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Electricity Bill Relief Scheme: बिजली राहत योजना में सख्ती, किश्त और मासिक बिल न जमा करने पर सीधे डिफाल्टर घोषित होंगे

Electricity Bill: बिजली बिल राहत योजना में अब लापरवाही महंगी पड़ेगी। पंजीयन कराने के बाद समय पर किस्त या मासिक बिल जमा नहीं करने वाले उपभोक्ता डिफाल्टर माने जाएंगे। नए नियमों के तहत हर माह की देरी पर अलग-अलग जुर्माना लगेगा और तीन बार भुगतान न करने पर योजना का लाभ स्वतः समाप्त हो जाएगा।

लखनऊ

Ritesh Singh

Nov 11, 2025

आयुष्मान योजना में पंजीकरण और बिल भुगतान के नए नियम कड़े (फोटो सोर्स : Information Department )
आयुष्मान योजना में पंजीकरण और बिल भुगतान के नए नियम कड़े (फोटो सोर्स : Information Department )

Electricity Bill Relief Scheme Tightens Rules: बिजली विभाग की राहत योजनाओं का लाभ पाने वाले उपभोक्ताओं के लिए सरकार ने सख्त और स्पष्ट नियम लागू कर दिए हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि पंजीकरण के बाद भी अगर उपभोक्ता समय पर किश्त या मासिक बिल जमा नहीं करता है, तो उसे डिफाल्टर घोषित कर दिया जाएगा और योजना का लाभ स्वतः समाप्त हो जाएगा। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने मंगलवार को इन नियमों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिजली बिल राहत योजना पारदर्शिता और नियमित भुगतान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही पर सीधे दंडात्मक कार्रवाई होगी।

ऊर्जा मंत्री के अनुसार, कई उपभोक्ता योजना में पंजीकरण करा तो लेते हैं, लेकिन समय से भुगतान नहीं करते। इससे ऊर्जा विभाग की वित्तीय स्थिति प्रभावित होती है। ऐसे में विभाग ने स्पष्ट किया है कि पंजीकरण के बाद यदि उपभोक्ता पहला, दूसरा या तीसरा चरण हो, किसी भी चरण में तय समय सीमा में राशि जमा नहीं करता है, तो उसे डिफाल्टर माना जाएगा और दी गई छूट वापस ले ली जाएगी।

डिफाल्टर पर लगेगा अतिरिक्त शुल्क, तीन बार तक ही छूट

नए नियमों के तहत देरी से भुगतान पर चरणबद्ध पेनल्टी लागू होगी। यदि उपभोक्ता एक माह किश्त या बिल जमा नहीं करता है तो 50 रुपये, दो माह तक जमा न करने पर 150 रुपये और तीन माह तक भुगतान न करने पर 300 रुपये अतिरिक्त डिफाल्टर शुल्क लगेगा। यह स्थिति तीसरी बार तक ही स्वीकार्य है। इसके बाद उपभोक्ता पूर्ण रूप से डिफाल्टर घोषित कर दिया जाएगा और योजना का संपूर्ण लाभ समाप्त हो जाएगा। योजना के दौरान अवधि पूर्ण होने पर भी अगर भुगतान नहीं हुआ है, तो देय राशि के साथ पूरे बकाए पर अधिभार जोड़ा जाएगा। इस अधिभार को उपभोक्ता को अलग से निपटाना होगा।

छूट का पूरा फार्मूला 

ऊर्जा मंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि उपभोक्ता प्रथम चरण में पंजीकृत है और 30 दिनों की अवधि के भीतर पूर्ण भुगतान कर देता है, तो उसे 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी। यदि वह 31वें दिन भुगतान करता है, तो उसे दूसरी चरण की छूट यानी 20 प्रतिशत ही प्राप्त होगी। इसके बाद तीसरे चरण में भुगतान करने पर छूट 15 प्रतिशत रह जाएगी। 28 फरवरी 2026 तक यदि भुगतान नहीं किया जाता है, तो उपभोक्ता स्वतः डिफाल्टर घोषित हो जाएगा।

इसी प्रकार द्वितीय चरण में पंजीकृत उपभोक्ता 30 दिवस के भीतर पूर्ण भुगतान करने पर 20 प्रतिशत छूट पाएगा। इसके बाद तीसरे चरण में भुगतान करने पर उसे 15 प्रतिशत की छूट मिलेगी। तीसरे चरण के उपभोक्ताओं को 30 दिन के भीतर भुगतान करने पर 15 प्रतिशत की छूट ही उपलब्ध होगी। किसी भी दशा में समय सीमा पार करने पर डिफाल्टर का लेबल लग जाएगा।

