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कौन हैं RPSC के नए सदस्य डॉ अशोक कलवार ? कहा- आरपीएससी को UPSC के पैटर्न पर लाने के होंगे प्रयास

डॉ. अशोक कलवार का जीवन बीकानेर और जोधपुर से गहराई से जुड़ा रहा है। वे मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से लंबे समय तक जुड़े रहे।

Dr Ashok Kalwar
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आरपीएससी सदस्य डॉ अशोक कलवार (फोटो-पत्रिका)

जोधपुर। राजस्थान सरकार ने हाल ही में लोक सेवा आयोग (RPSC) में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की है। इनमें डॉ. अशोक कलवार भी शामिल हैं। नियुक्ति के बाद डॉ. कलवार ने कहा कि यह जिम्मेदारी सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के युवाओं की उम्मीदों को पूरा करने का अवसर है।

डॉ. कलवार ने कहा- 'यह मेरे लिए बहुत बड़ा विश्वास और चुनौती है। राज्य सरकार की अपेक्षा और युवाओं की तकलीफों को दूर करना मेरा पहला लक्ष्य होगा। मेरा पूरा करियर चिकित्सा शिक्षा और परीक्षाओं से जुड़ा रहा है। इस अनुभव का उपयोग कर मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि आयोग की परीक्षाओं में कोई रुकावट न आए और गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।' उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि RPSC को यूपीएससी के पैटर्न पर लाने के प्रयास होंगे, ताकि चयन प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक हो सके।

बीकानेर और जोधपुर में लंबे समय तक दी है सेवा

डॉ. अशोक कलवार का जीवन बीकानेर और जोधपुर से गहराई से जुड़ा रहा है। वे मेडिकल कॉलेजों में शिक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से लंबे समय तक जुड़े रहे। उनकी छवि एक गंभीर और पारदर्शी शिक्षा प्रशासक की रही है। यही अनुभव अब आयोग की परीक्षाओं, साक्षात्कारों और डीपीसी की प्रक्रिया को गति देने में मदद करेगा।

आरपीएससी के 3 नए सदस्य बने

राज्यपाल के आदेश के बाद जारी नियुक्ति आदेशों के अनुसार, डॉ. कलवार के साथ ही डॉ. सुशील कुमार बिस्सू और हेमंत प्रियदर्शी को नियुक्ति मिली है। आयोग में अब अध्यक्ष सहित सात सदस्य हो गए हैं। हालांकि, एक सदस्य बाबूलाल कटारा निलंबित हैं और दो पद अभी भी खाली हैं।

राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना 1949 में हुई थी और इसमें अध्यक्ष सहित दस सदस्य नियुक्त होते हैं। मौजूदा वक्त में अध्यक्ष यू.आर. साहू के साथ डॉ. संगीता आर्य, प्रो. अयूब खान, लेफ्टिनेंट कर्नल केसरी सिंह और के.सी. मीना सदस्य हैं।

परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद

डॉ. कलवार की नियुक्ति को सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले और शैक्षणिक अनुभव का संतुलन माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी कार्यशैली आयोग में परीक्षाओं की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को और मजबूत करेगी।