राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय जिला शाखा जैसलमेर ने टीईटी यानी शिक्षक पात्रता परीक्षा को सभी शिक्षकों पर अनिवार्य करने के हालिया निर्णय का विरोध जताते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। गौरतलब है कि सभी सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया। संघ पदाधिकारियों ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 में स्पष्ट रूप से दो श्रेणियां मान्य की गई थीं। पहली श्रेणी में 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक शामिल थे जिन्हें टीईटी से छूट दी गई थी। दूसरी श्रेणी में 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक शामिल थे जिनके लिए निश्चित अवधि में टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य किया गया था। ज्ञापन में कहा गया कि न्यायालय के निर्णय ने इस तथ्य को अनदेखा कर दिया है जिसके चलते 2010 से पूर्व वैध नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। संघ ने यह मांग उठाई कि न्यायालय का निर्णय भविष्यलक्षी रूप से लागू किया जाए और 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा, सुरक्षा और गरिमा को बनाए रखा जाए।
जिला मंत्री कंवरसिंह हमीरा ने कहा कि लाखों शिक्षकों को सेवा समाप्ति अथवा आजीविका संकट से बचाने के लिए आवश्यक नीतिगत और विधायी कदम तत्काल उठाए जाने चाहिए। साथ ही शिक्षकों से प्रशिक्षणिक योग्यता के तहत इंटर्नशिप कार्यक्रम अवधि की वेतन वसूली बंद की जाए और इस अवधि को कर्तव्य अवधि माना जाए क्योंकि इस दौरान शिक्षक अपने अधीनस्थ विद्यालय में ही कार्यरत रहते हैं। सभा अध्यक्ष सवाई सिंह राठौड़ ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस गंभीर समस्या का शीघ्र न्यायोचित समाधान करना चाहिए। इस अवसर पर कंवरसिंह हमीरा, मांगीलाल सोनी, सवाईसिंह राठौड़, सरितासिंह यादव, रजनी गोपा, चंचल ओझा, सीमा चौधरी, अभय सिंह, अरुण व्यास, प्रेम जीनगर, चुन्नीलाल, स्वरूप सुथार, भंवरलाल, पर्वत सिंह सोनू, दलपतराम, कल्याण सिंह, स्वरूपसिंह, भीमाराम, राकेश गोयल, अनिल जैन, भूर सिंह, अंकुश भाटिया, सुरेश जीनगर, राकेश भार्गव, अनिल सिंह, कमल सिंह कराड़ा, भरत राज, दिनेश सिंह राठौड़, अनिल कुमार नागोरा, रतींद्रकौर, कल्पना भाटी, पवन, किशोर तेजवानी सहित अनेक शिक्षक मौजूद रहे।
Published on:
15 Sept 2025 11:21 pm