
Jodhpur High Court : राजस्थान का बहुचर्चित भंवरी देवी अपहरण और हत्याकांड एक बार फिर चर्चा में आ गया। भंवरी देवी कांड को 23 साल बीत चुके हैं। गाहे बगाहे अचानक इस मुद्दे पर चर्चा हो जाती है। पर अचानक हाईकोर्ट के आदेश के बाद भंवरी देवी फिर सुर्खियों में आ गई। हुआ यह कि जोधपुर हाई कोर्ट ने 21 माह पहले ही भंवरी देवी के बेटे और बेटियों को पेंशन देने का आदेश जारी किया था। इतना वक्त बीत जाने पर भी अभी तक पेंशन चालू नहीं की गई है।
इस पर हाईकोर्ट में एक अवमानना याचिका पेश की गई। जोधपुर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए नोटिस जारी किए हैं। जोधपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत, चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़, निदेशक (अराजपत्रित) चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय राकेश कुमार शर्मा, पेंशन विभाग, एलआइसी सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया। कोर्ट ने कहा कि CMHO के जवाब के बाद आगे की सुनवाई की तारीख तय की जाएगी।
न्यायाधीश रेखा बोराणा की एकल पीठ में याचिकाकर्ता साहिल पेमावत व अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कहा कि 2011 में भंवरी देवी की हत्या के बाद एकल पीठ ने बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर सभी परिलाभ देने के आदेश दिए थे, लेकिन आदेश जारी होने के 21 माह बाद भी उसकी पालना नहीं हुई है।
पता चला कि जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं होने की आड़ में मामला लंबित कर रखा है। याचिका में बताया गया है कि भंवरी देवी के मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने का बहाना बनाकर पूरे मामले को अटका रखा है। जोधपुर सीएमएचओ आज तक एएनएम भंवरी देवी को मृत मानने को तैयार नहीं हैं।
जोधपुर हाई कोर्ट ने 21 माह पूर्व भंवरी देवी के बेटे और बेटियों को पेंशन देने का आदेश दिया था। लेकिन पेंशन अभी तक शुरू नहीं की गई। भंवरी देवी के बेटे साहिल पेमावत और दो बेटियों ने बीते 3 सितंबर 2025 को हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की। जिस पर 9 सितंबर को सुनवाई की गई।
Updated on:
12 Sept 2025 01:18 pm
Published on:
12 Sept 2025 12:35 pm

