कटनी. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…। ये गीत के बोल अब सच साबित होने वाले हैं कटनी की धरा पर, स्लीमनाबाद तहसील व ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम इमलिया जल्द ही सोने की चमक से जगमगाने वाला है। यहां लगभग 15 एकड़ भूमि में सोने की खदान स्वीकृत हुई है। जिले के इतिहास में गौरवपूर्ण क्षण आया, जब हाल ही में मुंबई की एक कंपनी ने कलेक्टर आशीष तिवारी से खनन के लिए एग्रीमेंट किया। इसके बाद गांव और पूरे जिले में उत्साह का माहौल है।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले लगभग 50 वर्षों से गांव में सोने की मौजूदगी की जानकारी थी। जिस स्थान पर सोना है, उसे स्थानीय लोग ‘सुनाही’ नाम से जानते हैं। यहां आज भी चार-पांच पुराने कुएं मौजूद हैं। बुजुर्गों का कहना है कि ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेज इन कुओं के माध्यम से धातु निकालते थे, लेकिन उस समय भोले-भाले ग्रामीणों को यह जानकारी नहीं थी कि अंग्रेज सोना निकाल रहे हैं। जिला अब सोने की चमक से जगमगाने की राह पर है। स्लीमनाबाद तहसील के ग्राम इमलिया में दबे स्वर्ण भंडार को निकालने के लिए शासन और मुंबई की प्रॉस्पेक्ट रिसोर्स मिनरल्स प्रा. लि. कंपनी के बीच अनुबंध हो गया है।
आपको बता दें कि 18 सितंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़वारा कार्यक्रम में मंच से कटनी को ‘कनकपुरी’ की संज्ञा दी थी और इमलिया गांव में सोने के भंडार की जानकारी साझा की थी। इसके बाद नवरात्रि के पहले दिन ही खनन को लेकर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। कंपनी के बीच हुए इस समझौते के बाद ग्रामीणों में हर्ष और उम्मीद का वातावरण है। उनका मानना है कि अब गांव की पहचान राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर होगी। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। कंपनी के डायरेक्टर अविनाश लांडगे के बीच 50 वर्ष की माइनिंग लीज पर हस्ताक्षर हुए। इसके साथ ही कटनी जिले का नाम आधिकारिक रूप से भारत के स्वर्ण मानचित्र पर दर्ज हो गया है।
ई-नीलामी प्रक्रिया के जरिए कंपनी ने 121 करोड़ रुपए की बोली लगाकर यह खनिज पट्टा हासिल किया है। इसके तहत स्लीमनाबाद क्षेत्र के ग्राम इमलिया स्थित 6.51 हेक्टेयर भूमि पर खनन का अधिकार दिया गया है। यह मध्यप्रदेश की पहली सक्रिय स्वर्ण खदान होगी। खनन विभाग के अनुसार, इमलिया गोल्ड ब्लॉक से प्रतिवर्ष 33,214 टन उत्पादन का अनुमान है। कुल स्वर्ण खनिज भंडार 3,57,789 टन खानयोग्य 3,35,059 टन है। कापर 2,71,632 टन जो खानयोग्य 2,54,439 टन है। लेड-जिंक 3,88,726 टन व खानयोग्य 3,64,031 टन है। सिल्वर 3,86,468 टन बताया जा रहा है। तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार प्रति टन अयस्क से औसतन 1.13 ग्राम सोना निकलने की संभावना है।
इस खदान की खोज का सफर वर्ष 1974 से शुरू होकर 2025 में पूरा हुआ। 70 से अधिक ड्रिलिंग और बोरिंग से लिए गए सैंपल की जांच में यहां सोना और अन्य बहुमूल्य खनिजों की पुष्टि हुई। वर्ष 2020 में लीज को सैद्धांतिक मंजूरी और अक्टूबर 2023 में खनन योजना को अंतिम स्वीकृति मिली। अब तक बड़े पैमाने पर स्वर्ण खनन केवल कर्नाटक के कोलार और हत्ती क्षेत्रों में होता था। इमलिया खदान शुरू होने के साथ ही मध्यप्रदेश भी इस सूची में शामिल हो जाएगा। ग्रामीण बताते हैं जहां सोने की खोज हुई है वहां पर जब 6 पैसे मजदूरी थी, उस समय के ये कुआं बने हैं। बीच में जब सर्वे हुआ है तो अलग से गड्ढे किए गए हैं। गांव में सोना निकलेगा यह हमारे लिए खुशी की बात है। इससे गांव की भी तस्वीर बदलेगी।
वर्जन
इमलिया में सोने की खदान शुरू होने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर बनेंगे। खदान शुरू कराने के लिए शीघ्र ही भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू कर प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा दिलाया जाएगा। सोने की खदान शुरू होने से जिले के विकास को नये आयाम मिलेंगे।
रत्नेश दीक्षित, जिला खनिज अधिकारी।
Published on:
25 Sept 2025 08:01 am