कटनी. नगर निगम द्वारा शहर को रोशन और आकर्षक बनाने के नाम पर लगाई जा रही डेकेरेटिव पोल लाइटें अब सवालों के घेरे में हैं। हाल ही में बीडी अग्रवाल वार्ड और गुरुनानक वार्ड में 35 लाख रुपए से अधिक लागत से लगाए गए पोल और लाइटें चालू होते ही खराब होने लगी हैं। कई मार्गों पर तो लाइटें अभी चालू ही नहीं हुईं, वहीं जो चालू हैं उनमें से 30 से 80 फीसदी तक बंद हो चुकी हैं। इससे नगर निगम की कार्यप्रणाली और ठेका कंपनी की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, ठेका कंपनी द्वारा लाइटें गुणवत्तापूर्ण ढंग से नहीं लगाई गईं। केवल एक माह के भीतर ही कई लाइटें बंद हो गई हैं। बीडी अग्रवाल वार्ड क्षेत्र की अधिकांश लाइटें तो पूरी तरह अंधेरे में हैं। स्थानीय लोग इसे सीधे-सीधे भ्रष्टाचार और लापरवाही से जोडकऱ देख रहे हैं। लगातार नगर निगम के कार्यों में चल रही मनमानी से जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की निगरानी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पोल लगाने में गंभीर लापरवाही सामने आई है। कई जगह सडक़ के सोल्डर (किनारे) पर पर्याप्त जगह होने के बावजूद पोल सीधे सडक़ पर ही गाड़ दिए गए। इससे अस्थाई अतिक्रमण की आशंका बढ़ गई है और यातायात बाधित होने की स्थिति बन रही है। एकरूपता का भी पूरी तरह अभाव रहा। कहीं पोल नजदीक हैं तो कहीं काफी दूर।
बताया जा रहा है कि नगर निगम ने योजना तो बनाई, लेकिन उसके सही पालन पर ध्यान नहीं दिया। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते कुछ जगहों पर जल्दबाजी में और अनियमित तरीके से पोल गाड़े गए। इससे न केवल सौंदर्यीकरण का उद्देश्य विफल हो रहा है, बल्कि करोड़ों का खर्च भी व्यर्थ साबित हो रहा है।
लाइटों की यह योजना पहले ही फेल साबित हो रही है, बावजूद इसके नगर निगम अब चांडक चौक से घंटाघर तक करीब 50 लाख रुपए की नई योजना के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर रहा है। यह तब हो रहा है जबकि इस मार्ग पर अभी तक सडक़ चौड़ीकरण, पोल शिफ्टिंग, नाली निर्माण और पेवरब्लॉक का काम पूरा ही नहीं हुआ है। ऐसे में नई योजना भी पुराने हालात की पुनरावृत्ति बनने की आशंका है।
सूत्रों का कहना है कि नगर निगम में कुछ बाहरी लोगों के प्रभाव के चलते फिजूलखर्ची की जा रही है। शहरवासियों का कहना है कि जब तक पुरानी लाइटें ठीक नहीं होतीं और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक नई योजनाएं केवल जनता के पैसों की बर्बादी साबित होंगी।
पेड़ों के बीच लग गई लाइट
यह नजारा सिविल लाइन क्षेत्र बीडी अग्रवाल वार्ड का है, जहां पर नियम-कायदों को ताक पर रखते हुए ठेकेदार ने रोड लाइटें लगाई हैं। पेड़ों की डालियों के बीच लाइटें लगा दी गई हैं, जब ये लाइटें जलेंगे तो रोशनी ही सडक़ पर नहीं पहुंचेंगी, ऐसे में यह कवायद किसी फिजूलखर्ची से कम नहीं है।
यह नजारा भी गणेश चौक क्षेत्र का है, जहां पर ठेका कंपनी ने तारों व लकडिय़ों के मकडज़ाल के बीच लाइट लगाने की औपचारिकता निभाई है। कंपनी द्वारा पोल गाडऩे से लेकर तारों की शिफ्टिंग में मनमानी का खेल किया गया है।
शहर के मुख्य मार्ग स्टेशन चौराहा से सुभाष चौक मार्ग पर भी ठेका कंपनी द्वारा डेढ़ माह पहले लाइटें लगाने का काम किया गया है। कहीं पर पोल बीच में है तो कहीं पर साइड में कर दिया गया है। तार कहीं पर बीच सडक़ से ले जाई गई है तो कहीं पर आड़ी तिरछी कर दी गई है। हैरानी की बात तो यह है कि लगभग डेढ़ माह से लाइटें लगी हैं, लेकिन अबतक चालू नहीं हो पाईं।
इनका कहना
शहर के गुरुनानक वार्ड व बीडी अग्रवाल वार्ड में लगभग 35 लाख रुपए की लागत से लाइटें लगाई गई हैं। अभी कुछ स्थानों पर ही लाइट चालू हुई है। शेष स्थानों पर शीघ्र चालू कराई जाएंगी। जिन स्थानों पर लाइटें खराब हुई हैं, उनमें ठेकेदार के माध्यम से सुधारकार्य कराया जाएगा। घंटाघर से चांडक चौक तक डेकोरेटिव लाइट के पहले पोल व ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग का कार्य होगा।
आदेश जैन, इंजीनियर, नगरनिगम।
Published on:
23 Sept 2025 07:33 am