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नवरात्र विशेष: 1826 में राजा ने कराई थी मां शारदा की स्थापना, आस्था का अनूठा संगम

विजयराघवगढ़ में 200 वर्षों से भक्तों पर बरस रही मां शारदा की कृपा, दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

कटनी

Balmeek Pandey

Sep 24, 2025

Sharda mata mandir vijayraghavgadh
Sharda mata mandir vijayraghavgadh

कटनी. नवरात्र के दौरान जिले के विजयराघवगढ़ स्थित मां शारदा मंदिर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ दर्शनीय रही। जिला ही नहीं, बल्कि प्रदेश और देश के श्रद्धालु यहां मां की कृपा प्राप्त करने आते हैं। 1826 में राजा प्रयागदास द्वारा मां शारदा का मंदिर स्थापित किया गया था, और तब से लेकर आज तक श्रद्धालुओं पर देवी माता की कृपा बरस रही है।
विजयराघवगढ़ का यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से बिगड़े काम बनते हैं। 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने मंदिर और किले को नष्ट कर दिया था। 1984 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया और मैहर के पंडा देवी प्रसाद ने पूजन व अभिषेक कर मंदिर को पुनर्जीवित किया।

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आस्था का प्रमुख केंद्र और आकर्षण

मंदिर के आसपास सुंदर बाग, भरत बाग, राम बाग, अखाड़ा, राम-जानकी मंदिर, चारों धाम की मूर्तियां और राजा का किला स्थित हैं, जो इसे आस्था और पर्यटन दोनों दृष्टि से आकर्षक बनाते हैं। नवरात्र और चैत्र मास में यहां मेला लगता है, और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। प्रतिदिन भोर से मातारानी को जल ढारने, पूजन करने, दर्शनार्थ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। भजनों व भगतों की स्वर लहरिया भाव विभोर कर रही हैं।

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जिले का प्रमुख शक्तिपीठ

मां शारदा को माता सरस्वती का स्वरूप माना जाता है। मैहर की मां शारदा की तरह ही यह धाम पहाड़ी पर विराजमान है। नगरवासी सुरेंद्र दुबे के अनुसार, मैहर रियासत के बंटवारे के बाद राजा प्रयागदास विजयराघवगढ़ रियासत में आए और किले का निर्माण कराने के साथ मंदिर, कुएं, बावली, तालाब, पंचमठा और बगीचों का निर्माण भी कराया। 198 वर्षों से इस मंदिर ने भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक शक्ति का संचार किया है और नवरात्र के अवसर पर मां शारदा की विशेष पूजा-अर्चना जारी है।