड ही नहीं था। वहीं कुछ प्राइवेट अस्पतालों में फर्जीवाड़े का तरीका इतना संगठित था कि पूरा नेटवर्क कार्ड बनवाने, मरीजों की फर्जी एंट्री करने और क्लेम पास कराने तक फैला हुआ था।

सरकार का सख्त रुख

राज्य सरकार ने इन अनियमितताओं को बेहद गंभीरता से लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि गरीबों के हक पर डाका डालने जैसा अपराध है। आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य ऐसे परिवारों को आर्थिक सुरक्षा देना है, जो महंगे इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाते। लेकिन अगर अस्पताल ही इस पर खेल खेलें, तो योजना का मकसद ही खत्म हो जाता है। सरकार अब प्रदेश स्तर पर एक विशेष टास्क फोर्स बना रही है, जो उन अस्पतालों की पहचान करेगी जिन्होंने संदिग्ध क्लेम दाखिल किए हैं। शहर, जिला और मंडल स्तर पर टीमें गठित की जाएंगी। जांच में फर्जी उपचार, गलत बिलिंग, वास्तविक मरीजों की अनुपस्थिति, गैर जरूरी सर्जरी और कागजों में मनमर्जी से किए गए संशोधन शामिल होंगे।

पुराने बिल और क्लेम का होगा ऑडिट

स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि अब सिर्फ नए मामलों की पड़ताल नहीं होगी, बल्कि पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड की भी जांच कराई जाएगी। जिन अस्पतालों ने बड़े पैमाने पर आयुष्मान दावे किए हैं, उनके सभी भुगतान, केस शीट, मरीजों की एंट्री, डिस्चार्ज सारांश और चिकित्सीय रिकॉर्ड की क्रॉस-वेरिफिकेशन होगी। संदेहास्पद दावों पर सीधे अस्पतालों से जवाब मांगा जाएगा। राज्य आयुष्मान सोसाइटी के अनुसार, कुछ जिलों में अप्रत्याशित रूप से अधिक क्लेम आए हैं, जो सामान्य स्थिति की तुलना में कई गुना अधिक हैं। ऐसे जिलों को ‘हाई रिस्क’ के रूप में चिन्हित किया जा रहा है।

अस्पतालों में बढ़ेगी जवाबदेही

सरकार अब अस्पतालों पर निगरानी बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए तकनीकी और प्रशासनिक दोनों तरह की सख्ती बढ़ाई जाएगी।

  • अस्पतालों का रियल टाइम लाइव डाटा मॉनिटरिंग
  • मरीज की बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन
  • डॉक्टरों द्वारा अपलोड किए गए दस्तावेजों की जांच
  • अस्पतालों के रैंडम दौरे
  • अस्पताल के स्टाफ और मरीजों से फील्ड वेरीफिकेशन
  • इन कदमों से फर्जी तरीके से पैदा किए गए मामलों पर रोक लगाई जा सकेगी।

मरीजों की सुरक्षा भी प्राथमिकता

सरकार ने इस पूरी जांच के दौरान यह भी जोर दिया है कि इससे वास्तविक मरीजों को कोई परेशानी न हो। जो भी पात्र और जरूरतमंद हैं, वे बिना हिचकिचाहट के अपने आयुष्मान कार्ड का उपयोग कर सकेंगे। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि योजना बंद नहीं होगी बल्कि इसे और पारदर्शी बनाया जाएगा।

फर्जी अस्पतालों पर हो सकती हैं ये कार्रवाई

जांच में दोषी पाए जाने वाले अस्पतालों पर कई तरह की सख्त कार्रवाई हो सकती है, जैसे

  • भारी आर्थिक जुर्माना
  • योजना से हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट
  • फर्जी बिलिंग पर संविदा समाप्त
  • अस्पताल संचालकों पर FIR
  • लाइसेंस की समीक्षा या निरस्तीकरण

सरकार का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक अनियमितता नहीं है, बल्कि धोखाधड़ी का अपराध है, इसलिए कानूनी कार्रवाई भी तय है।

आयुष्मान योजना से हो रहा है व्यापक लाभ

फर्जीवाड़े की खबरों के बावजूद यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि आयुष्मान भारत योजना ने लाखों परिवारों को बड़ी राहत दी है। उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक आयुष्मान कार्ड बनाने और क्लेम पास कराने वाले राज्यों में शामिल है। योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क इलाज मिलता है, जिससे गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ता है। लेकिन इसी लोकप्रियता का फायदा उठाकर कुछ अस्पतालों ने गलत बिलिंग और बेवजह उपचार का रास्ता अपनाया, जो अब उनके लिए भारी पड़ने वाला है।