मासिक बिल और किश्त दोनों अनिवार्य

ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि पुराने बकाए के साथ-साथ उपभोक्ता को नियमित मासिक बिल भी जमा करना आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई उपभोक्ता 750 रुपये मासिक किश्त के लिए पंजीकरण करता है, तो उसे मौजूदा महीने का बिल भी समय पर जमा करना होगा। यदि उपभोक्ता को 15 तारीख तक बिजली बिल प्राप्त नहीं होता है, तो उसे 25 तारीख तक प्रोविजनल बिल के आधार पर भुगतान करना होगा।

सरकार ने प्रोविजनल बिल की धनराशि भी उपभोक्ता की श्रेणी के आधार पर तय कर दी है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं से 300 रुपये, शहरी घरेलू उपभोक्ताओं से 400 रुपये, एक से दो किलोवाट वाले ग्रामीण उपभोक्ता से 600 रुपये, शहरी उपभोक्ता से 800 रुपये जबकि वाणिज्यिक उपभोक्ता ग्रामीण से 600 और शहरी से 900 रुपये मासिक प्रोविजनल बिल के रूप में जमा कराया जाएगा। प्रोविजनल बिल का समायोजन बाद में वास्तविक खपत के आधार पर कर दिया जाएगा। साफ किया गया है कि मासिक बिल और मासिक किश्त दोनों में से किसी एक का भी भुगतान न होने पर उपभोक्ता को डिफाल्टर माना जाएगा।

मीटर न होने वालों का आकलन नॉर्मेटिव आधार पर

ऐसे उपभोक्ता जिनके यहां मीटर नहीं लगे हैं या गलत बिल आने की शिकायत है, उनके लिए अलग व्यवस्था बनाई गई है। इनका आकलन नॉर्मेटिव खपत के आधार पर किया जाएगा, जिसके तहत 144 यूनिट प्रति किलोवाट प्रति माह की खपत मानकर बिल निकाला जाएगा। उदाहरण के अनुसार, एक किलोवाट वाले ग्रामीण उपभोक्ता का मासिक बिल 650 रुपये आएगा। पहले चरण में उसे 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी, जिससे देय धनराशि 488 रुपये रह जाएगी। अगर उसका मूल बकाया 22 महीनों में 17600 है, तो किश्त 800 रुपये आती है, लेकिन तय सीमा 650 रुपये के कारण वही लागू होगी, जिससे उसे लगभग 3300 रुपये का लाभ होगा।

कर्मचारियों और एजेंसियों को भी मिलेगा प्रोत्साहन

सरकार ने योजना को सफलता की ओर ले जाने के लिए विभागीय कर्मचारियों और कलेक्शन एजेंसियों के लिए भी प्रोत्साहन राशि तय की है। योजना पूर्ण होने पर डिस्कॉमवार समीक्षा कर सर्वाधिक राजस्व जुटाने वाले 10 अधिशासी अभियंता, 20 उपखंड अधिकारी और 30 अवर अभियंता को पुरस्कृत किया जाएगा। कलेक्शन एजेंसियों को प्रति पंजीकरण 100 रुपये की राशि दी जाएगी। साथ ही जो एजेंसी उपभोक्ता से बकाया का पूर्ण एकमुश्त भुगतान कराएगी, उसे जमा की गई राशि का 5 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा।

बिल में गड़बड़ी पर जांच सेल करेगा काम

योजना अवधि के दौरान यदि किसी उपभोक्ता का बिल गलत आता है या किसी प्रकार की अनियमितता की शिकायत मिलती है, तो डिस्कॉम स्तर पर निदेशक (वाणिज्य) के नेतृत्व में गठित विशेष सेल उसकी जांच करेगा। इससे उपभोक्ताओं को बिल संबंधी विवादों से राहत मिलने की उम्मीद है।

संदेश मोबाइल पर भी भेजे जाएंगे

पंजीकरण के समय उपभोक्ता द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर बिल और भुगतान संबंधी सभी अपडेट एसएमएस या व्हाट्सऐप संदेश के माध्यम से भेजे जाएंगे ताकि समय पर सूचना मिल सके और उपभोक्ता अपनी किश्त या बिल जमा करने से चूक न जाए।