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सावधान: बच्चे बता रहे हैं परेशानी, आप सुन क्यों नहीं रहे? गंभीरता से ले पेरेंट्स…वरना हो जाएगी बहुत देर

हमारे आसपास ऐसे किशोर और युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, जो अपने आसपास के लोगों से परेशान रहने लगे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दूसरों के तानों से, बुलीइंग से और गुंडागर्दी से अपने आपको कैसे बचाएं।

agony aunt
बुलिंग ले रहा बच्चों की जान (फाइल फोटो)

एगोनी आंट – टीन ट्रबल्स
इस खबर को गंभीरता से लीजिए पेरेंट्स

आज की खबर है। जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में पढ़ने वाली नौ साल की बच्ची ने अपने क्लास के कुछ बच्चों के लगातार परेशान करने की वजह से स्कूल में ही ऊपर से कूद कर आत्महत्या कर ली। हाल-फिलहाल के दिनों में इस तरह के कई केसेज हुए हैं। मध्यप्रदेश के रीवा में ग्यारहवीं में पढ़ने वाली 17 साल की लड़की ने भी अपने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके एक अध्यापक उसे सजा देने के लिए उसके हाथों में पेन जोर से दबा दिया करते थे। मुंबई में एक 19 साल के युवा ने कल इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि कॉलेज जाते समय लोकल ट्रेन में दूसरे लड़कों ने उस पर ताना कसा, परेशान किया, हिंसा की, क्योंकि उसे मराठी बोलनी नहीं आती थी। दिल्ली के सेंट कोलंबस में पढ़ने वाले दसवीं के एक छात्र ने अपने कुछ अध्यापकों के तानों से आहत हो कर अपनी जान दे दी।

बुलीइंग और गुंडागर्दी से अपने आपको कैसे बचाएं?

हमारे आसपास ऐसे किशोर और युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, जो अपने आसपास के लोगों से परेशान रहने लगे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दूसरों के तानों से, बुलीइंग से और गुंडागर्दी से अपने आपको कैसे बचाएं। इनमें से अधिकांश केस में छात्रों ने अपने पेरेंट्स और स्कूल में टीचर्स को अपनी परेशानी बताई थी, पर समय पर कदम ना लेने की वजह से इन्होंने अपनी जान ले ली। जाहिर है, अगर वक्त रहते इन बच्चों, किशोरों और छात्रों को सही रास्ता दिखाया जाता और ऐसे स्किल सिखाए जाते जिससे वे अपने आपको बुली करने वाले या ताना देने वालों के खिलाफ बचा सकें, तो आज ये नौनिहाल हमारे साथ जीते-जागते होते।

'अगले साल स्कूल बदल देंगे,' ये जवाब नहीं

आज इस बात पर दुखी होने, रोने से ज्यादा अच्छा होगा, अपने बच्चों की मनोदशा को परख कर, समय पर उन्हें सही रास्ता दिखाएं। टीचर या काउंसलर का इन बच्चों से यह कहना कि दूसरों के साथ एडजस्ट करना सीखो या माता-पिता का यह कहना कि अगले साल तुम्हारा स्कूल बदल देंगे या बुली करने वाले बच्चे को डांटना इस समस्या का कतई हल नहीं है। जो बच्चे वल्नरेबल होते हैं, कमजोर होते हैं, अपने लिए लड़ नहीं पाते, अंतर्मुखी होते हैं, अपनी बात पूरे जोश से सामने नहीं रख पाते, स्कूल में किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं होते, जिनके भीतर असफलता से मुकाबला करने का स्किल नहीं होता या जो भीरू होते हैं, अक्सर स्कूल में बुली करने वाले बच्चों के शिकार बन जाते हैं। यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि बुली, तंग या आक्रामक होने वाला बच्चा भी उसी उम्र का होगा। वो भी परवरिश, स्वभाव वश या किसी दूसरी वजह से कमजोर बच्चों को दबाने में आनंद लेता होगा। ऐसे में बतौर अध्यापक, काउंसलर या अभिभावक आपको दोनों का इलाज करना होगा। कमजोर बच्चों को ताकत देने होगी और बुली करने वाले बच्चे को संवेदनशील बनाना होगा। जैसे ही कोई बच्चा यह शिकायत करे कि क्लास में कोई दूसरा बच्चा या शिक्षक या बस में कोई दूसरा उसे परेशान कर रहा है, बिना वक्त गंवाए चेत जाइए। तुरंत बच्चे की मदद को हाथ बढ़ाएं। अगर बच्चा बेचैन है तो उसे काउंसलर से मिलवाएं। उसे इतना आत्मविश्वास दें कि वो इस लड़ाई में अकेला नहीं है। किशोरों से यह कभीना कहें कि जल्द सबकुछ ठीक हो जाएगा। या गलती उनकी ही होगी। इस समय उन्हें कोई सुनने और समझने वाला चाहिए।

हेल्पलाइन नंबर

अगर आपके आसपास बच्चे तनाव में हैं, अवसाद में हैं, परेशान हैं, या आत्महत्या का ख्याल आ रहा है, तो इस हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें: संजीवनी, 011-26862222, 011-26864488, 011-40769002

बढ़ते बच्चों की दिक्कतें भी कई हैं और इनमें से कुछ बिलकुल नई हैं। इस स्तंभ में हर सप्ताह 15 से 25 साल तक के युवाओं की विभिन्न परेशानियों को हल करने की कोशिश रहेगी।

