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नेशनल हाइवे बने मौत का रास्ता!, सडक़ पर पहिया समाने लायक हुईं दरारें

कटनी-चांडिल मार्ग की आरसीसी सडक़ पर जगह-जगह दरारें, मरम्मत के नाम पर डामर की परत चढ़ाकर खामी छिपाने में जुटे ठेकेदार

कटनी

Balmeek Pandey

Nov 24, 2025

Serious problem on National Highway
Serious problem on National Highway

कटनी. नेशनल हाइवे-40 का कटनी से चांडिल तक का हिस्सा इन दिनों खतरों का हाइवे बन चुका है। करोड़ों की लागत से बनी आरसीसी सडक़ अब जगह-जगह से दरकने लगी है। सुर्खी टैंक मोड़ से लेकर बड़वारा के आगे तक दर्जनों स्थानों पर सडक़ में गहरी दरारें, उखड़ी परतें और उभरे गड्ढे वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। इसके बावजूद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के अफसरों ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। कुछ माह पहले दरारों को भरने का काम किया गया था, लेकिन अब फिर कई जगह पर ये दरारें सामने आ गई हैं।
जानकारों के मुताबिक, सीमेंट कांक्रीट सडक़ पर डामर की लेयर चढ़ाना तकनीकी रूप से गलत कदम है, क्योंकि इससे सडक़ की पकड़ कमजोर होती है और दरारें और तेजी से फैलती हैं। मगर जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार खामियों को छिपाने के लिए डामर की परत डालकर औपचारिक मरम्मत दिखा रहे हैं। यह उपाय न केवल अस्थायी है बल्कि भविष्य में सडक़ के और जल्दी टूटने का कारण बनेगा। यही हाल कटनी से मैहर व कटनी से जबलपुर हाइवे राष्ट्रीय राजमार्ग-30 का है। यहां पर भी सडक़ कई जगह पर खराब हो गई है। पीरबाबा का फ्लाइओवर हादसों का पर्याय बन रहा है।

सुर्खी टैंक मोड़ से बड़वारा तक सबसे ज्यादा खराब स्थिति

स्थानीय लोगों ने बताया कि सुर्खी टैंक मोड़, छपरा मोड़, मझगवां क्रॉसिंग, और बड़वारा के आगे तक के हिस्से में सडक़ की हालत खराब है। सडक़ के किनारे बनी जल निकासी नालियां भी टूट चुकी हैं, जिससे बारिश का पानी सडक़ के नीचे रिसकर बेस लेयर को कमजोर कर रहा है। कई जगह सडक़ की दरारें इतनी चौड़ी हो चुकी हैं कि दोपहिया वाहन सवार फिसलकर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।

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लाखों वाहन हर दिन गुजरते हैं, फिर भी लापरवाही बरकरार

यह मार्ग कटनी जिले को झारखंड के चांडिल, जबलपुर, रीवा और शहडोल से जोड़ता है। हर दिन सैकड़ों ट्रक, बसें और निजी वाहन इस रास्ते से गुजरते हैं। बावजूद इसके, एनएचएआई के अधिकारी स्थल निरीक्षण तक नहीं कर रहे। सडक़ निर्माण में भारी अनियमितताओं और घटिया सामग्री के उपयोग की चर्चा भी आम है, लेकिन अब तक किसी ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं हुई है।

मौत के बाद ही जागता है विभाग

सुर्खी और बड़वारा क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि कई बार सडक़ की खराब हालत को लेकर शिकायतें दी गईं, लेकिन न तो विभाग ने निरीक्षण किया और न ही स्थायी मरम्मत की। लोगों का कहना है, हर दिन हादसों का खतरा बना रहता है, लेकिन शायद किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही विभाग जागेगा।

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तकनीकी नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

आरसीसी सडक़ें आमतौर पर 20 से 30 साल तक टिकने लायक होती हैं, परंतु यहां निर्माण के मात्र कुछ वर्षों में ही दरारें पड़ गईं। विशेषज्ञों के अनुसार यह ड्रेन सिस्टम, विस्तार जोड़ों और बेस मिक्स में तकनीकी लापरवाही का नतीजा है। ऊपर से डामर डालना इन खामियों को और छिपा देता है, जिससे अंदरूनी नुकसान बढ़ता जाता है।

प्रशासन और एनएचएआई पर सवाल

लोगों का कहना है कि जब सडक़ आरसीसी थी, तो डामर डालने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह खामियों को छिपाने का तरीका है। एनएचएआई की चुप्पी इस पूरे मामले में कई संदेह खड़े कर रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्काल जांच और स्थायी मरम्मत की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सडक़ की गुणवत्ता की जांच कराई जाए, तो भ्रष्टाचार और निर्माण की खामियां सामने आ सकती हैं।