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Rajasthan Crime: मारवाड़ के स्मैक किंग ने बना ली कई गर्लफ्रेंड, परेशान पत्नी ने बनाया प्लान, मामला पड़ गया उल्टा

एएनटीएफ की बड़ी कार्रवाई में मारवाड़ के स्मैक किंग को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ आठ एफआइआर दर्ज हैं।

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आरोपी जितेन्द्र। फोटो- पत्रिका

बाड़मेर/जोधपुर। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने ऑपरेशन 'जिस्मन्ना' के तहत बाड़मेर के रामजी का गोल के पास निजी स्लीपर बस से मारवाड़ के स्मैक किंग को पकड़ लिया। उस पर 25 हजार रुपए का इनाम था। महिला मित्रों से पीछा छुड़वाने के लिए पत्नी पुलिस से बचने के बहाने उसे बेंगलूरु भेज रही थी, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

महानिरीक्षक एटीएस विकास कुमार ने बताया कि बाड़मेर में धोरीमन्ना थानान्तर्गत खरड़ गांव निवासी जितेन्द्र मेघवाल को पकड़ा गया है। वह कई मामलों में वांछित है। बाड़मेर के धोरीमन्ना थाने में दर्ज एफआइआर के मामले में पकड़े न जाने पर उस पर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। उसके खिलाफ आठ एफआइआर दर्ज हैं।

महिला मित्रों व पत्नी के बीच ऐसे फंसा जाल में

इनाम घोषित होने के बाद वह भूमिगत हो गया था। घर से दूर रहने के चलते महिला मित्रों के सम्पर्क में आ गया था। वह ज्यादा समय महिला मित्रों के साथ बिताने लग गया था। पत्नी को पता लगा तो उसे एक तरकीब सूझी। उसने पुलिस से बचने के लिए पति को बेंगलूरु शिफ्ट होने का सुझाव दिया। ताकि वह पुलिस के साथ महिला मित्रों से भी दूर हो जाएगा।

पत्नी ने अपनी सहेली को इस बारे में बता दिया था। बात एएनटीएफ तक पहुंची। बाड़मेर से बेंगलूरु जाने वाली बस, ट्रेन व अन्य साधनों से बुक होने वाले टिकट पर नजर रखनी शुरू की गई। इस बीच एक ट्रेवल्स एजेंसी से जितेन्द्र नाम से 13 नवम्बर को टिकट बुक कराया गया। जिसने टिकट बुक कराया था, वह जितेन्द्र की पत्नी के सम्पर्क में भी था। इससे पुलिस को पुख्ता सुराग मिल गए। पुलिस ने रामजी का गोल के पास निजी बस रुकवाई और सो रहे जितेन्द्र को पकड़ लिया।

हर माह 20 किलो स्मैक की सप्लाई

पुलिस का कहना है कि आठवीं पास होने के बाद परिजन ने उसे बेंगलूरु भेज दिया था, लेकिन अमीर आदमी बनने के लिए वह गांव लौट आया था, जहां प्रकाश ने उसे अपने साथ शामिल कर लिया था। स्मैक तस्करी में साझेदार भी बना लिया था। कुछ ही दिन में जितेन्द्र स्मैक का बड़ा सप्लायर बन गया था। वह हर माह 20 किलो स्मैक लाकर सप्लाई करता था। वह मारवाड़ का स्मैक किंग बन गया था।

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पिता-पत्नी कसमें दिलाते, फिर शुरू हो जाता

आरोपी जितेन्द्र कई बार पुलिस के हत्थे चढ़ा। जमानत पर छूटने के बाद पिता व पत्नी तस्करी छोड़ने की कसमें दिलाते। वह तस्करी छोड़ने को राजी भी हो जाता था, लेकिन फिर से तस्करी में सक्रिय हो जाता था। स्मैक बेचते-बेचते जितेन्द्र भी इसका आदी हो गया था। वह बीमार रहने लग गया था। उसे नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती तक कराया गया था। स्मैक से कमाए बंगले, खेत आदि बेचने पड़ गए थे।