1- मेरी उम्र चौदह साल है। मैं एक कोएड स्कूल में आठवीं क्लास में पढ़ती हूं। मेरी क्लास के लड़के मुझसे ज्यादा भाव मेरी दोस्त को देते हैं, जो मेरे साथ ही बैठती है। मुझे लगता है मैं अपनी फ्रेंड से ज्यादा सुंदर हूं, और मार्क्स भी मेरे ज्यादा अच्छे आते हैं। फिर ऐसा क्यों होता है? मैं इस वजह से तनाव में रहने लगी हूं।

तुम सुंदर हो, इंटेलिजेंट हो। पर क्या कॉन्फिडेंट हो? क्या तुम्हें अपने ऊपर यकीन है? अगर है तो कौन सा लड़का किस लड़की को ज्यादा भाव देता है, इस बात पर तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। अगर वो लड़का तुम्हें पसंद है, तो तुम सीधे उससे बात कर सकती हो। कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम अपना व्यवहार ऐसा रखती हो कि लड़के तुमसे बात करने से डरें? दोस्ताना बनने के लिए सबसे पहले गिवर बनना होगा। यानी दूसरों की बात सुननी-समझनी होगी। अपने को सबसे ऊपर मानोगी तो किसी से दोस्ती नहीं हो पाएगी। सबकी मदद करो, सबकी सुनो। सबके बीच, सबकी तरह रहो। जब लड़कों को लगेगा कि तुम उनका कॉन्फिडांट बन सकती हो, तुम उनकी बड्डी बन सकती हो तो वो अपने आप तुमसे दोस्ती करने चले आएंगे। हो सकता है कि तुम्हारी फ्रेंड में यह गुण हो। तुम्हें अपने आपको थोड़ा सा बदलना होगा, अपने ऊपर मेहनत करनी होगी। भीतर से सुंदर बनना होगा। फिर देखो, कैसे लड़के-लड़कियां तुम्हारे पीछे खिंचे चले आएंगे।

2- कुछ महीनों से मैं बहुत कन्फ्यूज्ड हूं, इस बात को लेकर कि पता नहीं मैं अपनी जिंदगी में कुछ कर पाऊंगा भी या नहीं। मेरे मम्मी-पापा दोनों डॉक्टर हैं। घर में मेरे ऊपर भी डॉक्टर बनने का इतना प्रेशर था कि ग्यारहवीं में मुझे साइंस लेना पड़ा। मुझे साइंस नहीं पढ़ना, डॉक्टर नहीं बनना। मैं म्यूजिक पसंद करता हूं, ड्रम बजाता हूं और इसी में आगे कुछ करना चाहता हूं। मैं जब भी यह बात मम्मी-पापा को बताता हूं, वो गुस्सा हो जाते हैं। कहते हैं कि तुम ढंग का करियर क्यों नहीं चुनते? डॉक्टर बनकर हमारा क्लीनिक संभालो। मैं क्या करूं?

हां, प्रॉब्लम तो है। समझ सकती हूं कि मम्मी-पापा का कितना प्रेशर होगा तुम पर। तुम्हारे सपने कुछ और हैं, उनके कुछ और। लेकिन एक बात तय कर लो। अपने औसत होने पर या डॉक्टर न बन पाने पर कभी शर्मिंदा मत होना। दुनिया में हर किसी की जरूरत है। डॉक्टर की है तो संगीत बनाने वालों की भी है। पहले तुम अपने भीतर आत्मविश्वास पैदा करो कि हां तुम अच्छा ड्रम बजाते हो और भविष्य में यही काम करना चाहते हो। इसके बाद अपने किसी टीचर से या परिचित से बात करो जो मम्मी-पापा को समझा सके कि तुम्हारा इंटेरेस्ट किस में है। तुम चाहो तो पापा को एक बड़ा सा मेल भी लिख सकते हो। तुम कह सकते हो कि तुम कितने तनाव में हो। उन्हें बताओ कि इस तरह के प्रेशर का तुम्हारी मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। तुम्हें यह भी समझना होगा कि जो करियर तुम चुन रहे हो, वहां बहुत संघर्ष है। तुम्हें आनेवाले मुश्किल दिनों के लिए अपने आपको तैयार करना पड़ेगा। तुम पॉजिटिव लोगों से मिलो, वॉक पर जाओ, योग करो, इससे तुम्हें मानसिक शांति मिलेगी। मम्मी-पापा से जब भी बात करो, गुस्सा मत करना, उत्तेजित मत होना। उनके सब सवालों के तुम्हारे पास जवाब होने चाहिए। सिर्फ साइंस नहीं पसंद वाला जुमला काम नहीं करेगा। तुम इमोशनल हो सकते हो, पर अपनी बात पर दृढ़ रहना। वे तुम्हारी बात जरूर समझेंगे। पर तुम्हें भी यह समझना होगा कि लाइफ में सब चीजें आसानी से नहीं मिलती। जैसे डॉक्टर बनना आसान नहीं, ड्रमर बनना भी मुश्किल है। पर हां, अपनी रुचि का काम करोगे तो उससे बहुत खुशी मिलेगी। बेस्ट ऑफ लक।

मेरे प्रिय यंग दोस्तों,
अगर आपके पास भी जिंदगी से जुड़ा कोई मसला, सवाल या उहापोह है, तो अपने सवाल यहां भेज सकते हो।
अपनी परेशानी और तनाव अकेले मत झेलो। बांटोगे तो जरूर उसका हल निकलेगा।