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Tanya Mittal Parenting Controversy: तान्या मित्तल के परवरिश पर उठ रहा सवाल, जानिए बच्चों की गलती पर ऐसा कहना कितना सही?

Tanya Mittal Parenting Controversy: जानिए तान्या मित्तल के परवरिश पर उठ रहे सवालों के पीछे की सच्चाई। Parenting के नजरिए से समझें बच्चों की परवरिश पर टिप्पणी करना क्यों अनुचित है।

भारत

Dimple Yadav

Sep 13, 2025

Tanya Mittal Parenting Controversy
Tanya Mittal Parenting Controversy (photo- Instagram/ jiohotstar)

Tanya Mittal Parenting Controversy: हाल ही में बिग बॉस 19 की प्रतिभागी तान्या मित्तल चर्चा में आईं, जब उनके परवरिश के तरीके पर सवाल उठाए गए। नॉमिनेशन टास्क के दौरान, प्रतियोगी कुनिका सदानंद ने तान्या की मां की परवरिश पर टिप्पणी की, जिससे तान्या भावुक हो गईं। तान्या ने पलटवार करते हुए कहा, "शेरनी क्या अपने बच्चों को खाती है?"। इस घटना ने सोशल मीडिया इस बात को लेकर काफी चर्चा हो रही है।

माता-पिता की प्रतिक्रिया

तान्या के माता-पिता ने इस मामले पर स्पष्ट किया कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है और जो लोग उनकी परवरिश पर सवाल उठा रहे हैं, उनसे अनुरोध किया कि वे तान्या की जर्नी पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर न पहुंचे। उनका कहना है कि हर माता-पिता का उद्देश्य बच्चों का भला करना होता है, और तान्या की मां ने हमेशा उनका समर्थन किया है।

अन्य हस्तियों की प्रतिक्रिया

अभिनेत्री गौहर खान ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और कुनिका की आलोचना करते हुए कहा कि 61 साल की उम्र में किसी की मां की परवरिश पर सवाल उठाना उचित नहीं है। इस मामले से यह साफ है कि बच्चों की परवरिश को लेकर टिप्पणी करना संवेदनशील मामला है और इससे मानसिक आघात भी हो सकता है।

तान्या का अनुभव और मानसिक स्वास्थ्य

तान्या ने अपने संघर्षों का खुलासा करते हुए बताया कि 19 साल की उम्र में वह परिवार के दबाव के कारण आत्महत्या तक करने का विचार कर रही थीं। यह बात स्पष्ट करती है कि किसी भी व्यक्ति की परवरिश पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाना उसकी मानसिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

Parenting के दृष्टिकोण से सीख

यह मामला हमें parenting के महत्वपूर्ण पहलू पर सोचने का अवसर देता है। बच्चों की परवरिश सिर्फ नियम बनाने या उन्हें नियंत्रित करने तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसमें उन्हें भावनात्मक समर्थन, आत्मविश्वास और सही निर्णय लेने की क्षमता देना शामिल होता है। माता-पिता के प्रयासों और संघर्ष को नजरअंदाज करना, या उस पर टिप्पणी करना अनुचित है। बच्चों की परवरिश पर सवाल उठाने के बजाय, समाज को उन्हें समझने और समर्थन देने का प्रयास करना चाहिए।