
फोटो: पत्रिका
Kota Bhamashah Mandi News: कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में इन दिनों धान की रिकॉर्ड आवक हो रही है। मंडी परिसर में जगह की भारी कमी के कारण शनिवार रात से मंडी गेट बंद करना पड़ा। इससे सैकड़ों किसानों और ट्रक चालकों को मंडी के बाहर ही रुकना पड़ा।
सड़क किनारे ट्रॉली और ट्रकों में किसान रात बिता रहे हैं। कुछ जगहों पर किसान व चालक खुद चूल्हा जलाकर खाना बना रहे हैं, तो कहीं वाहनों में ही सोने की व्यवस्था की गई है। मंडी गेट बंद होने से गेट के बाहर एक किलोमीटर से अधिक लंबी कतारें लग गई हैं। किसान और चालक खुले आसमान के नीचे ठंड और धूल के बीच इंतजार कर रहे हैं। मंडी में इन दिनों रोजाना करीब 2 से ढाई लाख बोरी विभिन्न जिंसों की आवक हो रही है। जिनमें से करीब डेढ़ लाख बोरी केवल धान की है।
मध्यप्रदेश से बड़ी तादात में धान पहुंच रहा है। इसके अलावा 20 से 25 हजार बोरी मक्का, सोयाबीन व अन्य जिसों की भी आवक हो रही है। लगातार बढ़ती आवक के चलते मंडी परिसर पूरी तरह भर गया है। शनिवार रात 11 बजे मंडी को बंद किया गया, जो रविवार देर रात 11 बजे दोबारा खुलेगी। उसके बाद ही नए वाहनों को प्रवेश दिया जाएगा। इससे पहले से बाहर खड़े किसानों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही।
कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन ने शनिवार को मंडी प्रशासन के साथ बैठक कर नई व्यवस्था पर चर्चा की। निर्णय लिया गया कि अब मंडी में अलग-अलग स्थानों पर जिंसों की नीलामी (ऑक्शन) की व्यवस्था की जाएगी, ताकि उसी स्थान पर तुलाई और माल की लोडिंग हो सके। इससे मंडी के अंदर माल जल्द निकलेगा और नए वाहनों की एंट्री हो पाएगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी ने बताया कि मंडी में माल की आवक को देखते हुए सोमवार को दोबारा मंडी प्रशासन से बैठक कर व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने का काम किया जाएगा।
ट्रक से धान लेकर कोटा मंडी आए थे। शनिवार रात 11 बजे पहुंचे, लेकिन मंडी का गेट बंद रहा। रविवार शाम पड़ गई, अब कह रहे कि माल का उठाव होने के बाद ही गेट खोले जाएंगे।
दीनदयाल, श्योपुर
रात 2 बजे धान लेकर यहां आए थे। मंडी का गेट बंद था। रविवार शाम 6 बजे गई, लेकिन गेट नहीं खुला। अब रात को गेट खुलेगा। सड़क पर ही रसोई का सामान जमा कर खाना बना रहे।
नासिर अली, मध्यप्रदेश
किसान गोपाल ने बताया कि हम रविवार सुबह 6 बजे यहां पहुंच गए थे। मंडी गेट पर खड़े हैं। जगह नहीं होने से अब सड़क पर ही खाना बना रहे हैं और ट्रक में सो रहे हैं।
गोपाल, किसान
Published on:
10 Nov 2025 10:02 am
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