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करोड़ों के मंडी टैक्स में घालमेल: 40 करोड़ की बन रही वसूली, दिया सिर्फ 8 करोड़ का नोटिस

निजी प्राइवेट मंडी में दस साल तक बिना टैक्स के चलता रहा थोक फल-सब्जी कारोबार ईओडब्ल्यू जांच के बाद मंडी प्रशासन की लीपापोती उजागर, अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

कटनी

Balmeek Pandey

Nov 21, 2025

8 crore notice in recovery of 40 crore
8 crore notice in recovery of 40 crore

कटनी. शहर के उपनगरीय क्षेत्र पुरैनी में संचालित होने वाली एक निजी फल-सब्जी मंडी में करोड़ों रुपए के मंडी टैक्स के घालमेल का मामला सामने आया है। आरोप है कि कुठला स्थित निजी प्राइवेट थोक फल-सब्जी मंडी में सन 2012 से 2022-23 तक बिना किसी टैक्स के करोड़ों रुपए का व्यापार चलता रहा और मंडी समिति को फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। आश्चर्य की बात यह कि मंडी प्रशासन ने दस वर्षों की इस भारी टैक्स चोरी का आंकलन कर पेनाल्टी सहित करीब 40 करोड़ रुपये की वसूली बनती थी, लेकिन मंडी प्रबंधन द्वारा सिर्फ 8 करोड़ रुपए का नोटिस जारी कर दिया गया। घोटाले की शिकायत ईओडब्ल्यू व लोकायुक्त तक पहुंची तो मंडी अफसरों की लीपा-पोती भी सामने आ गई।
जिला मंडी प्रशासन के दस्तावेज बताते हैं कि 2005 से बिलैया तलैया क्षेत्र में थोक-फुटकर सब्जी फल मंडी संचालित थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद व्यापारियों को कृषि उपज मंडी में लाइसेंस लेकर कारोबार करना था, लेकिन जबलपुर-दमोह के दो प्रभावी नेताओं के संरक्षण में आदर्श थोक फल एवं सब्जी व्यापारी संघ ने कुठला में निजी मंडी खड़ी कर दी। इसके चलते सरकारी कृषि उपज मंडी को मिलने वाला मंडी टैक्स पूरी तरह बंद हो गया। मंडी सचिव व कलेक्टर उस समय नेताओं के दबदबे के कारण कार्रवाई करने की स्थिति में नहीं थे। निजी मंडी दस वर्षों तक टैक्स फ्री चलती रही जबकि प्रतिदिन लाखों का कारोबार होने की पुष्टि मंडी प्रशासन ने स्वयं की है।

तत्कालीन कलेक्टर ने कराई कार्रवाई

साल 2022-23 में राजनीतिक संरक्षण समाप्त होने पर तत्कालीन कलेक्टर अवि प्रसाद ने निजी मंडी का संचालन बंद कराकर पूरा थोक व्यापार कृषि उपज मंडी में शिफ्ट कराया। सिर्फ पहले ही वर्ष में मंडी समिति को 52 लाख रुपए टैक्स की आय हुई। इससे साबित हुआ कि निजी मंडी में दस वर्षों से मंडी टैक्स चोरी हो रही थी। फुटकर फल-सब्जी विक्रेता संघ ने ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई। संघ के पदाधिकारी कृष्णहरि कछवाह ने बताया कि जून 2003 से थोक विक्रय पर 2 प्रतिशत मंडी शुल्क राजपत्र में दर्ज है, बावजूद इसके निजी मंडी ने 2012 से 2022 तक टैक्स नहीं दिया। मंडी सचिव ने भी पुष्टि की कि दस वर्षों में मंडी टैक्स शून्य रहा।

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यह हैं हालात

जब ईओडब्ल्यू ने मंडी सचिव से दस वर्षों का आकलन मांगा तो वास्तविक वसूली लगभग 40 करोड़ बनती थी (टैक्स के साथ 5 गुना पेनाल्टी)। लेकिन मंडी प्रबंधन ने सिर्फ 8 करोड़ रुपए का आंकलन कर निजी मंडी संचालक को नोटिस जारी कर दिया। पेनाल्टी पूरी तरह नजरअंदाज कर दी गई। इससे मंडी प्रशासन की भूमिका संदिग्ध हो गई है कि आखिर किस दबाव में वास्तविक वसूली से 30 करोड़ रुपए कम आंकलन किया गया। टैक्स संग्रहकर्ता की मनमानी से यह खेल चल रहा है। वास्तविक आवक कम दिखाकर टैक्स कम वसूला जाता है। ऐसे में निजी मंडी के 10 वर्षों के कारोबार पर मात्र डेढ़-दो लाख रुपए वार्षिक टैक्स बनाना मंडी सचिव की मंशा पर बड़ा सवाल है।

वर्जन
इस मामले में नियमानुसार जांच के बाद कार्रवाई चल रही है। पूरा टैक्स जमा कराने के लिए आवश्यक पहल की जाएगी।

किशोर नरगामे, मंडी सचिव।