
AI Model India: चिकित्सा जगत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग लगातार बढ़ रहा है, और इसी कड़ी में लखनऊ विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। विभाग के शोधकर्ता डॉ. रोहित श्रीवास्तव ने एक ऐसी उन्नत एआई आधारित तकनीक विकसित की है जो एंडोस्कोपी तस्वीरों का गहराई से विश्लेषण कर पेट और आंतों में होने वाली बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगा लेती है। यह तकनीक भविष्य में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की दुनिया में नई दिशा तय कर सकती है।
तकनीक क्या है और कैसे काम करती है
एंडोस्कोपी का उपयोग डॉक्टर पाचन तंत्र की बीमारियों की जांच के लिए करते हैं। पारंपरिक तरीके में डॉक्टर आंखों से वीडियो और इमेज देखकर किसी बीमारी की संभावना का अनुमान लगाते हैं। लेकिन कई बार शुरुआती चरण के बदलाव इतने सूक्ष्म होते हैं कि सामान्य निरीक्षण में वे पकड़ में नहीं आते। डॉ. रोहित श्रीवास्तव द्वारा विकसित यह आधुनिक AI सिस्टम सेमांटिक सेगमेंटेशन तकनीक पर आधारित है। इसका अर्थ है कि यह प्रणाली एंडोस्कोपी इमेज के हर हिस्से का पिक्सल स्तर पर विश्लेषण करती है और रोगग्रस्त क्षेत्रों को अलग-अलग मार्क कर देती है। यह तकनीक पेट की भीतरी त्वचा में छोटे-छोटे बदलाव, आंतों में सूक्ष्म पॉलिप्स,अल्सरेटिव कोलाइटिस, कैंसर की शुरुआती कोशिकीय गड़बड़ी,और सतही संक्रमण जैसे मामलों को तुरंत पकड़ लेती है। कई बार ऐसे बदलाव नग्न आंखों से देख पाना असंभव होता है, मगर AI इन्हें तुरंत पहचान लेता है।
लखनऊ के कई वरिष्ठ गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट इस तकनीक को भविष्य की बड़ी क्रांति बताते हैं। उनका कहना है कि पेट और आंतों की बीमारियां भारत में तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर युवा व मध्यम वर्ग में। गैस्ट्रो विशेषज्ञों के अनुसार,यह प्रणाली बीमारी का त्वरित और सटीक निदान करने में सक्षम है। गलत रिपोर्टिंग की संभावना बेहद कम हो जाती है। शुरुआती चरण में बीमारी पकड़ में आ जाने से मरीजों की जान बचाई जा सकती है। कैंसर के प्रारंभिक लक्षण भी आसानी से पकड़ में आते हैं, जिससे दीर्घकालिक उपचार में मदद मिलती है। यह एआई टूल डॉक्टरों के लिए एक अतिरिक्त आंख की तरह काम करता है। डॉक्टरों का कहना है कि यह तकनीक आंखों से भी अधिक सूक्ष्मता से बीमारी को पहचानने में सक्षम है।
स्वास्थ्य सेवाओं में एआई आधारित तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मरीजों को समय रहते उपचार दिला सकती है। इस तकनीक से बीमारी जल्दी पकड़ में आने से महंगे टेस्टों की जरूरत कम पड़ती है। लंबे उपचार, बार-बार अस्पताल के चक्कर और अनावश्यक दवाइयों से छुटकारा मिलता है। किस बीमारी के किस चरण में क्या खतरा है, यह साफ दिखाई देता है। विशेषकर पॉलिप्स और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे रोगों में शुरुआती पहचान बेहद महत्वपूर्ण है। यदि पॉलिप्स समय रहते हटा दिए जाएं, तो कैंसर बनने की आशंका 80% तक कम हो जाती है।
देश में हर साल पेट और आंतों संबंधी बीमारियों के लाखों नए मामले सामने आते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि मौजूदा स्वास्थ्य प्रणाली में एंडोस्कोपी जांचों की संख्या बहुत अधिक है, जबकि कुशल विशेषज्ञों की संख्या कम है। ऐसे में एआई तकनीक का इस्तेमाल डॉक्टरों का बोझ कम कर सकता है और जांच की गति को कई गुना बढ़ा सकता है।
भविष्य में इस तकनीक को मेडिकल कॉलेजों,बड़े अस्पतालों,निजी क्लीनिकों,टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां विशेषज्ञ आसानी से उपलब्ध नहीं होते, वहां यह तकनीक जीवन रक्षक साबित हो सकती है। एआई के माध्यम से प्राथमिक स्तर पर ही बीमारी का पता लगना, दूर-दराज़ के मरीजों के लिए बड़ी मदद होगी।
डॉ. रोहित श्रीवास्तव और उनकी टीम ने इस तकनीक पर कई महीनों तक शोध किया। उन्होंने हजारों वास्तविक एंडोस्कोपी इमेजों का संग्रह किया। बीमारी के प्रकारों के अनुसार डेटा तैयार किया। AI मॉडल को लाखों बार ट्रेन किया और लगातार इसकी सटीकता को बेहतर बनाया। परिणामस्वरूप यह आधुनिक मॉडल तैयार हुआ, जो उच्च स्तरीय मेडिकल मानकों को पूरा करने में सक्षम है। डॉ. रोहित का कहना है कि उनकी टीम का उद्देश्य ऐसी तकनीक तैयार करना था जो सस्ती, सुलभ और अधिकतम उपयोगी हो। भविष्य में इसे अस्पतालों के एंडोस्कोपी मशीनों से सीधे जोड़ने की योजना है।
शोध टीम का कहना है कि आने वाले समय में इस तकनीक को रियल टाइम वीडियो विश्लेषण,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सर्जरी प्लानिंग, और रोबोटिक एंडोस्कोपी जैसी आधुनिक प्रणालियों से जोड़ा जाएगा। यह आने वाले वर्षों में मेडिकल दुनिया के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
भारत में तेजी से विकसित हो रही एआई आधारित स्वास्थ्य तकनीकें हेल्थ सेक्टर में क्रांति ला सकती हैं। AI जांच की सटीकता बढ़ाएगा,उपचार तेज करेगा,मरीजों का खर्च घटाएगा और डॉक्टरों के भार को कम करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 5 वर्षों में भारत की 60% स्वास्थ्य सेवाएँ किसी न किसी रूप में एआई आधारित तकनीक का उपयोग करेंगी।
Updated on:
21 Nov 2025 11:27 pm
Published on:
21 Nov 2025 11:26 pm

