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सिर धड़ से अलग होने वाले 5 साल के मासूम की मां को आया होश, कटा पैर लिए बोली- कहां है मेरा लाल

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे हादसे में 5 साल के अनुराग की सिर कटकर मौत हो गई और उसकी मां का पैर भी अलग हो गया। होश आने पर मां गुड्डी देवी रोती हुई नर्स से बार-बार सिर्फ यही कहती रहीं-प्लीज… एक बार मेरा बेटा दिखा दो।

Accident kanpur
पोते का शव देख रोते-बिलखते अनुराग के दादा, दूसरी तरफ ICU में भर्ती मां।

कानपुर के बिल्हौर के अरौल क्षेत्र में हुए भीषण बस हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। बुधवार दोपहर पोस्टमार्टम हाउस पर मातम पसरा रहा, जहां रोते-बिलखते परिजन अपनों की लाशें लेने पहुंचे। तीन बहनों के इकलौते भाई शशि गिरी (26) की मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। परिवार उसकी शादी की तैयारी कर रहा था। लेकिन कफन में लिपटे शशि को देखकर मां और बहनें दहाड़ें मारकर रोने लगीं।

वहीं, चार साल के इकलौते पोते अनुराग का शव देखने के बाद उसके दादा शौकी चौधरी बेसुध हो गए। होश में आने पर कांपती आवाज में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरे बेटे का सब कुछ उजड़ गया…। इस दर्दनाक चीख ने वहां मौजूद हर शख्स को रुला दिया।

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुआ था हादसा

सोमवार रात लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे में नसीम आलम (30), शशि गिरी (26) और अनुराग (5) की मौत हुई थी। बुधवार को तीनों शवों का पोस्टमार्टम हुआ।

'बस एक बार मेरा बेटा दिखा दो…'

हादसे की एक और पीड़ित, अनुराग की मां गुड्डी देवी, अभी भी अस्पताल में मौत और जिंदगी के बीच जंग लड़ रही हैं। हादसे में उनका पैर कट गया और उनके बेटे की भी मौत हो गई। जब बुधवार को गुड्डी देवी को होश आया, तो सबसे पहला सवाल उन्होंने नर्स से यही किया कि कहां है मेरा लाल… बस एक बार मेरा बेटा दिखा दो…। पति अजय बेटी को लेकर उनके पास आए, लेकिन बेटे को न देखकर गुड्डी देवी बेचैन हो उठीं। बार-बार नर्स से गुहार लगाती रहीं कि उन्हें उनका बेटा दिखाया जाए। डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे वार्ड में भर्ती होने का बहाना बनाकर सच बताने से टाल दिया। जब उन्होंने पति अजय से पूछा, तो अजय रो पड़े और फोन आने का बहाना बनाकर वार्ड से बाहर चले गए, ताकि गुड्डी को सच्चाई न पता चल सके।

दूसरी तरफ शशि गुवाहाटी की एक पेपर मिल में सुपरवाइजर था और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसी पर थी। पिता की मौत के बाद उसकी मां ऊषा और तीन बहनों का सहारा सिर्फ वही था। शशि का विदेश जाने का सपना भी अधूरा रह गया। नौकरी के लिए उसका सऊदी अरब में चयन हो चुका था और वह मेडिकल करवाने गुवाहाटी से निकला था। मेडिकल के बाद वह बिहार के मीरपुर सिवान स्थित घर लौट रहा था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। परिवार उसका शव लेकर बिहार के लिए रवाना हो गया, जबकि मासूम अनुराग को नजीराबाद स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया।